पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है। हिंदू, ईसाई, अहमदिया व अन्य को ईशनिंदा कानून में फँसाकर जेल भेजने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। अब लाहौर में शौकत मसीह और किरण मसीह पर कुरान के पन्ने फाड़कर फेंकने का आरोप है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज करते हुए दोनों को हिरासत में ले लिया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लाहौर की चौधरी कॉलोनी इलाके में मुहम्मद तमूर नामक व्यक्ति ने एक घर की छत से कुरान के पन्ने गिरते देखे थे। इसके बाद तमूर उस घर में जाकर किरण मसीह से कुरान के पन्ने फेंकने को लेकर बात की। जवाब में किरण ने कहा कि हो सकता है यह उनके नाबालिग बच्चों ने किया हो। लेकिन तमूर किरण की बात नहीं माना और उसने घर के अंदर जाकर देखने की माँग की।
इस पर किरण ने उसे घर के अंदर जाने की अनुमति दे दी। तमूर जब घर की छत पर पहुँचा तो वहाँ पानी की टंकी के पीछे एक बैग में कुरान के पन्ने डले मिले। इसके बाद उसने गुस्सा दिखाते हुए पुलिस को इसकी सूचना दे दी। मौके पर पहुँची पुलिस ने कुरान के पन्ने और बैग बरामद किया।
साथ ही पुलिस ने किरण और उसके पति शौकत मसीह को हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ की। दोनों ने पुलिस से कहा कि इसमें उनकी कोई गलती नहीं है। हो सकता है कि बच्चों ने ऐसा किया हो। लेकिन इसके बाद भी पुलिस ने दोनों के खिलाफ कुरान का अपमान करने के आरोप में ईशनिंदा के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले में आजीवन कारावास से लेकर फाँसी की सजा तक का प्रावधान है।
अल्पसंख्यकों को कानूनी सहायता देने वाले संगठन (CLAAS-UK) के डायरेक्टर नासिर सईद ने पाकिस्तान में ईशनिंदा कानून के दुरुपयोग पर चिंता जाहिर की है। उनका मानना है कि ईशनिंदा कानून में लोगों को फँसाना उन्हें पाकिस्तान से भगाने की प्लानिंग का हिस्सा है।
इस्लाम कबूलने से मना किया तो मारी गोली
बता दें कि बीते कुछ दिनों में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करने की घटनाएँ तेजी से सामने आईं हैं। इससे पहले 2 सितंबर को फैसलाबाद जिले के जरानवाला में ईसाई पादरी को गोली मारने की घटना सामने आई थी। पादरी ने आरोप लगाया था कि कट्टरपंथी संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के सदस्य उस पर इस्लाम कबूलने का दबाव बना रहे थे। मना करने पर उन लोगों ने उसे गोली मार दी।
वहीं इससे पहले 16 अगस्त, 2023 को फैसलाबाद के जरानवाला तहसील में ही इस्लामिक कट्टरपंथियों की भीड़ ने ईसाइयों को निशाना बनाकर हमले किए थे। इस हमले में 21 चर्चों में आगजनी और तोड़फोड़ की गई थी। वहीं ईसाइयों के कई दर्जन घरों पर हमला हुआ था। इस मामले में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 135 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया था। वहीं करीब 600 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।