Monday, December 23, 2024
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टेरर फंडिंग के लिए मेडिकल प्रोग्राम का इस्तेमाल, अलगाववादियों को तरजीह: पाकिस्तानी डिग्री पर इन कारणों से लग सकता है बैन

अलगाववादी संगठन घाटी में लोगों को सेना के स्कूलों में जाने से रोकते हैं। वहाँ युवाओं को बरगलाकर उनसे पत्थरबाजी करवाते हैं, लेकिन वे अपने बच्चों को पाकिस्तान समेत दूसरे देशों में अच्छी शिक्षा दिलाते हैं।

भारत सरकार विदेशों से मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा (FMGE) में शामिल होने के लिए पाकिस्तानी मेडिकल की डिग्री (Medical Degree) को अमान्य करार देने पर विचार कर रही है। पाकिस्तान से डिग्री पाने वालों को लेकर अधिकारियों ने कहा है कि मेडिकल स्पॉन्शरशिप प्रोग्राम का इस्तेमाल पाकिस्तान कथित तौर पर टेरर फंडिंग (Terror Funding) के लिए कर रहा है।

‘इकोनॉमिक टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले को लेकर विदेश मंत्रालय, गृह मंत्रालय औऱ राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग की बैठक हो चुकी है। अधिकारियों ने कहा, “पाकिस्तानी संस्थानों में मेडिकल सीटें कई अलगाववादी संगठनों के लिए आवंटित की जाती हैं और बच्चों का एडमिशन कराने के बदले इन समूहों की पैसे जुटाने में मदद की जाती है। बीते वर्षों में पाकिस्तान में कई मेडिकल सीटें मारे गए आतंकियों के परिवार के सदस्यों को ऑफर की गई हैं।”

गौरतलब है कि इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट (IMCA), 1956 के अनुसार, विदेशों से मेडकल की डिग्री लेने वालों को भारत में अगर प्रैक्टिस करना है तो उन्हें इसके लिए FMGE टेस्ट पास करना अनिवार्य है। ये परीक्षा हर साल जून और दिसंबर में एनईबी के द्वारा आयोजित की जाती है।

क्या है पूरा मामला

23 अप्रैल 2022 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) और अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) ने एक गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि पाकिस्तान में शिक्षा हासिल कर लौटने वालों को भारत में नौकरी नहीं मिलेगी। भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों में उनका दाखिला भी नहीं होगा। यूजीसी और एआईसीटीई ने यह भी स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान से आए प्रवासी और उनके बच्चे जिन्हें भारत द्वारा नागरिकता प्रदान की गई है, वह गृह मंत्रालय की मँजूरी के बाद भारत में रोजगार पाने के पात्र होंगे।

यूजीसी के अध्यक्ष एम जगदीश कुमार (UGC Chairperson M Jagadesh Kumar) ने कहा था, “यूजीसी और एआईसीटीई भारतीय छात्रों के हित में ऐसे सार्वजनिक नोटिस जारी करते हैं, जो देश के बाहर अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं। हाल के दिनों में हमने देखा है कि कैसे हमारे छात्रों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, क्योंकि वे अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए विदेशों में वापस नहीं जा सके।”

किन-किन अलगाववादियों के बच्चे पाकिस्तान से पढ़े

गौरतलब है कि अलगाववादी संगठन घाटी में लोगों को सेना के स्कूलों में जाने से रोकते हैं। वहाँ युवाओं को बरगलाकर उनसे पत्थरबाजी करवाते हैं, लेकिन वे अपने बच्चों को पाकिस्तान समेत दूसरे देशों में अच्छी शिक्षा दिलाते हैं। हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का बेटा पाकिस्तान के रावलपिंडी में एक डॉक्टर है। इसके अलावा उनका दूसरा बेटा जहूर एक निजी एयरलाइन में क्रू मेंबर हैं। जबकि गिलानी की बेटी जेद्दा में टीचर है। 2019 की रिपोर्ट के मुताबिक, उनकी एक अन्य बेटी पाकिस्तान में मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी।

इसी तरह से मुस्लिम लीग के मोहम्मद यूसुफ मीर और फारूक गतपुरी की बेटियाँ पाकिस्तान से मेडिकल की पढ़ाई कर रही थीं। वहीं डीपीएम नेता ख्वाजा फिरदौस वानी की बेटा भी पाकिस्तान से मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था।

इसी तरह से गिलानी के गुट का एक अन्य अलगाववादी नेता है अब्दुल अजीज डार। उनके दो बेटे उमर डार और आदिल डार पाकिस्तान में पढ़ रहे हैं। जम्मू-कश्मीर डेमोक्रेटिक लिबरेशन पार्टी के चीफ हाशिम गुलाल का बेटा इकबाल और बिलाल लंदन में रहता है।

वहीं कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन दुख्तरान-ए-मिल्लत आसिया अंद्राबी के प्रमुख की बहन मरियम अंद्राबी अपने परिवार के साथ मलेशिया में रहती है। आसिया अपने बड़े बेटे को आगे की पढ़ाई के लिए मलेशिया भेजना चाहती थी, लेकिन उसे पासपोर्ट देने से इनकार कर दिया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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