Sunday, December 22, 2024
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तिरंगे पर गाय को काटा: इमाम ने कहा ये जगह पूरी धरती पर धब्बा

तड़पती गाय के दर्द को 'एन्जॉय' करते न केवल वयस्क देखे जा सकते हैं, बल्कि किशोर भी दर्द और प्रताड़ना के इस वीभत्स खेल का हिस्सा हैं। एक बमुश्किल 7-8 साल का बच्चा भी कौतूहल और 'इंट्रेस्ट' के साथ इसे देखता है।

हिंदुस्तान के अधिकांश लोगों का मानना है कि कट्टर जिहादियों और चरमपंथी इस्लामियों में भी पाकिस्तानी अलग ही ‘लेवल’ के बीमार और विक्षिप्त लोग हैं। हिंदुस्तान और हिन्दुओं से नफ़रत में अंधे हो वे अपनी आत्मा, अपना होशो-हवास पूरी तरह खो चुके हैं। पहले तो लिबरल गैंग इसे ‘विभाजन की प्रतिक्रिया से उपजी सोच’, ‘कट्टर हिन्दूवाद’, ‘नफ़रत’, ‘हिन्दू तालिबान’ आदि कहकर नकार दिया करते थे। लेकिन आज सोशल मीडिया के युग में दिख रहा है कि हमारी सोच गलत नहीं थी- पाकिस्तान में सच में आत्मा का ही अभाव है।

इसी आत्मा का, इंसानियत का अभाव पाकिस्तानी लोगों ने दिखाया। हिंदुस्तान के हिन्दुओं को नीचा दिखाने के लिए पाकिस्तानी हैदराबाद शहर की सुन्नी तहरीक के कठमुल्लों ने इंसानियत की हद पार करते हुए तिरंगे पर लिटाकर गाय को काटा।

सोशल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि यह घटना 15 अगस्त की है। अपनी पड़ताल में हमने पाया कि यह घटना पाकिस्तान की ही है। शायद इसी साल फरवरी में इसे अंजाम दिया गया था। इस घटना की तस्वीरें इसी साल एक मार्च को एक पाकिस्तानी वेबसाइट पर अपलोड की गई थी। हालॉंकि उस समय का कोई वीडियो हमें नहीं मिल पाया। लेकिन, तस्वीरों और वीडियो के मिलान से ऐसा लगता है कि ये एक ही घटना की हैं।

चूँकि अधिकाँश हिन्दू गाय को पवित्र पशु मानते हैं, माँ मानते हैं और उनकी आस्था का सम्मान करते हुए हिंदुस्तान के अधिकाँश राज्यों में गौवध पर प्रतिबंध है, इसलिए ‘पाकिस्तानी सुन्नी तहरीक हैदराबाद’ संगठन के लोगों ने अपने देश में सड़क पर गौवध किया, हिंदुस्तान के झंडे पर, ताकि हिंदुस्तान और हिन्दू दोनों को नीचा दिखाया जा सके। यही नहीं, गाय की हत्या भी सामान्य हलाल करने वाले तरीके से एक बार में रेत कर नहीं, गाय को तड़पा-तड़पा कर की गई। पहले आधा गला काटकर तड़पने के लिए, दर्द से पैर पटकने के लिए गाय को छोड़ दिया गया, उसके बाद धीरे-धीरे मारा गया। ऐसा इसलिए किया गया ताकि हिन्दुओं को ‘ठेंगा’ दिखाया जा सके कि देखो, तुम्हारी गऊ माता यहाँ पाकिस्तान में तुम्हारे ही झंडे पर रख कर न केवल मारी जाती है, बल्कि बेरहमी से, तड़पा-तड़पा कर मारी जाती है और तुम कुछ नहीं कर पाते।

तड़पती गाय के दर्द को ‘एन्जॉय’ करते न केवल वयस्क देखे जा सकते हैं, बल्कि किशोर भी दर्द और प्रताड़ना के इस वीभत्स खेल का हिस्सा हैं। एक बमुश्किल 7-8 साल का बच्चा भी कौतूहल और ‘इंट्रेस्ट’ के साथ इसे देखता है। यह गाय से अधिक पाकिस्तान की उस खुद की इंसानियत की हत्या है, जिसका तकाज़ा होता है कि यदि पेट भरने या ज़बान के चटखारे के लिए किसी पशु-पक्षी की जान लेना ज़रूरी है भी, तो इसे उस जंतु को कम-से-कम दर्द पहुँचा कर किया जाए न कि उसके दर्द, उसकी तड़पती हुई मौत का नंगा-नाच किया जाए।

‘ये कोई सामान्य समाज नहीं, धब्बा है’

इस्लाम से ही ताल्लुक रखने वाले ऑस्ट्रेलियाई इमाम मोहम्मद तौहीदी ने इस घटना का वीडियो शेयर करते हुए लिखा है, “पाकिस्तानी हिंदुस्तान को नीचा दिखाने के लिए हिन्दुस्तान के झंडे पर, हिंदुस्तान के स्वतंत्रता दिवस के दिन गाय की हत्या कर रहे हैं। यह कोई सामान्य समाज नहीं है। ये इस ग्रह पर ही एक धब्बा हैं। ये हमारे टैक्स के पैसे या किसी विदेशी सहायता के लायक नहीं हैं।”

PETA को भी चुनौती

इमाम तौहीदी ने पशु अधिकारों के नाम पर हिन्दुओं के त्योहारों में अड़ंगा डालने के लिए बदनाम संस्था पेटा को चुनौती दी कि वह इस अमानवीय व्यवहार के खिलाफ कुछ करके दिखाए। तौहीदी ने यह भी साफ किया कि उनकी चुनौती का अर्थ केवल पेटा का ट्वीट देखना नहीं है। वह देखना चाहेंगे कि इसके खिलाफ पेटा में कोई अंतरराष्ट्रीय याचिका, किसी संसद में कोई प्रस्ताव या किसी तरह के बहिष्कार के लिए लॉबिंग कर पाने की हिम्मत है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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