जहाँ एक तरफ़ पूरी दुनिया रोहिंग्याओं पर हो रहे कथित अत्याचार की बात करती है और भारत में कई आपराधिक वारदातों में उनकी संलिप्तता पर चुप्पी साध लेती है, वहीं दूसरी तरफ रोहिंग्या ईसाइयों की बदहाल स्थिति पर कोई भी संगठन कुछ नहीं कहता। रोहिंग्या ईसाइयों के हक़ के लिए कोई आवाज़ नहीं उठाता, क्योंकि उन पर रोहिंग्या मुस्लमान ही अत्याचार कर रहे हैं। रोहिंग्या क्रिश्चियन रिफ्यूजी कमिटी इस सम्बन्ध में समय-समय पर आवाज़ उठाता रहा है। अपने ताज़ा ट्वीट में भी संगठन ने पूछा है कि रोहिंग्या लगातार रोहिंग्या
ईसाइयों के घरों व चर्चों को जला रहे हैं, फिर अंतरराष्ट्रीय समुदाय चुप क्यों है?
बांग्लादेश के कुटुपलोंग में रोहिंग्याओं ने न सिर्फ़ चर्च को लूटा बल्कि वहाँ रखी बाइबिल की पवित्र पुस्तकों को भी फाड़ कर बिखेड़ दिया। उन्होंने चर्च में रखे सारे सामान लूट लिए। ये घटना रविवार (जनवरी 26, 2020) की है, जिसे मीडिया द्वारा कवरेज नहीं दिया गया। ये घटना कुटुपलोंग के ब्लॉक 2 में स्थित चर्च में हुई। पिछले वर्ष मई में भी लगातार तीन दिन रोहिंग्या ईसाइयों को निशाना बनाया गया था।
Oh, human rights organizations, you who are working for Rohingya Muslims, see what they are doing to Rohingya Christians. Yesterday the R.M and ARSA destroyed Rohingya Christians’ houses and church. They lotted all of their goods and strewed Bibles and books in the church. pic.twitter.com/p6uu1pJhPw
— Rohingya Christian Refugee committee (@RohingyaCRC) January 27, 2020
नीचे आप एक अन्य चर्च की तस्वीर देख सकते हैं, जहाँ दिसंबर 2018 में धूमधाम से क्रिसमस का त्योहार मनाया गया था, लेकिन अब स्थिति इसके उलट है चर्च के नाम पर वहाँ एक तम्बू गड़ा हुआ है। चर्च को रोहिंग्याओं ने तोड़-फोड़ डाला। मार्च 27, 2019 को इस चर्च पर रोहिंग्याओं का कहर बरपा। इतना ही नहीं, वहाँ चर्च की जगह पर मस्जिद भी बना दिया गया।
This was their previous church and school, in it they celebrated Christmas in 2018. But the Rohingya Muslims demolished it on March 27, 2019 and built a mosque within one day. Here one picture is of church and another one is of the mosque. pic.twitter.com/CLrCGjYur8
— Rohingya Christian Refugee committee (@RohingyaCRC) January 28, 2020
रोहिंग्या मुस्लिम संगठन ARSA पर रोहिंग्या ईसाइयों को प्रताड़ित करने के आरोप लगे हैं। हाल ही में ARSA के हमले में 12 रोहिंग्या ईसाई गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनका इलाज हो रहा है। इनमें से कुछ के शरीर पर एसिड फेंक कर हमला किया गया। कुछ की सर्जरी की नौबत आन पड़ी। एक व्यक्ति को उसकी आँखों से दिखाई नहीं दे रहा। 26 जनवरी की रात ARSA ने 25 रोहिंग्या ईसाई परिवारों पर हमले किए। यहाँ तक कि बांग्लादेश सरकार भी इस मामले में ईसाइयों का साथ नहीं दे रही है। पीड़ितों में महिलाएँ एवं बच्चे भी शामिल हैं।
इस मामले में अभी तक किसी को हमलावर को पकड़ा नहीं जा सका है। तीन रोहिंग्या ईसाइयों के परिवार अभी भी गायब हैं। दक्षिणी-पूर्वी बांग्लादेश के कुटुपलोंग में जहाँ ये हमला हुआ, वहाँ रोहिंग्या ईसाइयों के कई कैम्प हैं। पुलिस इसे हेट क्राइम न मान कर सामान्य आपराधिक वारदात बता रही है।
हाल ही में संयुक्त राष्ट्र की प्रतिनिधि यांगी ली ने पीड़ित रोहिंग्या ईसाइयों से मुलाक़ात की और उनके कैम्पों का दौरा किया। रोहिंग्या ईसाइयों के संगठन ने उम्मीद जताई है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएँ उनकी बातों को उठाएँगी।