प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार (सितंबर 26, 2020) को संयुक्त राष्ट्र महासभा के 75वें सत्र को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा कि आज दुनिया अलग दौर से गुजर रहा है। पूरी दुनिया कोरोना महामारी से निपट रही है। उन्होंने कहा कि आज पूरे विश्व समुदाय के सामने एक बहुत बड़ा सवाल है कि जिस संस्था का गठन तब की परिस्थितियों में हुआ था, उसका स्वरूप क्या आज भी प्रासंगिक है?
Addressing the @UN General Assembly. https://t.co/dvWANn20Mg
— Narendra Modi (@narendramodi) September 26, 2020
पीएम मोदी ने कहा कि अगर हम बीते 75 वर्षों में संयुक्त राष्ट्र की उपलब्धियों का मूल्यांकन करें, तो अनेक उपलब्धियाँ दिखाई देती हैं। अनेक ऐसे उदाहरण भी हैं, जो संयुक्त राष्ट्र के सामने गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता खड़ी करते हैं। ये बात सही है कि कहने को तो तीसरा विश्व युद्ध नहीं हुआ, लेकिन इस बात को नकार नहीं सकते कि अनेकों युद्ध हुए, अनेकों गृहयुद्ध भी हुए। कितने ही आतंकी हमलों ने खून की नदियाँ बहती रहीं। इन युद्धों में, इन हमलों में, जो मारे गए, वो हमारी-आपकी तरह इंसान ही थे।
वो आगे कहते हैं कि पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहाँ है? संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रियाओं में बदलाव, व्यवस्थाओं में बदलाव, स्वरूप में बदलाव, आज समय की माँग है। भारत के लोग संयुक्त राष्ट्र के रिफॉर्म्स को लेकर जो प्रोसेस चल रहा है, उसके पूरा होने का लंबे समय से इंतजार कर रहे हैं। भारत के लोग चिंतित हैं कि क्या ये प्रोसेस कभी लॉजिकल ऐंड तक पहुँच पाएगा। आखिर कब तक भारत को संयुक्त राष्ट्र के डिसिजन मेकिंग स्ट्रक्चर से अलग रखा जाएगा।
Over the last 8 to 9 months, the whole world has been battling the pandemic of the Coronavirus. Where is the United Nations in this joint fight against the pandemic? Where is its effective response?: PM Modi addressing UNGA#ModiAtUN pic.twitter.com/e989NegUWH
— ANI (@ANI) September 26, 2020
वो लाखों मासूम बच्चे जिन्हें दुनिया पर छा जाना था, वो दुनिया छोड़कर चले गए। कितने ही लोगों को अपने जीवन भर की पूँजी गँवानी पड़ी, अपने सपनों का घर छोड़ना पड़ा। उस समय और आज भी, संयुक्त राष्ट्र के प्रयास क्या पर्याप्त थे? पिछले 8-9 महीने से पूरा विश्व कोरोना वैश्विक महामारी से संघर्ष कर रहा है। इस वैश्विक महामारी से निपटने के प्रयासों में संयुक्त राष्ट्र कहाँ है?
उन्होंने आगे कहा कि सिर्फ 4-5 साल में 400 मिलियन से ज्यादा लोगों को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। सिर्फ 4-5 साल में 600 मिलियन लोगों को ओपन डिफिकेशन से मुक्त करना आसान नहीं था। लेकिन भारत ने ये करके दिखाया। भारत की आवाज़ मानवता, मानव जाति और मानवीय मूल्यों के दुश्मन- आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, ड्रग्स, मनी लॉन्डरिंग के खिलाफ उठेगी।
पीएम मोदी ने कहा कि विश्व के सब से बड़े लोकतंत्र होने की प्रतिष्ठा और इसके अनुभव को हम विश्व हित के लिए उपयोग करेंगे। हमारा मार्ग जनकल्याण से जगकल्याण का है। भारत की आवाज़ हमेशा शांति, सुरक्षा, और समृद्धि के लिए उठेगी।
उन्होंने कहा, “विश्व के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के तौर पर आज मैं वैश्विक समुदाय को एक और आश्वासन देना चाहता हूँ। भारत की वैक्सीन प्रोडक्शन और वैक्सीन डिलिवरी क्षमता पूरी मानवता को इस संकट से बाहर निकालने के लिए काम आएगी। महामारी के इस मुश्किल समय में भी भारत की फार्मा इंडस्ट्री ने 150 से अधिक देशों को जरूरी दवाइयाँ भेजीं हैं।”
पीएम आगे कहते हैं, “भारत जब किसी से दोस्ती का हाथ बढ़ाता है, तो वो किसी तीसरे देश के खिलाफ नहीं होती। भारत जब विकास की साझेदारी मजबूत करता है, तो उसके पीछे किसी साथी देश को मजबूर करने की सोच नहीं होती। हम अपनी विकास यात्रा से मिले अनुभव साझा करने में कभी पीछे नहीं रहते। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। यह हमारी संस्कृति, संस्कार और सोच का हिस्सा है। संयुक्त राष्ट्र में भी भारत ने हमेशा विश्व कल्याण को ही प्राथमिकता दी है।”
महामारी के बाद बनी परिस्थितियों के बाद हम ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन को लेकर आगे बढ़ रहे हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान, ग्लोबल इकॉनमी के लिए भी एक फोर्स मल्टिप्लायर होगा। भारत में ये सुनिश्चित किया जा रहा है कि सभी योजनाओं का लाभ, बिना किसी भेदभाव, प्रत्येक नागरिक तक पहुँचे।
आज भारत अपने गाँवों के 150 मिलियन घरों में पाइप से पीने का पानी पहुँचाने का अभियान चला रहा है। कुछ दिन पहले ही भारत ने अपने 6 लाख गाँवों को ब्रॉडबैंड ऑप्टिकल फाइबर से कनेक्ट करने की बहुत बड़ी योजना की शुरुआत की है।