Friday, November 15, 2024
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‘पैगंबर का इत्र’ नाक से सटा मौलवी ने किया कोरोना का इलाज, 2 दिन के बाद मरीज और उसके 2 दोस्तों की मौत

मौलवी मोर्तेजा एक अस्पताल जाता है। कोरोनो वायरस मरीज सेक्शन का दौरा करता है। पैगबंर इत्र निकाल कर कोरोना रोगियों की नाक के नीचे लगाता है। मरीज-डॉक्टर-नर्स के साथ फोटो भी खिंचवाता है। 2 दिन के बाद पैगबंर इत्र सूँघे मरीज और उसके दो दोस्तों की मौत हो जाती है।

एक तरफ पूरा विश्व कोरोना की महामारी से जूझ रहा है। चिंता की बात यह कि अभी तक इसके ईलाज के लिए कोई कारगर दवा सामने नहीं आई है। इस बीच ईरान से एक हास्यास्पद खबर सामने आई है। दरअसल ईरान में लगातार बढ़ते कोरोना के मरीजों की संख्या के बीच कुछ मौलवी पैगंबर के इत्र और फूलों के तेल से इस्लामी चिकित्सा को बढ़ावा दे रहे हैं। ईरान के मौलवियों की मूर्खता से वहाँ लगातार कोरोना के मरीजों की संख्या और मौतों का आँकड़ा भी बढ़ता चला जा रहा है। हालाँकि अब ईरान के कुछ लोग इन इस्लामिक प्रचारकों पर कई तरह के सवाल भी खड़े कर रहे हैं।

द आब्जर्वर की खबर के मुताबिक ईरान में लगातार बढ़ते कोरोना के प्रकोप के बीच शुरुआत से ही कुछ लोग मौलवियों की तारीफ कर रहे हैं कि किस तरह से उन्होंने ऐसे समय में लोगों का सहायता की है, तो वहीं देश के कुछ लोग ईरान में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के लिए मौलवियों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। यहाँ तक कि आरोप भी लगा रहे हैं कि ये लोग इस्लामिक चिकित्सा को बढ़ावा दे रहे हैं।

बताया जा रहा है कि ईरान में सबसे पहले कोरोना का केस शिया मुस्लिमों के सबसे पवित्र शहरों में से एक, कोम से आया था। इसकी पहली घोषणा 19 फरवरी को आधिकारिक तौर पर की गई थी। हालाँकि तभी सार्वजनिक तौर पर अधिकारियों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने शहर को लॉकडाउन करने का आह्वान किया था, लेकिन धार्मिक कट्टरपंथियों ने शहर को लॉकडाउन करने से साफ इंकार कर दिया।

अब आप ईरान से ट्विटर पर डाली गई एक वीडियों में साफ तौर पर देख सकते हैं कि दो मौलवी सड़क पर चलती कारों पर छिड़काव कर रहे हैं, और इस छिड़काव से कोरोना के कीटाणुओं को मारने का दावा कर रहे हैं। अब केवल एक तरफ से कार को कीटाणुरहित करने का क्या मतलब है? इस वीडियो पर ईरान में कई लोगों ने तीखी टिप्पणी की।

अब आप ईरान की दूसरी घटना देखिए। एक तरफ तो विश्व के बड़े-बड़े देश इसकी दवा बनाने में नाकाम हैं वहीं एक इस्लामिक व्यक्ति पैगंबर इत्र से कोरोना वायरस के रोगियों को ठीक करने का दावा कर रहा है। इतना ही नहीं, ईरान के कोरोना वायरस संकट में चरमपंथी धार्मिक मौलवी कोरोना पीड़ितों के उपचार में पारंपरिक इस्लामी चिकित्सा का भी उपयोग कर रहे हैं।

दरअसल 21 मार्च को एक मौलवी मोर्तेजा कोहंसल ने उत्तरी ईरान के गिलान प्रांत के अंजली स्थित एक अस्पताल में कोरोनो वायरस मरीज सेक्शन का दौरा किया।
अपने इस दौरे में कोहंसल ने कुछ कोरोनो वायरस रोगियों के लिए इस्लामी उपाय लागू किया। दरअसल उसके हाथ में इत्र था, जिसे वह कोरोना रोगियों की नाक के नीचे लगा रहा था, जिसे उसने पैगबंर इत्र का नाम दिया। इतना ही नहीं, इस दौरान उसने वहाँ खड़े डॉक्टरों और नर्सों के साथ भी कुछ तस्वीरें लीं। गौर करने वाली बात यह कि कोहंसल ने जिस व्यक्ति के साथ फोटो ली थी, दो दिनों के बाद गिलान प्रांत में स्थानीय मीडिया में एक खबर छपी कि उस मोहसिन शरीफ की मौत हो चुकी है। वहीं दूसरी तस्वीरों में दिख रहे शरीफ के दो दोस्तों की भी मौत हो गई।

अंजली के स्थानीय प्रशासन ने मोर्तेजा कोहंसल के लिए गिरफ्तारी वॉरंट जारी कर दिया है। इसके बाद से ही आरोपित अपनी गिरफ्तारी से बचता घूम रहा है। आपको बता दें कि कई सालों से ईरान में धार्मिक कट्टरपंथियों ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान की आलोचना की है। इसके बजाय वहाँ इस्लामी उपायों के माध्यम से किसी भी बीमारी को ठीक करने का दावा किया जाता रहा है।

गौरतलब है कि इसके पहले ईरान में एक अफवाह बड़े स्तर पर फैली थी कि कि मेथनॉल (इंडस्ट्रियल अल्कोहल) पीने से कोरोना संक्रमण का इलाज हो सकता है। इसके सेवन से कोरोना के वायरस मर जाते हैं। बॉडी सैनिटाइज हो जाती है। इस अफवाह पर विश्वास कर कई लोगों ने जहरीली शराब का सेवन कर लिया। इसके बाद ये अफवाह लोगों के लिए जानलेवा साबित हो गई। इसके कारण 300 से अधिक लोग अपनी जान से हाथ धो बैठे और हजारों लोग अस्पताल में भर्ती हुए थे।

जानकारी के मुताबिक ईरान में कोरोना वायरस महामारी से मरने वालों की संख्या अब बढ़कर 3,036 हो गई है, जबकि इससे संक्रमित लोगों की संख्या 1 अप्रैल, 2020 तक 47593 हो गई है। हालाँकि ईरान की सरकार पर वास्तविक मौत के आँकड़ों को छिपाने का भी आरोप है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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