Sunday, December 22, 2024
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UN दफ्तर के बाहर प्रदर्शन, अमेरिकी सांसदों ने भी उठाई आवाज़: जान बचा कर निकले हिन्दुओं ने बताया – हमारे घरों पर किया हमला

एनजीओ ने बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा के खिलाफ बोलने के लिए कई अमेरिकी प्रतिनिधियों की प्रशंसा की।

बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के नाम पर जो उत्पात हो रहा है, उसकी आवाज पूरी दुनिया में सुनी जा रही है। बांग्लादेश में हिदुओं का सफाया हो रहा है, तो आवामी लीग के समर्थकों को भी मारा जा रहा है। पार्षद से लेकर सांसद तक मार दिए जा रहे हैं। भारत में हिंदू बांग्लादेशी हिंदुओं को बचाने की माँग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं, तो ये प्रदर्शन अब संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय तक पहुँच गया है। यही नहीं, भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने अमेरिकी सरकार से भी हस्तक्षेप की माँग की है कि वो बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए कोई कदम उठाए।

संयुक्त राष्ट्र के मुख्यालय पर प्रदर्शन

बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा की माँग करते हुए शनिवार (10 अगस्त 2024) को संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर बड़ी संख्या में लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व वॉशिंगटन स्थित एक एनजीओ हिंदू एक्शन ने किया। एनजीओ हिंदू एक्शन ने न्यूयॉर्क में भी कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया। एनजीओ ने बांग्लादेश में हिंदुओं को निशाना बनाकर की जा रही हिंसा के खिलाफ बोलने के लिए कई अमेरिकी प्रतिनिधियों की प्रशंसा की।

अमेरिकी रिपब्लिकन सांसद पैट फॉलन ने भी बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की और इनकी निंदा की। रिपब्लिकन सांसद पैट फॉलन ने कहा था, “मैं बांग्लादेश में चल रही राजनीतिक हिंसा और धार्मिक उत्पीड़न की कड़ी निंदा करता हूं। मैं अंतरिम सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह बांग्लादेशी लोगों के साझा हित में काम करे और इस हिंसा को तुरंत खत्म करे।” उन्होंने कहा, “हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों और किसी भी अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक को निशाना बनाना निंदनीय है। जिन लोगों ने हिंसा के इन कृत्यों को भड़काया और उनमें भाग लिया, उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए।” भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद श्रीथानेदार ने भी बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमले की घटनाओं पर कड़ी नाराजगी जाहिर की और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की।

भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को पत्र लिखकर उनसे देश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने में बांग्लादेशी सरकार की सहायता करने का आग्रह किया। कृष्णमूर्ति ने ब्लिंकन से अनुरोध किया कि वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस से बात करें और हिंसा को समाप्त करें तथा अपराधियों को न्याय के दायरे में लाएँ।

बांग्लादेश के जेसोर में होटल फूँका, 25 लोगों की मौत, बचकर भागे लोगों ने सुनाई आपबीती

इस बीच, बांग्लादेश में हो रही हिंसा से बचकर भारत भाग आए कुछ लोगों ने अपनी आपबीती भास्कर के साथ साझा की है। असम से बांग्लादेश अपने बिजनेस के सिलसिले में गए रजिउल इस्लाम बेहद बुरी हालत में भारत लौट पाए हैं। वो जेसोर में थे, जब साबिर होटल इंटरनेशनल पर बीएनपी के गुंडों और प्रदर्शनकारियों ने हमला बोल दिया। होटल साबिर इंटरनेशनल आवामी लीग के सांसद और पार्टी महासचिव शाहीन चकलाघर का है। दंगाइयों ने इस होटल में आग लगा दी। इस आग से बचकर निकले रजिउल ने बताया कि लोग डरे हुए थे, हर तरफ चीख पुकार मची थी। मैं और मेरे भाई ने रूप की खिड़की से छलाँग लगा दी।

रजिउल इस्लाम असम के हैं। उनके साथ उनका भाई भी बांग्लादेश से बचकर निकलने में सफल रहे। दोनों होटल साबिर इंटरनेशनल में थे, जब 5 अगस्त को भीड़ ने उन पर धावा बोला। दोनों के पैर टूट गए हैं। रजिउल ने कहा, “बांग्लादेश में हालात भयावह हैं। हर तरफ हिंसा हो रही है। मैं अपने भाई के साथ होटल की चौथी मंजिल पर था, जब साबिर इंटरनेशनल होटल को दंगाइयों ने फूँक दिया। भाई ने खिड़की से छलाँग लगा दी। कई अन्य लोगों ने भी लगाई। लोग टूट-फूट गए, लेकिन जिन कमरों में खिड़की नहीं थी, उनमें लोग बाहर नहीं निकल पाए। 2 दर्जन से ज्यादा लोगों की दम घुटने से मौत हो गई। अब हम कोलकाता जाकर अपना इलाज कराएँगे। हालत बेहद खराब है। हम बचकर आ गए, यही बहुत है।”

रजिउल इस्लाम अपने भाई के साथ जब असम पहुँचे, तो कुल 65 लोगों ने उनके साथ असम में एंट्री की। इनमें से कुछ बांग्लादेशी भी हैं। जो अवामी लीग पार्टी से जुड़े हुए हैं। बांग्लादेशी नागरिक रियाज भी उनमें से एक हैं। वो बिजनेस वीजा पर भाग निकले हैं। उन्होंने कहा कि आवामी लीग से जुड़े होने की वजह से बीएनपी के लोग उन्हें नुकसान पहुँचाते। बीवी-बच्चों और परिवार के पास वीजा नहीं है, तो वो वहीं फँसे हैं। किसी तरह से अभी जान बचानी प्राथमिकता है।

हिंदुओं और मंदिरों को बनाया गया निशाना

जेसोर में रहने वाले एक हिंदू परिवार ने अपनी पहचान छिपाते हुए बताया, “हमलावरों की भीड़ मेरे घर में घुस गई। वो करीब 15-20 लोग थे। हम पड़ोसी के घर में छिपे हुए थे। उन्होंने खिड़कियाँ तोड़ी और घर को तोड़ा। उन्होंने मंदिर तोड़े और हिंदुओं को निशाना बनाने के लिए ढूँढते रहे।” बता दें कि बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे लगातार अत्याचारों की वजह से बड़ी संख्या में पलायन की भी खबर आ रही है। भारत से लगी सीमा पर कई जगहों पर हिंदू पहुँचे हुए हैं और वो भारत में एंट्री के लिए अनुमति माँग रहे हैं। हालाँकि भारत सरकार ने एक बड़ी कमेटी का गठन किया है, जो इन मामलों पर नजर रख रही हैं।

बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अपराधों पर हिंदू-बौद्ध-ईसाई-ओइक्या परिषद के महासचिव राणा दासगुप्ता ने कहा, “भीड़ के निशाने पर सिर्फ सरकारी संस्थाएं और मुक्ति संग्राम की उपलब्धियाँ ही नहीं, बल्कि अल्पसंख्यक भी हैं। अल्पसंख्यकों पर देश के कई हिस्सों में हमले हुए। कालीगंज से लेकर खुलना तक हमले किए गए। मंदिरों-दुकानों को निशाना बनाया गया। जमीनों पर कब्जा किया जा रहा है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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