बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हमलों और उत्पीड़न की घटनाओं में हाल के महीनों में तेजी से इजाफा हुआ है, जो देश के बदलते सामाजिक और राजनीतिक माहौल का गहरा संकेत देता है। इस बीच, शुक्रवार (1 नवंबर 2024) के बाद शनिवार (2 नवंबर 2024) को भी बाँग्लादेश के चटगाँव में 30,000 से अधिक हिंदू प्रदर्शनकारियों ने सड़कों पर उतरकर अपनी सुरक्षा की माँग की।
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से हिंदू नेताओं पर लगाए गए राजद्रोह के आरोप वापस लेने की भी माँग की। उल्लेखनीय है कि इन आरोपों का सामना 19 हिंदू नेताओं को करना पड़ रहा है, जिनमें से कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है। ये आरोप तब लगे जब एक रैली के दौरान एक भगवा झंडा बांग्लादेश के झंडे के ऊपर फहराने की घटना हुई, जिसे सरकारी ध्वज का अपमान माना गया। हालाँकि हिंदू नेताओं का कहना है कि ये आरोप झूठे हैं और उनका उद्देश्य केवल समुदाय को डराना है।
Protection For Hindus Demanded By Thousands At Bangladesh Protests
— RT_India (@RT_India_news) November 2, 2024
Around 30k Hindus rallied in Chattogram, demanding protection from attacks and harassment & calling for sedition charges against community leaders to be dropped.
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शेख हसीना के खिलाफ प्रदर्शन के बाद जातीय पार्टी और उसके समर्थकों पर भी हमले बढ़े हैं। जातीय पार्टी का मुख्यालय हाल ही में उपद्रवियों द्वारा आग के हवाले कर दिया गया, जिसके बाद पार्टी प्रमुख जीएम क़ादिर ने हिंसा की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि जातीय पार्टी अपने अधिकारों के लिए शांतिपूर्ण रैली जारी रखेगी, भले ही इसके लिए उनके समर्थकों को खतरा झेलना पड़े।
बता दें कि प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से बाहर होने और एक इस्लामी कट्टरपंथी समर्थित अंतरिम सरकार के गठन के बाद से हिंदू, बौद्ध और अन्य अल्पसंख्यक समुदायों की सुरक्षा एक बड़े मुद्दे के रूप में उभरी है। बांग्लादेश में लगभग 170 मिलियन की आबादी है, जिसमें 91% मुस्लिम और मात्र 8% हिंदू हैं।
हालाँकि इस्लामिक कट्टरपंथी ताकतों के प्रभाव में बढ़ोतरी से हिंदू समुदाय की संख्या में तेजी से गिरावट आ रही है, जो चिंता का विषय है। इस बीच, यूनुस सरकार ने इस्लामिक कट्टरपंथियों को कानूनी कवच दे दिया है। शेख हसीना सरकार को गिराने वाले प्रदर्शनों और हिंदुओं को निशाना बनाने वाले मामलों में ऐसे कट्टरपंथियों पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की जाएगी।
हिंदू अल्पसंख्यकों की घटती जनसंख्या, उनके धार्मिक स्थलों और संपत्तियों पर हमलों की घटनाएँ बांग्लादेश में एक बड़े संकट का संकेत देती हैं। नए इस्लामी कट्टरपंथी सरकार के अधीन स्थिति और भी विकट हो रही है, क्योंकि ये ताकतें देश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा को बढ़ावा दे रही हैं और उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई भी नहीं कर रही है।