रटगर्स-नेवार्क (Rutgers-Newark) यूनिवर्सिटी द्वारा इतिहासकार ऑड्रे ट्रूस्के के हिन्दू विरोधी बयानों को ‘अकादमी स्वतंत्रता’ बता कर उसका बचाव करने के कुछ ही दिनों बाद अब यूनिवर्सिटी ने इस मामले में अपने कदम पीछे खींचे हैं और हिन्दुओं से माफ़ी माँगी है। यूनिवर्सिटी ने कहा है कि हिन्दू समुदाय से संचार में उसे दिक्कत आई और इस वजह से ग़लतफ़हमी हो गई। हालाँकि, इतिहासकार के ताज़ा बयानों को लेकर यूनिवर्सिटी ने चुप्पी साधे रखी है।
शुक्रवार (मार्च 12, 2021) को दिए गए बयान में यूनिवर्सिटी ने कहा कि वो हिन्दू समुदाय के सदस्यों का समर्थन करता है और अपने पिछले संदेशों को उन तक ठीक से न पहुँचा पाने के कारण ‘गंभीर रूप से माफ़ी’ माँगता है। रटगर्स-नेवार्क यूनिवर्सिटी ने कहा कि हिन्दू समुदाय के लोगों के साथ हुई बैठक में उसने इस ग़लतफ़हमी पर बात करते हुए फिर से माफ़ी माँगी है। उसने कहा कि ताज़ा घटनाओं में हिन्दुओं को जो ठेस पहुँची है, उससे वो दुःखी है।
— Rutgers-Newark (@Rutgers_Newark) March 12, 2021
यूनिवर्सिटी ने कहा, “समरसता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता में सारे धर्म शामिल हैं। एक व्यक्ति या समुदाय के रूप में आपके पास अपने धर्म और अपने चीजों को सेलिब्रेट करने का न सिर्फ अधिकार है, बल्कि स्वतंत्रता भी है।” ऑड्रे ट्रूस्के के बयानों का समर्थन करने वाले यूनिवर्सिटी ने कहा कि वो हिन्दुओं की समृद्ध और पवित्र परम्पराओं से परिचित है। उसने कहा कि हिन्दुओं को मिल रही धमकियों और गंदे संदेशों को खत्म होना चाहिए।
यूनिवर्सिटी ने कहा, “हम विश्वविद्यालय के छात्र नेताओं के प्रति कृतज्ञ हैं। उन्होंने आवाज़ उठाई और हिन्दू समुदाय की भावनाओं को हमारे समक्ष रखा। हम उनके साथ मिल कर एक ऐसे वातावरण के निर्माण के लिए कार्य करेंगे, जो हर धर्मों और संस्कृतियों को गले लगाएगा। स्वस्थ संचार व्यवस्था के लिए ये ज़रूरी है और कठिन भी।” पूरे बयान में इतिहासकार ऑड्रे ट्रूस्के के हिन्दू विरोधी बयान का कहीं जिक्र नहीं किया गया।
It’s very easy to make demands and spout venom and cynicism from behind a computer. It’s another thing to be in an actual conversation with people in power and compel them to see your point of view and actually begin a process. That is what happened today.
— Dr. Indu Viswanathan (@indumathi37) March 13, 2021
वहाँ के हिन्दू छात्र इस बयान से संतुष्ट नहीं हैं और उन्होंने कहा है कि ये तो शुरुआत है और लड़ाई और आगे जाएगी। कई हिन्दू छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रबंधन से मुलाकात करके ‘वामपंथी’ इतिहासकार ऑड्रे ट्रूस्के के प्रोपेगंडा से आगाह कराया। हिन्दू संस्थाओं के साथ मिल कर इस मामले पर काम कर रही इंदू विश्वनाथन ने कहा कि यूनिवर्सिटी के बयान में जो चीजें हैं, छात्रों के साथ बातचीत के दौरान उससे कहीं अधिक व्यापक चर्चा हुई थी।
बता दें कि छात्रों के एक समूह ने रटगर्स-नेवार्क विश्वविद्यालय (Rutgers-Newark University) को एक याचिका देते हुए विवादित इतिहासकार और प्रोफेसर ऑड्रे ट्रूस्के (Audrey Truschke) के खिलाफ हिंदू धर्म के अपमान के लिए कड़ी कार्रवाई करने के लिए आग्रह किया था, मगर संस्थान ने कार्रवाई करने के बजाय ‘हिंदू विरोधी’ टिप्पणी को ‘अकादमिक स्वतंत्रता’ बताते हुए इसे सही ठहरा डाला था।
प्रोफेसर ट्रुस्के ने मुगल राजा का यह कहकर बचाव किया कि उसने नष्ट करने की तुलना में अधिक हिंदू मंदिरों की रक्षा की और उसने मुगल राज्य के कुलीन स्तरों पर हिन्दुओं की भागीदारी बढ़ाई।” ऑड्रे ट्रूस्के का हिंदू-विरोधी रुख नया नहीं है। 2018 में, ‘प्रख्यात’ इतिहासकार ने यह दावा किया था कि भगवान राम को ‘अग्निपरीक्षा’ के दौरान देवी सीता ने एक ‘मेसोजिनिस्ट पिग’ कहा था। वो अक्सर हिन्दू विरोधी बयान देती रहती हैं।