पाकिस्तान अब खुलकर तालिबान के समर्थन में जश्न मना रहा है। जहाँ एक ओर इस्लामाबाद के मदरसे में बच्चों को ‘सलाम तालिबान’ के गीत पढ़ाए जा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (POK) में आतंकी संगठनों द्वारा तालिबान के समर्थन में रैलियाँ निकाली जा रही हैं।
पाकिस्तान द्वारा अक्सर अपनी जमीन का कट्टरपंथी उद्देश्यों के लिए उपयोग किया जाता रहा है। इसी क्रम में अब खबर आ रही है कि पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में लाल मस्जिद से जुड़े मदरसे में बच्चों से सलाम तालिबान के गीत पढ़वाए जा रहे हैं। पत्रकार समीर अब्बास ने ट्वीट करके कहा कि इस्लामाबाद की लाल मस्जिद से जुड़े मदरसे के बच्चों से “सलाम तालिबान” के गीत पढ़वा रहे हैं पाकिस्तानी कट्टरपंथी। अब्बास ने कहा कि पेशावर के सैनिक स्कूल में तालिबान के हमले में 132 बच्चों की दर्दनाक मौत भुलाकर जश्न मनवाया जा रहा है।
इस्लामाबाद की लाल मस्जिद से लिंक्ड मदरसे के बच्चों से “सलाम तालिबान” के गीत पढ़वा रहे हैं पाकिस्तानी कट्टरपंथी, पेशावर के सैनिक स्कूल में तालिबान के हमले में 132 बच्चों की दर्दनाक मौत भुलाकर जश्न मनवाया जा रहा है, बच्चों से. लानत है !! pic.twitter.com/m4cVbnlngM
— Samir Abbas (@TheSamirAbbas) August 22, 2021
दूसरी ओर पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर (POK) से आतंकी संगठनों द्वारा तालिबान के समर्थन में रैली निकलने की खबर भी सामने आई है। ज्ञात हो कि सोमवार (23 अगस्त 2021) को POK में तालिबान समर्थित रैली बुलाई गई, जिसमें पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी भी दिखाई दिए। इन्होंने तालिबान के समर्थन में हवाई फायरिंग भी की, साथ ही दोनों आतंकी संगठनों के नेताओं ने रैली को सम्बोधित भी किया।
हालाँकि, पाकिस्तान भले ही खुले तौर पर न सही लेकिन तालिबान का समर्थन जरूर कर रहा है। यहाँ तक कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री और कई अन्य मंत्री यह कह चुके हैं कि तालिबानी बुरे लोग नहीं हैं और वो केवल इस्लाम के अनुसार शासन चलाना चाहते हैं। इस्लामाबाद में ‘एकल राष्ट्रीय पाठ्यक्रम’ के उद्घाटन समारोह के दौरान पीएम इमरान खान ने तालिबानी शासकों द्वारा अफगानिस्तान पर कब्जे को उचित ठहराया था और कहा था कि अफगान के नागरिकों की मानसिक गुलामी की जंजीरें टूट गईं।
ज्ञात हो कि काबुल पर तालिबानी कब्जे के पहले भी जब अफगानी सेना और तालिबान के बीच संघर्ष छिड़ा हुआ था, तब भी कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह दावा किया गया था कि पाकिस्तान लगातार अफगानिस्तान में अस्थिरता लाना चाहता है और इसके लिए वह तालिबान की सहायता कर रहा है। कई पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी, तालिबान के साथ अफगानी इलाकों में कब्जा करने की मुहिम में शामिल थे।