आज से तीन महीने पहले एक शख्स ने स्वीडन के स्टॉकहोम की सबसे बड़ी सेंट्रल मस्जिद के सामने मुस्लिमों की मजहबी किताब कुरान को पैरों तले कुचलने के बाद जला दिया था। ये दिन 28 जून 2023 दिन बुधवार था। उसी दिन मुस्लिमों का त्योहार ईद-उल-अजहा यानी बकरीद था। इस घटना के बाद दुनिया भर में इसकी निंदा की गई थी।
यहाँ तक कि पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन NATO की में स्वीडन की सदस्यता देने की बात भी बिगड़ती नजर आई। इस घटना के बाद तुर्किए सहित दुनिया के तमाम मुस्लिम मुल्कों और इस्लामी संगठनों ने इसका कुरान जलाने का पुरजोर विरोध किया। जब शख्स ने कुरान जलाने का ऐलान किया था, तभी से उसका विरोध शुरू हो गया था।
हालाँकि, ऐसा नहीं था कि इससे पहले स्टॉकहोम में कुरान नहीं जलाई गई। इससे पहले भी कुरान जली थी, लेकिन इस बार खास बात कुरान जलाने शख्स को लेकर थी। ऐसा करने वाला इराकी मूल का शख्स था। धमकियों के बाद भी इराकी शरणार्थी सलवान मोमिका नाम का यह शख्स कुरान जलाने से पीछे नहीं हटा। उसने एक बार फिर ऐसा किया है।
37 साल के मोमिका ने राजधानी स्टॉकहोम में पाकिस्तानी दूतावास के सामने 28 अगस्त 2023 को कुरान की प्रति जलाई। इस दौरान एक पाकिस्तानी शख्स ने उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन वो नहीं रुका। यहाँ तक की इस पाकिस्तानी शख्स ने उससे कहा, “मैं बीमार हूँ, मैं रात को सो नहीं पाता।” इसके बाद भी मोमिका ने कुरान को आग लगा दी।
‘कुरान क्यों जला रहे हो?’
तुर्किए की अनादोलु न्यूज एजेंसी के मुताबिक, स्वीडन के पाकिस्तानी दूतावास के बाहर जब सलवान कुरान को आग के हवाले कर रहे थे तो पाकिस्तानी नागरिक मलिक शाहजा फूट-फूट कर रो पड़े। उन्होंने कहा, “मेरी बाइपास सर्जरी हुई है। बार-बार कुरान क्यों जला रहे हैं? मुझे ये सब देखकर रातों को नींद नहीं आती है।” दरअसल शाहजा यूरोप में कुरान की बेइज्जती से खासे दुखी थे।
सुरक्षा घेरे के पीछे खड़े शाहज़ा ने मोमिका को चिल्लाकर अपने इस काम पर दोबारा विचार करने के लिए कहा। रोते हुए उन्होंने कहा, “कृपया कुरान को मत जलाएँ। आप जो कर रहे हैं, वह ठीक नहीं है। मुझे अच्छा महसूस नहीं हो रहा है। मुझे नींद नहीं आ रही है।”
A Pakistani national, Malik Shahza, who was subjected to police intervention while he was trying to prevent the burning of the Qur'an in tears in the capital of Sweden, Stockholm, said that these attacks made him lose his sleep. pic.twitter.com/6YJVeDPLm7
— Muhammad Hamza (@HamzaBinNazeer1) August 29, 2023
शाहजा ने कहा, “मैं एक ऐसा शख्स हूँ, जिसकी बाईपास सर्जरी हुई है। आप लगातार कुरान को क्यों जला रहे हैं? आप पाकिस्तानी दूतावास, जिसे मैं अपना घर मानता हूँ, वहाँ क्यों आ रहे हैं और कुरान जला रहे हैं? मैं बीमार हूँ, मुझे नींद नहीं आ रही है। कृपया इसे खत्म करें। पुलिस इसकी मंजूरी क्यों दे रही है?”
इस मामले में पुलिस ने तुरंत दखल देकर शाहज़ा को चुप करा दिया और उसे थोड़ी देर के लिए हिरासत में लेकर इलाके से दूर ले गई। रिहा होने के बाद शहज़ा ने अनादोलु से कुरान जलाने की इन घटनाओं से उनके सेहत पर पड़ने वाले गहरे प्रभाव और कार्रवाई की गुहार के बारे में बात की।
उन्होंने कहा कि स्वीडिश राजनेताओं को कुरान जलाने की घटनाओं को रोकने की जरूरत है। दुनिया भर से विरोध में प्रतिक्रियाएँ आ रही हैं और यह स्वीडन के लिए अच्छा नहीं है। हालाँकि, इससे मोमिका को कोई फर्क नहीं पड़ा। कुरान जलाने के काम के बाद पुलिस उन्हें एक बख्तरबंद वाहन में लेकर घटनास्थल से चली गई।
क़ुरान को बैन करने के पक्षधर हैं सलवान
सलवान मोमिका की उम्र 37 साल है और वो कई साल पहले इराक़ से भागकर स्वीडन आ गए थे। मोमिका फेसबुक पर खुद को ‘प्रबुद्ध राजनीतिज्ञ, विचारक, लेखक और एक आजाद नास्तिक’ बताते हैं। वह कई सोशल मीडिया साइटों- खासकर टिकटॉक और फेसबुक पर एक्टिव हैं।
हालाँकि, उनके सभी अकाउंट स्वीडन में शरणार्थी का दर्जा मिलने के बाद बनाए गए थे। मोमिका ने दर्जनों वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किए हैं, जिनमें अक्सर हैशटैग के रूप में अरबी में बहुसंख्यक मुस्लिम देशों के नाम होते हैं। वह कहते हैं कि उनका विरोध धर्म के बारे में उनकी भावनाओं को दर्शाता है।
उन्होंने स्टॉकहोम की ग्रैंड मस्जिद के बाहर कुरान जलाने के दूसरे दिन 30 जून गुरुवार को स्वीडिश अखबार एक्सप्रेसन से बात की थी। उस दौरान मोमिका ने कहा था कि उन्हें पता था कि उनकी कार्रवाई से भड़काऊ प्रतिक्रिया मिलेंगी और उन्हें मौत की हजारों धमकियाँ मिली हैं।
सलवान मोमिका ने ये भी कहा था कि वो आने वाले हफ्तों में वो स्टॉकहोम में इराकी दूतावास के सामने इराकी झंडा और कुरान जलाएँगे। उन्होंने इसे भी कर दिखाया। हालाँकि, मोमिका ने इस बात से इनकार किया कि उनकी हरकतें ‘नफरती जुर्म’ या ‘किसी समूह के खिलाफ आंदोलन’ थीं।
मोमिका ने अखबार को बताया था, “पुलिस को यह जाँच करने का हक है कि कुरान जलाना एक नफरती अपराध है या नहीं। वे सही हो सकते हैं और वे गलत भी हो सकते हैं।” उन्होंने कहा था कि आखिर में फैसला अदालत को करना होगा।
जून में कुरान जलाने के बाद मोमिका को लेकर ये भी बताया गया कि वह स्वीडिश अति-राष्ट्रवादी पार्टी का सदस्य था। इसके बाद इराक में मोमिका के अतीत के वीडियो सामने आने लगे। इस फ़ुटेज में उसे ईरान से घनिष्ठ संबंध रखने वाले एक इराकी मिलिशिया की वर्दी पहने हुए दिखाया गया है।
उन्होंने 2014 में इराक में एक राजनीतिक पार्टी, सिरियाक डेमोक्रेटिक यूनियन पार्टी और साथ ही उससे जुड़े मिलिशिया की स्थापना की थी। ये एक ऐसी मिलिशिया थी, जिस पर युद्ध अपराधों का आरोप लगा है। इसे कुख्यात आतंकी संगठन ‘इस्लामिक स्टेट’ (IS) से लड़ने के लिए स्थापित किया गया था। बाद में इसे इराक के कई अन्य समूहों के साथ जोड़ा गया।
इसमें शिया मुस्लिम वाले मिलिशिया भी शामिल थे। इसके अलावा, पड़ोसी ईरान का समर्थन करने वाले कुर्द मिलिशिया भी शामिल थे। ये अधिक नास्तिक और कम्युनिस्ट एजेंडे का समर्थन करते हैं। इराकी पत्रकारों ने लिखा कि मोमिका ने एक अन्य ईसाई मिलिशिया के नेता के साथ सत्ता संघर्ष के कारण देश छोड़ दिया।
ऐसा माना जाता है कि मोमिका ने एक समय मौलवी अल-सदर का समर्थन किया था और फिर इराक में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में भी भाग लिया था। ये भी सामने आया है कि स्वीडन की नागरिकता के लिए उनकी दरख़्वास्त नामंजूर होने के कुछ ही महीनों बाद मोमिका ने कुरान जलाने की घटना को अंजाम दिया था।
मूल रूप से उत्तरी इराकी राज्य निनावा के ईसाई संप्रदाय से ताल्लुक रखने वाले सलवान मोमिका अप्रैल 2018 में स्वीडन पहुँचे थे। उन्हें तीन साल बाद अप्रैल 2021 में शरणार्थी का दर्जा मिला। मोमिका के पास तीन साल का रेजीडेंसी परमिट है, जो अप्रैल 2024 में खत्म होगा।
क्या होगा मोमिका का?
इराक खुद मोमिका को स्वीडन से प्रत्यर्पित करना चाहता है, ताकि इराकी कानून के तहत उस पर मुकदमा चलाया जा सके। स्वीडन के उलट इराक में ईशनिंदा कानून है। इसके तहत उसे तीन साल तक की जेल की सजा हो सकती है। दूसरी तरफ स्वीडन में ईशनिंदा कानून नहीं है। यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देने वाला देश है।
बताते चलें कि जून के आखिर में स्वीडिश पुलिस ने कुरान जलाकर नफरत फैलाने के आरोप में मोमिका के खिलाफ प्रारंभिक आरोप दायर किया था। स्वीडिश पुलिस ने कहा था कि मोमिका ने एक मस्जिद के बाहर कुरान को जलाया। इसे एक समूह के खिलाफ उकसावे के रूप में समझा जा सकता है।
پیاوی خراپ وبێ رەوشت وەک سەلوان مۆمیکا حەقە ریسوای دونیا وقیامەتیش بێت …
— Ano Abdoka ܐܢܘ 𒀭آنو (@AnoAbdoka) July 20, 2023
خاوەن مارکتێکی مەسیحی لە ولاتی سوید ئەم نەخۆشەی سەلوان مۆمیکا لە مارکیتی خۆی دەردەکات وقبوول ناکات هیچ شتی لۆی بفرۆشی وپێ دەلیێ: "من مەسیحیم وخەلکی عێراقم وهەلسوکەوتەکانی تۆ پێم قبوول نی یە، تۆ کەسێکی… pic.twitter.com/4MqPa3gY4k
कुरान जलाने की घटनाओं के बाद मोमिका का जीवन कठिन हो गया है। उन्हें पहले भी कई बार जान से मारने की धमकी मिल चुकी है। मोमिका पहले स्टॉकहोम के बाहर एक छोटे शहर में रहते थे। लोकल मीडिया के मुताबिक, अब उन्हें एक ‘गुप्त स्थान पर’ सुरक्षित रखा जा रहा है।
कब-कब जलाई मोमिका ने कुरान?
डॉयचे वेले में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, स्वीडन के सरकारी मीडिया में बताया गया है कि जून में कुरान जलाने के लिए सलवान मोमिका ने इजाज़त माँगी थी। वो चाहते थे कि क़ुरान को बैन कर दिया जाए। इसको लेकर पूरी मुस्लिम दुनिया में बौखलाहट फैल गई थी। कई इस्लामी देशों ने विरोध में स्वीडन से अपने राजनयिक बुला लिए।
तब उन्होंने कहा था, ”मैं अभिव्यक्ति की आजादी की अहमियत पर ध्यान दिलवाना चाहता था। ये लोकतंत्र है और अगर वो ये कहेंगे कि हम ऐसा नहीं कर सकते हैं तो ये खतरे में है।” गौरतलब है कि स्वीडन में बोलने की आज़ादी का ऐतिहासिक और बुनियादी हक 1766 से चला आ रहा है और इसकी रक्षा करने के लिए इस देश के पास दुनिया का सबसे मजबूत कानून है।
पुलिस केवल तभी किसी विरोध प्रदर्शन को मंजूरी देने से इनकार कर सकती है, जब प्रदर्शन से सार्वजनिक स्थल पर बड़ी गड़बड़ी या प्रदर्शनकारियों को खतरा पैदा होने का अंदेशा हो। स्वीडन में कुरान जलाने की घटनाओं पर प्रधानमंत्री क्रिस्टर्सन ने कहा था कि वो इस तरह की घटनाओं से चिंति हैं, लेकिन इसकी इजाजत देने के लिए लगातार दरख़ास्त मिल रही थीं।
जून के बाद 20 जुलाई गुरुवार को स्टॉकहोम में इराकी दूतावास के बाहर खड़े मोमिका ने कुरान को लात मारी और इराकी झंडे से जूते साफ किए थे। उन्होंने प्रमुख इराकी मौलवी मुक्तदा अल-सद्र और ईरान के धार्मिक नेता मुहम्मद अली खामेनेई की तस्वीरों पर भी अपने पैर पोछे थे।
इसके विरोध में इराक की राजधानी बगदाद में प्रदर्शन हुए और स्वीडन के दूतावास में तोड़फोड़ एवं आगजनी की गई थी। विरोध में इराक ने स्वीडन के राजदूत को वापस भेज अपने राजनयिक को भी वापस बुला लिया था।
Iraq still needs a crash course in crisis management. This is such a disaster.
— Rasha Al Aqeedi (@RashaAlAqeedi) July 20, 2023
One disturbed irrelevant individual who no longer resides in Iraq dragged the entire country into a diplomatic crisis with the EU. https://t.co/g9W6yJLzvA
समाचार एजेंसी एएफपी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार 31 जुलाई को स्वीडन की संसद के सामने सलवान मोमिका और सलवान नजेम ने कुरान को जलाने से पहले उसे पैरों से रौंदा था। तब मीडिया से नजेम ने कहा था कि वो दोनों चाहते हैं कि स्वीडन में इस्लामी किताब कुरान को बैन किया जाए। उन्होंने कहा था, “जब तक कुरान बैन नहीं किया जाता, मैं इसे बार-बार जलाऊँगा।”
ये घटना स्वीडन के प्रधानमंत्री उल्फ क्रिस्टर्सन के कुरान जलाने वालों को चेतावनी देने के बाद हुई थी। इस दौरान वहाँ ये एक हफ्ते के अंदर तीसरा प्रदर्शन था। इस पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने स्वीडन और डेनमार्क की खासी आलोचना की थी।
दरअसल, तब डेनमार्क में भी डांस्के पैट्रियटर ने एक शख्स के कुरान जलाने और इराकी झंडे को पैरों से रौंदने का वीडियो जारी किया था। 28 अगस्त को फिर से सलवान मोमिका ने स्वीडन में पाकिस्तानी दूतावास के बाहर कुरान जलाई है।