Sunday, November 17, 2024
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भारत को जापान-इजरायल एवं NATO सहयोगियों जैसा दर्जा दे अमेरिका: रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो ने पेश किया ‘यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट’ बिल

इस विधेयक में विदेश मंत्री को भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत करने का भी प्रस्ताव है, ताकि सैन्य सहयोग बढ़ाया जा सके, दो वर्षों के लिए भारत को अतिरिक्त रक्षा सामग्री शीघ्र भेजी जा सके और भारत को अन्य सहयोगियों के समान दर्जा दिया जा सकेृ तथा नई दिल्ली के साथ अंतर्राष्ट्रीय सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण सहयोग का विस्तार किया जा सके।

अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो ने 25 जुलाई को कॉन्ग्रेस में एक विधेयक पेश कर भारत को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में जापान, इज़राइल, कोरिया और नाटो सहयोगियों के बराबर दर्जा देने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, विधेयक में यह भी कहा गया है कि अगर यह साबित हो जाता है कि पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित किया है तो उसकी सुरक्षा सहायता रोकी जाए।

सीनेटर रुबियो ने भारत की चिंताओं को रेखांकित करते हुए अपने विधेयक में भारत की क्षेत्रीय अखंडता का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि भारत की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर बढ़ते खतरों को देखते हुए भारत का हर स्तर पर समर्थन किया जाना चाहिए। सीनेटर मार्को रुबियो ने सोशल मीडिया साइट एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर अपनी बातें रखीं।

फ्लोरिडा के सीनेटर मार्को रुबियो ने कहा, “मैंने यूएस-इंडिया डिफेंस कोऑपरेशन एक्ट बिल पेश किया है। भारत के साथ अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए, यह जरूरी है कि हम नई दिल्ली के साथ अपने रणनीतिक संबंधों को बढ़ाएँ। कम्युनिस्ट चीन की आक्रामकता का सामना कर रहे भारत को सर्वश्रेष्ठ समर्थन देने के लिए एक बिल पेश किया गया है।”

रिपब्लिकन नेता रुबियो ने कहा, “कम्युनिस्ट चीन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने क्षेत्र का आक्रामक रूप से विस्तार जारी रख रहा है और वह हमारे क्षेत्रीय भागीदारों की संप्रभुता और स्वायत्तता को बाधित करना चाहता है। इन दुर्भावनापूर्ण चालों का मुकाबला करने में अमेरिका के लिए अपना समर्थन जारी रखना महत्वपूर्ण है। क्षेत्र के अन्य देशों के साथ, भारत इसमें अकेला नहीं है।”

विधेयक में वामपंथी चीन के प्रभाव से निपटने में अमेरिका-भारत सहयोग के महत्व पर जोर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि इस सहयोग को मजबूत करने के लिए नई दिल्ली के साथ अमेरिका द्वारा रणनीतिक, राजनीतिक, आर्थिक और सैन्य संबंधों में सुधार करना आवश्यक और बेहद महत्वपूर्ण है।

इस विधेयक में एक ‘नीति निर्धारित किया जाएगा जिसमें कहा जाएगा कि संयुक्त राज्य अमेरिका भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए बढ़ते खतरों के जवाब में भारत का समर्थन करेगा। इसके साथ ही विरोधियों को रोकने के लिए भारत को आवश्यक सुरक्षा सहायता प्रदान करेगा और रक्षा, नागरिक अंतरिक्ष, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा और आर्थिक निवेश पर भारत के साथ सहयोग करेगा।’

अगर यह बिल पास हो जाता है तो यह भारतीय सेना द्वारा वर्तमान में उपयोग किए जा रहे रूसी उपकरणों की खरीद के लिए CAATSA प्रतिबंधों से उसे सीमित छूट मिल जाएगी। विधेयक में यह प्रस्ताव है कि भारत को रक्षा सामग्री, रक्षा सेवाएँ, डिजाइन और निर्माण सेवाएँ तथा प्रमुख रक्षा उपकरण बेचने के लिए प्रस्ताव पत्रों के प्रमाणन पर शीघ्र विचार करना अमेरिकी हितों के अनुरूप है।

इसके साथ ही इसमें यह भी कहा गया है कि आगामी खतरों को रोकने की भारत की क्षमता शांति और स्थिरता के हित में है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विधेयक में भारत के साथ वैसा ही व्यवहार करने का प्रस्ताव रखा गया है जैसे कि वह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के मामले में जापान, इजरायल, कोरिया और नाटो सहयोगियों जैसे अमेरिकी सहयोगियों के समान दर्जा रखता हो।

इस विधेयक में विदेश मंत्री को भारत के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर करने के लिए अधिकृत करने का भी प्रस्ताव है, ताकि सैन्य सहयोग बढ़ाया जा सके, दो वर्षों के लिए भारत को अतिरिक्त रक्षा सामग्री शीघ्र भेजी जा सके और भारत को अन्य सहयोगियों के समान दर्जा दिया जा सकेृ तथा नई दिल्ली के साथ अंतर्राष्ट्रीय सैन्य शिक्षा एवं प्रशिक्षण सहयोग का विस्तार किया जा सके।

अगर यह विधेयक पारित हो जाता है तो पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है। इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ आतंकवाद और छद्म आतंकी समूहों के इस्तेमाल पर कॉन्ग्रेस के समक्ष एक रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए। इसके अलावा, आतंकवाद प्रायोजित करते हुए पाए जाने पर पाकिस्तान को सुरक्षा सहायता से वंचित करने का प्रस्ताव है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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