Friday, November 15, 2024
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हिजाब से नहीं ढके पूरे बाल, इसलिए बुरी तरह पीटा: ईरान में 22 साल की लड़की को पुलिस ने कोमा में पहुँचाया, ब्रेन डेड होने के बाद मौत; कई औरतें अब भी हिरासत में

बता दें कि 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में नौ साल से अधिक उम्र की ईरानी महिलाओं और लड़कियों के लिए सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनना अनिवार्य हो गया है। हालाँकि, ईरान की महिलाएँ इस तरह के प्रतिबंध का मुखरता से विरोध करती रही हैं। कई ईरानी महिलाओं ने इस प्रतिबंध को तोड़ा भी है।

गलत तरीके से हिजाब पहनने के नाम पर ईरान (Iran) की मोरल पुलिस द्वारा पिटाई के कारण कोमा में गई 22 साल की महसा अमिनी (Mahsa Amini) की शुक्रवार (16 सितंबर 2022) को राजधानी तेहरान में मौत हो गई। पिटाई के कारण कोमा में जाने के बाद अमिनी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

इससे पहले 13 सितंबर को अमिनी को गिरफ्तार किए जाने के कुछ घंटों बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। तेहरान की मोरल पुलिस ने अपने बालों को पूरी तरह नहीं ढँकने का आरोप लगाकर उसे गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद उसे उसे एक हिरासत केंद्र में लेकर बुरी तरह पीटा गया था।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, घटना 13 सितंबर की है। ईरान के साघेज की रहने वाली अमिनी अपने भाई कैरश के साथ तेहरान गई थी। दोनों जब शहीद हघानी एक्सप्रेसवे के पास पहुँचे, तभी ‘नैतिकता पुलिस’ पहुँची और अमिनी को एक घंटे की ‘री-एजुकेशन क्लास’ के लिए गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस युवती को वोजारा एवेन्यू के थाने ले गई, जहाँ पहले से ही दर्जनों महिलाओं को देश के अनिवार्य हिजाब नियमों का पालन नहीं करने के लिए कैद करके रखा गया था। वहाँ मोरल पुलिस ने महिलाओं को पीटा और उन्हें देश के हिजाब के नियमों के बारे में बताया।

महिला को थाने ले जाया गया: भाई का आरोप

पीड़िता के भाई कैरश ने आरोप लगाया कि पुलिस वैन ने उसकी बहन का रास्ता रोककर उसका अपहरण कर लिया। जब कैरश ने अपनी बहन को बचाने की कोशिश की तो पुलिस ने उसके साथ भी मारपीट की और उसका हाथ मोड़ दिया। इसके बाद उन्हें बताया गया कि उनकी बहन को हिरासत केंद्र ले जाया जा रहा है।

इसके बाद कैरश पुलिस वैन के पीछे-पीछे वोजारा एवेन्यू तक गए और वहाँ उन्होंने देखा कि 60 से 70 लोग हिरासत में रखी महिलाओं के लिए कपड़े ले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने कुछ महिलाओं को हिरासत केंद्र से रिहा होते देखा, जबकि अंदर से अन्य महिलाएँ जान बचाने के लिए चिल्ला रही थीं।

कैरश ने बताया, “हम सभी दरवाजे पीट रहे थे। अचानक एजेंट इमारत से बाहर निकल आए और हम पर डंडों और आँसू गैस के गोले दागे। मेरा पूरा शरीर काला और नीला पड़ गया है और मेरी आँखें कल रात से जल रही हैं। पाँच मिनट बाद एक एम्बुलेंस इमारत से निकली। उनमें से हर एक ने कहा कि अंदर किसी को मार दिया गया है।”

उन्होंने कहा कि पुलिस ने उनसे झूठ बोला और कहा कि पुलिस जवान में से एक घायल हो गया। वहीं, रिहा की गई महिलाओं में से एक ने कैरश को बताया कि अमिनी घायल हो गई थी और घटना के समय वह उसके साथ थी। पुलिस ने पीड़िता को कसरा अस्पताल पहुँचाया। इसके बाद कैरश अस्पताल पहुँचे।

अस्पताल में उनसे डॉक्टरों ने बताया कि पीड़िता को दिल का दौरा पड़ा था। उसका दिल धड़कता रहा, लेकिन दिमाग काम नहीं कर रहा था। ईरान वायर से बात करते हुए कैरश ने बताया कि पिटाई और बाद में चिकित्सा उपचार में देरी ने उसकी बहन की जान ले ली।

महसा अमिनी के परिवार पर निगरानी

सोशल मीडिया पर महसा अमिनी के कोमा में जाने की खबरें आने पर सुरक्षा अधिकारियों को अस्पताल बुलाया गया। मृतक का परिवार भी मंगलवार रात से पुलिस की निगरानी में है, जबकि अस्पताल में एक पुलिस अधिकारी ने यह वादा किया था कि महसा के हमलावर की जाँच की जाएगी।

कार्रवाई को लेकर कैरश ने कहा, “उन्होंने मुझे एक पत्र दिया और मुझसे कहा कि मैं वोजारा एवेन्यू स्थित मुख्यालय में जाकर अपनी शिकायत दर्ज कराऊँ। अगर मैंने अपने घर में किसी को मार डाला तो यह मेरे पिता से हत्यारे का नाम पूछने जैसा है। मैं चुप नहीं रहूँगा। मैं ईरान में सबको बताऊँगा कि क्या हुआ।”

युवती दिल की बीमारी से ग्रसित थी: तेहरान पुलिस

रिपोर्ट्स में कहा गया है कि पुलिस मामले को छिपाने की कोशिश कर रही है। गुरुवार को तेहरान पुलिस ने एक बयान जारी कर कहा कि महसा अमिनी पहले से ही दिल की बीमारी से पीड़ित थी। पुलिस ने दावा किया कि युवती को हिरासत केंद्र में पीटा नहीं गया था।

बयान में कहा गया है, “एक महिला को शिक्षा और मार्गदर्शन के लिए ग्रेटर तेहरान पुलिस के एक परिसर में ले जाया गया था। वहाँ अचानक उसे दिल की समस्या का सामना करना पड़ा। पुलिस और आपातकालीन सेवाओं के सहयोग से महिला को तुरंत अस्पताल ले जाया गया और उसका इलाज कराया गया।”

बता दें कि 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद ईरान में नौ साल से अधिक उम्र की ईरानी महिलाओं और लड़कियों के लिए सार्वजनिक रूप से हिजाब पहनना अनिवार्य हो गया है। हालाँकि, ईरान की महिलाएँ इस तरह के प्रतिबंध का मुखरता से विरोध करती रही हैं। कई ईरानी महिलाओं ने इस प्रतिबंध को तोड़ा भी है।

हाल के महीनों में ईरान में राज्य-प्रायोजित मोरल पुलिस का महिलाओं पर उनकी पोशाक को लेकर दबाव बढ़ा है और उन्हें मारने-पीटने की घटनाएँ भी बढ़ी हैं। मोरल पुलिस और जेलों में महिलाओं के साथ होने वाली प्रताड़ना और शोषण की बहुत कम जानकारी बाहर आ पाती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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