यूनाइटेड अरब अमीरात की प्रिंसेस हेंड अल कासिमी ने एक व्यक्ति को इसीलिए देश से बाहर निकाल फेंकने की धमकी दी, क्योंकि उसने तबलीगी जमात के उन लोगों का बचाव न करने की सलाह दी थी, जिन्होंने दुनिया भर के कई देशों में कोरोना का संक्रमण फैलाया। भारत में भी दिल्ली के निजामुद्दीन स्थित मरकज़ मस्जिद में हज़ारों जमाती जुटे थे, जो लॉकडाउन के बावजूद मजहबी कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे थे। इसके बाद वो कई राज्यों में फ़ैल गए, जिससे कोरोना का संक्रमण देश भर में तेज़ गति से फैला।
सौरभ उपाध्याय नामक व्यक्ति ने लिखा था कि मजहब विशेष को तबलीगी जमात वालों को बचाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। उन्होंने लिखा कि जो क्षति पहुँचाई गई है, वो हो चुका है और आप कम से कम इसको स्वीकार कर के इसकी निंदा तो कर ही सकते हैं। उन्होंने लोगों को इस्लामी कट्टरपंथियों की तरह व्यवहार न करने की सलाह दी। उन्होंने ये भी याद दिलाया कि कोई भी हिन्दू आसाराम के अपराधों का बचाव नहीं करता। उपाध्याय ने मौलाना साद को आतंकी बताते हुए सलाह दी थी कि उनके तलवे चाटना बंद करें।
एक अन्य ट्वीट में उपाध्याय ने पूछा कि ‘शांतिदूतों’ और थूकने में क्या कनेक्शन है? उन्होंने पूछा था कि क्या ये 2020 में जिहाद के लिए एक नया तरीका गढ़ा गया है? सौरभ ने लिखा कि उन्हें लगता है कि ‘वो’ अभी भी 1400 साल पहले ही अटके हुए हैं और वो विकास को जरा भी पसंद नहीं करते। इसी बात पर अपना गुस्सा जाहिर करते हुए यूएई की प्रिंसेज ने कहा कि ये रेसिज्म और भेदभाव को बढ़ावा देने वाला ट्वीट है। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को सज़ा दी जाएगी और उन्हें देश छोड़ने को कहा जाएगा।
Anyone that is openly racist and discriminatory in the UAE will be fined and made to leave. An example; pic.twitter.com/nJW7XS5xGx
— Princess Hend Al Qassimi (@LadyVelvet_HFQ) April 15, 2020
दरअसल, खाड़ी देशों में लोगों को इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगा कर सज़ा दिलवाने की कोशिश की जाती है। भारतीय कट्टरपंथियों के एक खास वर्ग द्वारा हिंदुओं को निशाना बनाने का भयावह प्रयास चल रहा है। ये वर्ग खास तौर पर खाड़ी देशों में रहने वाले हिंदुओं को निशाना बना रहे हैं।