यूक्रेन और रूस के बीच चल रही जंग में एक नया खुलासा हुआ है। खबर है कि रूस ने एक दस्तावेज पब्लिश किया है जिसमें बताया गया है कि यूक्रेन ने अमेरिका द्वारा पोषित प्रयोगशालों की मदद से, रूसी सीमा पर जैविक हथियार जैसे एंंथ्रेक्स और प्लेग बनाने पर काम किया। जानकारी के मुताबिक, ये प्रयास जैविक हथियारों पर यूएन निषेध के अनुच्छेद 1 का उल्लंघन है। पोल खुलने के डर से पेंटागन (अमेरिका रक्षा मंत्रालय) की ओर इन्हें समाप्त करने के निर्देश भी दिए गए थे।
रूस से संबंधी जानकारी देने वाली एएसबी न्यूज ने इस संबंध में कल रात कुछ डॉक्यूमेंट शेयर किए थे। इसके अलावा ये दस्तावेज रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा भी दिखाए गए। इसमें इस बात के सबूत हैं कि यूस द्वारा पोषित लैब, जो कि रूसी सीमा के बिलकुल नजदीक हैं, उनमें यूक्रेन ने जैविक हथियार बनाने पर काम किया।
BREAKING: Russia publishes documents which show Ukraine was working on biological weapons near russian borders — such as Anthrax and Plague & that the pentagon has instructed to destroy them — violating article 1 UN prohibition of biological weapons. — These are US funded labs pic.twitter.com/DngZkGwws2
— ASB News / MILITARY〽️ (@ASBMilitary) March 6, 2022
रिपोर्ट के अनुसार रूस ने बताया, “हमें 24 फरवरी को प्लेग, एंथ्रेक्स, टुलारेमिया, हैजा और अन्य घातक बीमारियों के विशेष रूप से खतरनाक बीमारियाँ विकसित करने वाली यूक्रेनी जैविक प्रयोगशालाओं के डॉक्यूमेंट मिले हैं।” रूसी रक्षा मंत्रालय के अनुसार जब डोनबास में उन्होंने अपना स्पेशल ऑपरेशन शुरू किया तो पेंटागन को चिंता हो गई कि उनके इस गुप्त जैविक प्रयोगों के बारे में रूस को पता चल जाएगा जो कि यूक्रेन में हो रहे हैं। अब संबंधी दस्तावेजों को रूसी विशेषज्ञ जाँच कर रहे हैं।
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रूस द्वारा प्रकाशित दस्तावेज में यूक्रेन स्वास्थ्य मंत्रालय का एक ऑर्डर भी शामिल है जिसपर तारीख 24 फरवरी 2022 की है। इसमें जैविक रोगजनक एजेंटों के आपातकाल खात्में की बात हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक रूसी प्रतिनिधि ने जानकारी दी कि यूक्रेन ने अपने ‘डर्टी बम’ के निर्माण और प्लूटोनियम को अलग करने के काम के लिए चेरनोबिल परमाणु ऊर्जा संयंत्र क्षेत्र का इस्तेमाल किया।
जैविक हथियार के इस्तेमाल का परिणाम
बता दें कि जैविक हथियार जैसे प्लेग आदि का निर्माण किसी भी देश के लिए बेहद घातक होता है। ये देश को अंदरुनी तौर पर कमजोर करने का काम करता है। जैविक हथियार के नाम पर विकसित की गई बीमारियाँ वो भयावह बीमारी होती हैं जिनके चलते पूर्व में कई देशों में सैंकड़ों लोगों ने अपनी जान गँवाई। इस बीमारी में लोगों को आँख लाल होने, सिरदर्द, खुजली और बुखार जैसी सामान्य परेशानियाँ होती और बाद में 7-8 दिन बाद उनकी मौत हो जाती। जो लोग बचने वो या तो लकवा पीड़ित होते या कोमा में जाकर नेत्रहीन हो जाते।