संयुक्त राष्ट्र के ट्विटर हैंडल ‘यूएन जिनेवा’ ने पत्रकार राना अय्यूब को लेकर भारत विरोधी बातें की है, जिसके बाद भारत ने भी कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। ‘UN Geneva’ ने ‘संयुक्त राष्ट्र विशेषज्ञों’ के हवाले से दावा किया है कि पत्रकार राना अय्यूब के खिलाफ ऑनलाइन निष्ठुर तरीके से महिला विरोधी और सांप्रदायिक हमले किए जा रहे हैं, जिनकी भारतीय प्रशासन द्वारा अच्छे तरीके से त्वरित जाँच की जानी चाहिए। साथ ही राना अय्यूब के खिलाफ ‘न्यायिक प्रताड़ना’ भी ख़त्म करने की बात की है।
भारत ने UN के इस प्रोपेगंडा का तगड़ा जवाब दिया है। आधिकारिक ट्विटर हैंडल ‘इंडिया एट यूएन, जिनेवा’ ने इस ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि राना अय्यूब के खिलाफ ‘न्यायिक प्रताड़ना’ की बातें न सिर्फ आधारहीन हैं, बल्कि अनुचित भी हैं। भारत ने कहा कि यहाँ कानून का राज है, लेकिन ये भी स्पष्ट है कि कानून से ऊपर कोई भी नहीं है। भारत ने कहा कि यूएन के विशेषज्ञों से ये उम्मीद की जाती है कि उनका उद्देश्य अच्छा हो और उनके पास पुष्ट सूचनाएँ हों।
Allegations of so-called judicial harassment are baseless & unwarranted. India upholds the rule of law, but is equally clear that no one is above the law.
— India at UN, Geneva (@IndiaUNGeneva) February 21, 2022
We expect SRs to be objective & accurately informed. Advancing a misleading narrative only tarnishes @UNGeneva’s reputation https://t.co/3OyHq4HncD
भारत ने स्पष्ट किया कि भ्रामक नैरेटिव को आगे बढ़ाने से ‘यूएन जिनेवा’ की प्रतिष्ठा को ठेस ही पहुँचेगी। यूएन के एक लेख में राना अयूब को ‘इवेस्टीगेटिव जर्नलिस्ट’ और ‘मानवाधिकार का बचाव करने वाली’ बताया गया है। साथ ही उन्हें ‘अति दक्षिणपंथी हिन्दू राष्ट्रवादी समूहों की पीड़िता’ करार देते हुए लिखा है कि अल्पसंख्यक मुस्लिमों की स्थिति पर आवाज़ उठाने के लिए उन्हें धमकियाँ मिल रही हैं। साथ ही हिजाब के समर्थन और कोरोना से निपटने के मामले में सरकार की आलोचना को भी इसकी वजह बताया गया है।
संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने लिखा है, “जनता से जुड़े मुद्दों को दिखाने के लिए राना अय्यूब के प्रयास और सत्ता की जिम्मेदारी पर सवाल उठाने के कारण व्यवस्थित ऑनलाइन समूह उन्हें हत्या और बलात्कार की धमकियाँ दे रहे हैं। जाँच की अनुपस्थिति और कानून द्वारा उनकी प्रताड़ना से आरोपितों को और प्रोत्साहन ही मिला है। क्राउड फंडिंग में टैक्स चोरी से जुड़े झूठे आरोप लगा कर 6 महीने के भीतर दूसरी बार उनके बैंक खाते सीज कर लिए गए। हमने पहले भी इस सम्बन्ध में भारत सरकार को लिखा है। सरकार उनका बचाव करने में अक्षम रही है।”
जिनेवा में भारत के परमानेंट मिशन द्वारा अब एक ‘नोट वर्बल’ (पढ़ा जाने वाला बयान) के जरिए भी इस मुद्दे को उठाने का निर्णय लिया है। साथ ही जिनेवा में स्थित संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों के समक्ष भी इस मामले को उठाया जाएगा। याद दिला दें कि लोगों की मदद के नाम पर ‘केटो’ क्राउडफंडिंग वेबसाइट के जरिए धन की उगाही और पैसे की गड़बड़ी के मामले में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा प्रोपेगेंडा पत्रकार राणा अयूब की 1.77 करोड़ रुपए की संपत्ति को जब्त किए जाने के बाद से वो लगातार विक्टिम कार्ड खेल रही हैं।