भारत द्वारा किए जा रहे कृषि सुधारों के महत्व को समझते हुए, संयुक्त राज्य अमेरिका ने बुधवार (फरवरी 03, 2021) को मोदी सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को अपना समर्थन दिया। बुधवार को जारी एक बयान में, बायडेन प्रशासन ने कहा कि वो उन कदमों का स्वागत करता है, जो भारत के बाजारों की कुशलता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र में अधिक निवेश को आकर्षित करेंगे।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यूएस स्टेट डिपार्टमेंट द्वारा जारी बयान में संकेत दिया गया है कि नया बायडेन प्रशासन भारत सरकार के कृषि क्षेत्र में सुधार के कदम का समर्थन करता है जो कि निजी निवेश और किसानों के लिए बड़े बाजार को आकर्षित करेगा।
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका यह स्वीकार करता है कि शांतिपूर्ण विरोध किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान हैं। साथ ही, उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों के बीच मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।
Not to be lost in this, State Dept broadly appears to back India’s agricultural reforms amid #FarmersProtests: “In general, the United States welcomes steps that would improve the efficiency of India’s markets and attract greater private sector investment.” https://t.co/phU9UVHR9n
— Sabrina Siddiqui (@SabrinaSiddiqui) February 3, 2021
प्रवक्ता ने कहा, “हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन किसी भी संपन्न लोकतंत्र की पहचान हैं। भारतीय सर्वोच्च न्यायालय ने भी यही कहा है। हम पार्टियों के बीच किसी भी तरह के मतभेदों को बातचीत के माध्यम से हल करने का ही समर्थन करेंगे। सामान्य तौर पर, संयुक्त राज्य अमेरिका ऐसे कदमों का स्वागत करता है जो भारत के बाजारों की दक्षता में सुधार करेंगे और निजी क्षेत्र के अधिक निवेश को आकर्षित करेंगे।”
उल्लेखनीय है कि अमेरिका से पहले वर्ड बैंक और आईएमएफ भी भारत के तीन नए कृषि कानूनों का समर्थन कर चुका है। किसान इन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। बायडेन प्रशासन का यह बयान भारतीय लोकतंत्र के खिलाफ की जा रही वैश्विक साजिशों के खुलासे के ठीक अगले दिन ही आया है।
इन आंदोलनों के बीच, 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर किसान ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा भड़की। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में प्रवेश करने के लिए बैरिकेड्स तोड़ दिए और केंद्र की तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में अपनी ट्रैक्टर रैली के दौरान राष्ट्रीय राजधानी के कई हिस्सों में उत्पात मचाया।
वहीं, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सीमावर्ती क्षेत्रों में किसानों द्वारा जारी विरोध प्रदर्शन के बीच, कई अंतरराष्ट्रीय हस्तियों ने भी इसे अपना समर्थन दिया। इसमें पॉप सिंगर रिहाना, मिया खलीफा, थनबर्ग आदि ने ट्विटर पर इसे लेकर ट्वीट किए। लेकिन बुधवार (फरवरी 03, 2021) देर शाम ग्रेटा थनबर्ग ने अनजाने में ही भातीय लोकतंत्र को बदनाम करने के इस ग्लोबल अजेंडा की भी पोल खोल डाली।
स्वीडिश एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग ने भारत में जारी किसान आंदोलन के समर्थन में एक ट्वीट किया। लेकिन कुछ ही देर बाद यह ट्वीट ग्रेटा ने डिलीट भी कर दिया। हालाँकि, तब तक बहुत देर भी हो चुकी थी। इस डॉक्यूमेंट से यह स्पष्ट हो गया है कि किसान आन्दोलन एक सोची समझी रणनीति के साथ शुरू किया गया था और 26 जनवरी का उपद्रव भी इसी रणनीति का हिस्सा था।
इस बीच, भारत ने किसानों के विरोध पर विदेशी हस्तियों के बयानों को ‘निहित स्वार्थ समूहों’ का हिस्सा करार दिया। भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, गायिका लता मंगेशकर समेत बॉलीवुड से लेकर खेल जगत की तमाम हस्तियों ने भी इस अंतरराष्ट्रीय अजेंडा के खिलाफ ट्वीट किया है।
रिहाना के ट्वीट के बाद भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर इन ट्वीट्स को लेकर बयान जारी किया। मंत्रालय ने कहा, “भारत की संसद ने व्यापक बहस और चर्चा के बाद, कृषि क्षेत्र से संबंधित सुधारवादी क़ानून पारित किया। ये सुधार किसानों को अधिक लचीलापन और बाज़ार में व्यापक पहुँच देते हैं। ये सुधार आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से सतत खेती का मार्ग प्रशस्त करते हैं।”
विदेश मंत्रालय ने अपने पोस्ट में #IndiaTogether और #IndiaAgainstPropaganda हैशटैग का इस्तेमाल किया।