ब्रिटेन के मशहूर लंदन ब्रिज के पास आतंकी हमले को अंजाम देने वाले उस्मान खान के बारे में कई जानकारियॉं सामने आई है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक स्कूल छोड़ते ही वह आतंकी बन गया था। वह पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश इस्लामी प्रचारक अंजम चौधरी से बेहद प्रभावित था। ब्रिटेन का बगदादी कहा जाने वाला चौधरी इस्लामिक स्टेट के लिए समर्थन जुटाने के मामले में सजा पा चुका है।
उस्मान ने शुक्रवार को हमला कर दो लोगों की हत्या कर दी थी और कई अन्य जख्मी हो गए थे। बाद में स्कॉटलैंड यार्ड ने उसे मौके पर ही मार गिराया था। उसने नकली विस्फोटक जैकेट भी पहन रखा था। स्कूल की पढ़ाई अधूरी छोड़ने वाले उस्मान ने कुछ समय पाकिस्तान में भी बिताया था।
28 वर्षीय उस्मान अपने स्कूल के दिनों से ही आतंकवाद की राह पर निकल पड़ा था। एक मीडिया रिपोर्ट में उसके सहपाठी के हवाले से बताया गया है कि स्कूल में परेशान किए जाने पर उसने यह रास्ता अख्तियार किया।
नाम सार्वजानिक न करने की शर्त पर उसके सहपाठी ने बताया उस्मान स्कूली दिनों में बेहद शांत था। पूरी क्लास में उसका एक ही दोस्त था। वह चाहता था कि उसे सब पसंद करें लेकिन उसमे आत्मविश्वास की बहुत कमी थी। उन्होंने बताया कि उसे अपने उम्र के लड़कों से पहले दाढ़ी आने पर सहपाठियों ने उसे परेशान करने लगे थे। बाद में स्कूल छोड़कर वह इस्लामिक स्टेट का आतंकी बन गया।
आम नागरिकों को मारने वाले इस आतंकी के लन्दन घुसने पर प्रतिबन्ध लगा हुआ था। उसे 20 कड़ी शर्तों पर जेल से रिहा किया गया था। इसमें राजधानी लन्दन में न घुसने की भी शर्त शामिल थी। हालाँकि अधिकारियों ने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के कैदियों की एक कांफ्रेंस में शामिल होने की अनुमति दे दी थी। जब उसने इस कार्यक्रम में जाने की इच्छा जताई थी उस वक़्त उसका दावा था कि वह सुधर चुका है।
उस्मान और उसके साथियों की यह योजना थी कि पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकी कैम्पों के लिए पैसा जुटाया जाए। इसके ज़रिए वह लोग मुंबई हमले जैसी ही एक घटना को अंजाम देने की फ़िराक में था। पुलिस द्वारा दर्ज किए उसके बयान के मुताबिक खान ने यूके के फायदों का भी ज़िक्र किया था। उसने कहा था कि जितना पैसा कश्मीर में एक महीने में मिलता था, उतना यहाँ (यूके) में एक दिन में मिल जाता है।
बता दें कि यह लोग इसलिए गिरफ्त में आए क्योंकि लन्दन में चल रहे एक आतंकवाद-रोधी अभियान में इनपर पूरी नज़र रखी जा रही थी। उस्मान समेत उसके नौ साथियों को 2012 में गिरफ्तार कर लिया गया था। उस वक़्त वह तत्कालीन मेयर बोरिस जॉनसन की हत्या की साज़िश रच रहे थे। साथ ही स्टॉक एक्सचेंज समेत कई जगहों पर धमाका कर पूरे लन्दन को दहला देने की योजना भी इनकी इसी साजिश का हिस्सा थी।
पिछले साल दिसंबर में उस्मान को कड़ी शर्तों के साथ बेल दी गई थी। उसे एक टैग पहनने के सख्त निर्देश थे, कट्टरता का ब्रेनवाश करने वाले कार्यक्रमों में भेजा जाता, और इस सब के बीच एमआई-5 उसकी निगरानी करता था।