जम्मू कश्मीर से लौटे यूरोपियन पार्लियामेंट के प्रतिनिधिमंडल ने मोदी सरकार द्वारा आतंकवाद के ख़ात्मे के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की है। 23 सदस्यीय यूरोपियन पैनल ने कहा है कि वो आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में मोदी सरकार के हर क़दम का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि वे यूरोप से आए हैं, जहाँ वर्षों तक चली लड़ाई के बाद शांति क़ायम हुई। यूरोपियन पैनल ने आशा जताई कि भारत दुनिया का सबसे शांतिपूर्ण देश बनेगा। सभी यूरोपियन सांसदों ने विश्व समुदाय को आगाह करते हुए कहा कि आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में भारत का साथ दिया जाना चाहिए।
यूरोपियन पार्लियामेंट के डेलीगेशन में शामिल यूके के सांसद न्यूटन डन ने अंतरराष्ट्रीय मीडिया को पक्षपाती बताते हुए कहा कि उन्होंने जो भी ज़मीनी हालात देखा है, वो दुनिया को बताएँगे। यूरोपियन पैनल के अनुसार, कश्मीर की जनता ने उनसे कहा कि वे सभी भारतीय हैं और हमेशा भारतीय ही रहना चाहते हैं। कश्मीर की जनता ने यूरोप के सांसदों से कहा कि वो आम भारतीयों की तरह रहना चाहते हैं और अपने क्षेत्र में भी उसी तरह का विकास देखना चाहते हैं, जैसा देश का बाकी हिस्सों में हो रहा है। इन सांसदों को श्रीनगर के एक होटल में ठहराया गया था।
जिस दिन यूरोप के जनप्रतिनिधियों ने भारत में क़दम रखा, उसी दिन जम्मू कश्मीर में आतंकियों ने एक ट्रक ड्राइवर की हत्या कर दी। जिस दिन वो कश्मीर पहुँचे, उस दिन भी कुलगाम में आतंकियों द्वारा 6 बंगाली मजदूरों को घर से घसीटते हुए निकाल कर मार डाला गया। यूरोपियन पैनल ने नजरबन्द नेताओं, नव-निर्चाचित पंचायत सदस्यों व कॉउन्सिलर्स और स्थानीय सैन्य अधिकारियों से मुलाक़ात कर राज्य की ज़मीनी स्थिति के बारे में जानकारियाँ प्राप्त की। यूरोपियन पैनल ने कहा कि वो भारत के आंतरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करना चाहते हैं। उन्होंने कहा:
“जम्मू कश्मीर को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की कवरेज पक्षपातपूर्ण रही है। जैसे ही हम अपने-अपने देश पहुँचेंगे, हम दुनिया को बताएँगे कि हमनें ज़मीन पर क्या देखा? हम लोगों को सच्चाई से अवगत कराएँगे। उलटा हमें ही फासिस्ट बता कर हमारी छवि को कलंकित करने की कोशिश की जा रही है। लोगों को ऐसा करने से पहले कम से कम जानकारियाँ जुटा लेनी चाहिए। अनुच्छेद 370 भारत का आंतरिक मसला है। हमें सिर्फ़ आतंकवाद से मतलब है, जो दुनिया भर में सबसे बड़ी समस्याओं में से एक है। हम हालिया आतंकी घटनाओं पर खेद व्यक्त करते हैं। आतंकियों द्वारा की जा रही हत्याएँ निंदनीय है।”
Jammu and Kashmir: The delegation of European Union (EU) MPs visited Dal lake in Srinagar today. pic.twitter.com/TRt0k4PDeX
— ANI (@ANI) October 29, 2019
हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाया था कि यूरोपियन पैनल में जितने भी सांसद शामिल हैं, वो सभी हिटलर की नाजी विचारधारा से प्रेरित हैं। इसके जवाब में यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वो लोग नाजी विचारधारा का अनुसरण करने वाले लोग नहीं हैं। पैनल ने ओवैसी के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि इस बयान से वो सभी काफ़ी आक्रोशित हैं। उन्होंने पूछा कि अगर वो नाजी विचारधारा को मानने वाले होते तो क्या जनता द्वारा चुन कर भेजे जाते? सांसदों ने कहा कि वो यहाँ की राजनीति में हस्तक्षेप नहीं करना चाहते और वो बस ‘फैक्ट फाइंडिंग’ के लिए आए हैं।
#JammuAndKashmir: The delegation of European Union Parliament members met GoC 15 Corps, Lt General KJS Dhillon today in Srinagar. (Pic: ANI) pic.twitter.com/JyWsAQmvVO
— Economic Times (@EconomicTimes) October 29, 2019
यूरोपियन प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि वो कश्मीर दौरे को लेकर यूरोपियन यूनियन को किसी प्रकार की रिपोर्ट सौंपने नहीं जा रहे हैं। उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत की भी पैरवी की। कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता आनंद शर्मा ने इसे मोदी सरकार का प्यार एक्सरसाइज करार दिया। वहीं बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि यूरोपियन सांसदों से पहले भारत के विपक्षी सांसदों को वहाँ भेजा जाना चाहिए था। 23 सदस्यीय यूरोपियन पैनल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल ने भी मुलाक़ात की थी। उन्हें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के बारे में बताया गया था।