राष्ट्रपति जो बाइडेन के नेतृत्व वाली अमेरिकी सरकार ने बांग्लादेश में हिंदुओं एवं अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचारों पर टिप्पणी से इनकार कर दिया है। एक सवाल के जवाब में व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जीन पियरे ने कहा कि उनके पास कहने के लिए कुछ नहीं है। पियरे ने शेख हसीना के इस दावे का भी खंडन किया है, जिसमें उन्होंने पद से हटाने में अमेरिका का हाथ बताया था।
दरअसल, मंगलवार (12 अगस्त) को व्हाइट हाउस की आधिकारिक प्रवक्ता जीन पियरे ने एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित किया। इस दौरान ललित नाम के एक पत्रकार ने उनसे बांग्लादेश में चल रहे घटनाक्रम और अमेरिका-भारत संबंधों पर सवाल पूछे। उन्होंने जीन पियरे को बताया कि सप्ताह के अंत में कई हिंदू अमेरिकी समूहों ने व्हाइट हाउस के सामने विरोध मार्च निकाला था।
The White House declines to give specific comments about the persecution of Hindus in Bangladesh by Islamists.
— Visegrád 24 (@visegrad24) August 14, 2024
Via @Natsecjeff pic.twitter.com/4psb4WK7jG
ब्रीफिंग के दौरान पत्रकार ने बताया कि उन अमेरिकी समूहों ने राष्ट्रपति से बांग्लादेश में अमेरिकियों और हिंदुओं के खिलाफ अत्याचारों को रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया। डेमोक्रेटिक पार्टी के दो हिंदू सांसदों – राजा कृष्णमूर्ति और श्री थानेदार ने भी प्रशासन को पत्र लिखकर बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यक समूहों के खिलाफ इन अत्याचारों को रोकने में उनकी मदद माँगी है।
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जीन पियरे ने कहा, “हम निश्चित रूप से स्थिति पर नज़र जारी रखेंगे। मेरे पास इसके अलावा और कुछ कहने को नहीं है।” पियरे ने कहा कि जब भी मानवाधिकारों की बात आती है तो राष्ट्रपति हमेशा सार्वजनिक रूप से और निजी तौर पर भी जोरदार और स्पष्ट रूप से बोलते रहे हैं। उनके पास अभी कहने को कुछ भी नहीं है।
ललित ने व्हाइट हाउस के प्रवक्ता से बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस आरोप के बारे में भी पूछा कि उन्हें सत्ता से बाहर इसलिए कर दिया गया क्योंकि अमेरिका बांग्लादेश द्वीप को चाहता था। पूर्व बांग्लादेशी प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि वह सेंट मार्टिन द्वीप को देने की अमेरिका की माँग से सहमत नहीं थीं।
उनके आरोपों का जवाब देते हुए व्हाइट हाउस के प्रवक्ता पियरे ने कहा, “इसमें हमारी कोई संलिप्तता नहीं है। ऐसी कोई भी रिपोर्ट या अफवाह कि संयुक्त राज्य सरकार इन घटनाओं में शामिल है, पूरी तरह से झूठी है। यह बांग्लादेशी लोगों के लिए और उनके द्वारा चुना गया विकल्प है। हमारा मानना है कि बांग्लादेशी लोगों को बांग्लादेशी सरकार का भविष्य तय करना चाहिए और हम इसी पर कायम हैं।”
बता दें कि शेख हसीना ने आरोप लगाया था कि उन्हें सत्ता से बेदखल करने के पीछे अमेरिका का हाथ है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने की साजिश रची, क्योंकि उन्होंने सेंट मार्टिन द्वीप को अमेरिका को सौंपने से इनकार कर दिया था। बंगाल की खाड़ी पर प्रभाव जमाने के लिए अमेरिका इसे कब्जाना चाहता है। हिंसा के बाद शेख हसीना फिलहाल बांग्लादेश छोड़कर भारत में हैं।