मूल रूप से पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई फ़िलहाल ब्रिटेन और कनाडा में रहती हैं। कनाडा ने उन्हें मानद नागरिकता भी दी हुई है। मलाला अक्सर विभिन्न मुद्दों पर अपना भारत विरोधी रवैया प्रदर्शित करती रहती हैं। अब उनकी वेबसाइट पर भारत का नक्शा ग़लत दिखाए जाने का मामला उठाया जाना चाहिए। जम्मू कश्मीर को मलाला भारत का अंग नहीं मानती, साथ ही अरुणाचल प्रदेश को भी विवादित मानती है।
अगर आप मलाला यूसुफजई की वेबसाइट पर जाएँगे तो पाएँगे कि इसके भारत वाले हिस्से में देश का जो नक्शा बना हुआ है, वो कहीं से भी भारत सरकार द्वारा मान्य नक़्शे के अनुरूप नहीं है। और न ही ये संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले नक़्शे पर आधारित है। मलाला की वेबसाइट पर लद्दाख को छोड़ कर लगभग पूरे जम्मू कश्मीर को ही बाकी भारत से अलग रंग में दिखाया गया है और उसे विवादित माना गया है।
जम्मू कश्मीर के कुछ हिस्सों पर पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। इनमें से कुछ हिस्सा उसने चीन को दे रखा है। वहीं लद्दाख का हिस्सा अक्साई चीन है, जिस पर चीन ने अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। मलाला की वेबसाइट पर इन इलाक़ों को तो भारत का न बता कर विवादित बताया ही गया है, साथ ही जम्मू कश्मीर के जिस हिस्से पर अवैध कब्ज़ा नहीं है और भारत द्वारा प्रशासित है, उसे भी विवादित की कैटेगरी में डाला गया है।
साथ ही अरुणाचल प्रदेश को भी बिना कारण विवादित दिखा दिया गया है। चीन ने 1951 में तिब्बत पर अवैध कब्जा किया था। सरदार पटेल द्वारा आगाह किए जाने के बावजूद जवाहर लाल नेहरू ने तिब्बत समस्या पर ध्यान नहीं दिया था। तभी से चीन अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत का हिस्सा मानता आ रहा है। कुछ ऐसा ही कर के मलाला ने भी एक तरह से चीन के अजेंडे को आगे बढ़ाया है। भारत-चीन तनाव के बीच इस नक़्शे को लेकर सवाल उठना निश्चित है।
अपनी वेबसाइट पर जम्मू कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश को शेष भारत से भिन्न दिखाने वाली मलाला यूसुफजई जम्मू कश्मीर मुद्दे पर भारतीय सेना को भी भला-बुरा कह चुकी हैं। इससे पहले मलाला युसुफ़ज़ई ने किसी काल्पनिक कश्मीरी लड़की से संवाद कर उसके हवाले से कह दिया था कि जम्मू-कश्मीर में सेना की पदचाप सुनाई देने से डर का माहौल है, यह चर्चा का विषय है। उन्होंने कहा था कि भारतीय सेना की वजह से बच्चे पढ़ाई नहीं कर पा रहे।
सितम्बर 2019 में मलाला मलाला यूसुफजई ने एक के बाद एक 7 ट्वीट्स कर के लिखा था कि उन्होंने पिछले कुछ दिनों में ऐसे लोगों से बात की हैं, जो कश्मीर में रह रहे हैं या फिर वहाँ कार्यरत हैं। इनमें छात्र, पत्रकार और मानवाधिकार कार्यकर्ता, वकील शामिल हैं। मलाला ने लिखा कि वह कश्मीर की लड़कियों से सीधे बातचीत करना चाहती थीं। उन्होंने ‘कम्युनिकेशन ब्लैकआउट’ का हवाला देकर लिखा था कि लोगों से बात करने में काफ़ी परेशानी का सामना करना पड़ा। मलाला ने आरोप लगाया कि कश्मीर को दुनिया से अलग-थलग कर दिया गया है और उनकी आवाज़ बाहर नहीं जाने दी जा रही।