Saturday, November 16, 2024
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पश्चिम बंगाल: भ्रष्टाचार पर ममता सरकार की पोल खोलने वाले पत्रकार शफीकुल इस्लाम समेत 3 गिरफ्तार

"इन लोगों के साथ बड़े अपराध जैसे मर्डर, रेप, या डकैती करने पर ऐसा बर्ताव नहीं हुआ। बल्कि केवल सरकार के ख़िलाफ़ न्यूज चलाने पर ऐसा बर्ताव हुआ है। जिस प्रकार पुलिस ने इनके घरों को घेरा। दरवाजों को तोड़ा और इनके छोटे बच्चों के साथ इन्हें थाने लेकर गई। वो सब ये बताता है कि हमारा लोकतंत्र और संविधान बीमार हो गया है।"

पश्चिम बंगाल में ममता सरकार से जुड़े भ्रष्टाचार का खुलासा करने पर पिछले महीने की 29 तारीख को आरामबाग टीवी के मालिक व पत्रकार शेख शफीकुल इस्लाम को गिरफ्तार किया गया था। उनके साथ इस दौरान उनकी पत्नी अलीमा खातून और चैनल में काम करने वाले पत्रकार सूरज अली खान भी गिरफ्तार हुए थे

आरामबाग टीवी राज्य सरकार के निशाने पर पहले से था। दरअसल, चैनल ने ममता बनर्जी सरकार द्वारा कई सभाओं को दिए डोनेशन पर सवाल उठाए थे। चैनल का दावा था कि कोरोना महामारी के बीच सरकार ने जिन विभिन्न क्लबों को पैसा देने का दावा किया है, वो वास्तविकता में अस्तित्व में ही नहीं है। इस खुलासे के बाद शफीकुल के ख़िलाफ़ कई एफआईआर दर्ज हुई थी।

पुलिस ने इस मामले में चैनल के मालिक के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 420, 468, 469, 471, 500, 505, 120b, के तहत मामला दर्ज किया था। हालाँकि शफीकुल ने दो मामलों में कोलकाता हाईकोर्ट से बेल ले ली थी। लेकिन, अब हाल में पुलिस ने उन्हें जबरन वसूली पर रिपोर्ट दिखाने के मामले में गिरफ्तार किया। चैनल के मालिक पर ये कार्रवाई ट्रकों से घूस लेते हुए पुलिस की वीडियो चलाए जाने के बाद हुई।

कथित तौर पर उनपर किसी ने आरोप लगाया कि उन्होंने किसी से 30,000 रुपए की माँग करते हुए उसको धमकी दी थी कि अगर उसने पैसे नहीं दिए तो वह अवैध रूप से पेड़ काटने पर उसके खिलाफ़ रिपोर्ट चला देंगे। व्यक्ति ने दावा किया कि पत्रकार सूरज ने इन पैसों की माँग की थी। वो भी बिना ये जाने की पेड़ पंचायत के निर्देशों पर काटे गए।

इस शिकायत के कुछ घंटे बाद ही शफीकुल, उनकी पत्नी और सूरज को गिरफ्तार कर लिया गया। जहाँ उन्हें बेल लेने का मौका भी नहीं मिला।

इस बात की जानकारी बंगाल गवर्नर जगदीप धनकड़ ने अपने ट्विटर हैंडल पर दी थी। उन्होंने गिरफ्तारी से संबंधित ट्वीट करते हुए कहा था कि शफीकुल को इसलिए गिरफ्तार किया क्योंकि उन्होंने जनता के पैसों के गलत इस्तेमाल पर ममता सरकार का खुलासा किया था।

उन्होंने एडिटर गिल्ड, प्रेस क्लब और नेशनल यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स को टैग करते हुए इस मामले पर स्टैंड लेने की अपील की थी। उन्होंने आगे लिखा था, “अगर पत्रकार खामोश है, तो लोकतंत्र है।”

हालाँकि, इस खबर पर अब तक राष्ट्रीय मीडिया ने मौन धारण किए रखा। लेकिन समाज के जागरूक नागरिकों ने इन लोगों की रिहाई की माँग शुरू कर दी है।

जानकारी के मुताबिक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अशोक के गांगुली, राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अर्धेंदु सेन, फिल्म निर्माता बुद्धदेव दासगुप्ता, अपर्णा सेन, तरुण मजूमदार और अन्य ने एक बयान जारी कर तीनों लोगों की रिहाई की माँग की है।

बयान में कहा गया, “इन लोगों के साथ बड़े अपराध जैसे मर्डर, रेप, या डकैती करने पर ऐसा बर्ताव नहीं हुआ। बल्कि केवल सरकार के ख़िलाफ़ न्यूज चलाने पर ऐसा बर्ताव हुआ है। जिस प्रकार पुलिस ने इनके घरों को घेरा। दरवाजों को तोड़ा और इनके छोटे बच्चों के साथ इन्हें थाने लेकर गई। वो सब ये बताता है कि हमारा लोकतंत्र और संविधान बीमार हो गया है।”

गौरतलब है कि 29 जून के बाद से आरामबाग टीवी के यूट्यूब चैनल पर कोई भी नई रिपोर्ट नहीं पोस्ट हुई है। 29 जून को कुछ वीडियो पोस्ट हुई थी। जिसमें दर्शाया जा रहा था कि पुलिस और कुछ लोगों ने शफीकुल के घर को सादे कपड़ों में घेर रखा है।

उनमें से कुछ शफीकुल के घर की ख़िड़कियों को तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। जबकि एक अन्य वीडियो में देखा गया था कि कुछ लोग उसके घर में छत से घुसने की कोशिश कर रहे थे।

यहाँ बता दें कि इससे पहले शफीकुल ने एक वीडियो में कहा था कि उनके वेब चैनल को बंद कराने की साजिश की जा रही है। लेकिन वह इन सब चीजों के आगे नहीं झुकेंगे और अदालत में डटकर सभी चीजों का सामना करेंगे। शफीकुल इस्लाम ने एक वीडियो में यह भी कहा था कि हो सकता है कल को उनकी जबरन गिरफ्तारी हो जाए, उनकी बेरहमी से पिटाई की जाए। लेकिन उन्हें उम्मीद है कि उनके दर्शक उनका समर्थन करेंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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