राफेल पर लेख लिख-लिख कर विपक्ष को मुद्दा देने वाले एन राम के कारण ‘द हिन्दू’ की पहले ही काफ़ी किरकिरी हुई थी। राफेल की रट लगाते-लगाते कॉन्ग्रेस पार्टी की इतनी बुरी हार हुई कि ‘द हिन्दू’ ने इसपर लेख छापना लगभग बंद ही कर दिया। अब मीडिया संस्थान की नई करतूत सामने आई है। एक ही चीज को संस्थान ने अपने दो अलग-अलग अख़बारों में ‘घोड़ा’ भी कहा है और ‘चतुर’ भी कहा है। ख़ासकर जब ख़बर अर्थव्यवस्था से जुडी हुई हो तो डाटा को मनचाहे ढंग से प्रेजेंट कर अपना प्रोपेगंडा फैलाना आसान हो जाता है।
‘द हिन्दू’ ने कुछ ऐसा ही किया है। ऑटोमोबाइल सेक्टर में त्योहारों के कारण रौनक आई है, ऐसा ‘द हिन्दू’ का कहना है। त्योहारों के मौसम में ऑटोमोबाइल सेक्टर में रौनक नहीं आई है, ये भी ‘द हिन्दू’ का ही कहना है। कहने का मतलब है कि अख़बार की नज़र में ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए खुशियाँ आई भी हैं और नहीं भी आई हैं। दो अलग-अलग ख़बरें वेबसाइट पर एक ही दिन प्रकाशित की गईं। दोनों ख़बरों को अख़बारों में भी एक ही दिन छापा गया। आइए, आप आपको पूरा माजरा जरा अच्छे से समझाते हैं ताकि आपको भी ‘द हिन्दू’ की ‘घोड़ा-चतुर’ पॉलिसी का ज्ञान हो।
‘बिजनेस लाइन’ ने शुक्रवार (नवंबर 1, 2019) को ख़बर चलाई कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ये त्योहारी सीजन कोई खुशियाँ लेकर नहीं आया है। इसमें कहा गया कि डोमेस्टिक मार्किट अक्टूबर में रेड जोन में रहा। इसमें हौंडा, महिंद्रा और टाटा मोटर्स को हुए घाटे का जिक्र किया गया है। साथ ही यह भी बताया गया है कि दोपहिया वाहनों की बिक्री में मंदी आ गई है। ठीक उसी दिन, ‘द हिन्दू’ ने ख़बर प्रकाशित की कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में ये त्योहारी सीजन खुशियाँ ही खुशियाँ लेकर आया है। इसमें बताया गया कि किस तरह मारुती सुजुकी ने बिक्री में बढ़ोतरी दर्ज की है। मारुती के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर के हवाले से यह भी बताया गया है कि बाजार में सकारात्मक बदलाव आया है।
2nd November -Hindu & Businessline coverage. Same publisher. Same day. Same data. Contradicting views.:)) that is strategy–we told u so:)) RT pic.twitter.com/QTBjM0f8Dw
— RVAIDYA2000 (@rvaidya2000) November 4, 2019
हैरत की बात तो यह है कि ‘बिजनेस लाइन’ और ‘द हिन्दू’, ये दोनों ही अख़बार एक ही कम्पनी द्वारा प्रकशित किया जाता है। दोनों ही अख़बार और वेबसाइट ‘कस्तूरी एंड संस’ के मालिकाना हक़ में है। ऐसे में, एक ही समय पर दो अलग-अलग विरोधाभासी हैडलाइन देकर ग्राहकों के दो अलग-अलग वर्गों को संतुष्ट करने की चाल में ‘द हिन्दू’ और ‘बिजनेस लाइन’ ने शायद यही एडिटोरिअल पॉलिसी बना रखी है। किसी चीज को एक अच्छा कहेगा तो दूसरा बुरा। एक में मंदी होगी तो दूसरे में अर्थव्यवस्था छलाँग मार रही होगी।