दिसंबर 1992 में उत्तर प्रदेश में विवादित ढॉंचे का ध्वंस के बाद कल्याण सिंह को अपनी सरकार गँवानी पड़ी थी। भले ही उनकी सरकार चली गई और बाद में कुछ कारणों से वे भाजपा से सस्पेंड भी किए गए, लेकिन राम मंदिर पर उनका स्टैंड ज्यों का त्यों रहा। एनडीटीवी के विजय त्रिवेदी को दिसंबर 2009 में दिए गए इंटरव्यू में भी ये साफ़ झलकता है। यही वो इंटरव्यू है, जिससे पता चलता है कि किस कदर एनडीटीवी रामभक्तों की लाशों पर ठहाके लगाना चाहता था।
बुधवार (अगस्त 5, 2020) को राम जन्मभूमि अयोध्या में बनने वाले भव्य राम मंदिर का भूमिपूजन कार्यक्रम है। इसमें कल्याण सिंह भी मौजूद रहेंगे। कल्याण सिंह का रुख आज भी वही है, लेकिन एनडीटीवी भी नहीं बदला है। कल को विजय त्रिवेदी रामभक्तों की लाश देखना चाहते थे, अब रवीश कुमार राम मंदिर से खार खाए बैठे हैं। आइए, आपको बताते हैं कि क्या था उस इंटरव्यू में।
PM Modi will attend the foundation stone laying ceremony of Lord Ram’s temple in Ayodhya on August 5. I will also reach there on August 4 and attend the ceremony the next day. It is a matter of extreme happiness for me: Former Uttar Pradesh Chief Minister Kalyan Singh pic.twitter.com/5rrZsyaBTT
— ANI UP (@ANINewsUP) August 1, 2020
दरअसल, विजय त्रिवेदी इस बात पर कल्याण सिंह को घेरने में लगे हुए थे कि आखिर ढाँचा गिरने के बाद उन्होंने उन अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं की, जिनके रहते ये सब हुए। आखिर पुलिस अधिकारियों ने गोली चलाने का निर्देश क्यों नहीं दिया? त्रिवेदी के शब्दों का अर्थ ये था कि रामभक्तों पर गोली चला कर उनका कत्लेआम क्यों नहीं मचाया गया, वो भी एक विवादित ढाँचे को बचाने के लिए।
इस पर कल्याण सिंह ने उन्हें ये बता कर सन्न कर दिया कि उन्होंने ही अधिकारियों को सख्त आदेश दिए थे कि वहाँ जुटे लोगों पर गोली न चलाई जाए, जिसका उन्होंने पालन किया। सारा दोष अपने ऊपर लेते हुए कल्याण सिंह ने अधिकारियों को पाक-साफ़ बताया। इसके बाद एनडीटीवी के विजय त्रिवेदी ने उन्हें जो सलाह दी, वो न सिर्फ़ चैनल की हिन्दूघृणा की सोच को दर्शाता है, बल्कि राम मंदिर के प्रति उसकी घृणा को भी दिखाता है।
तब एनडीटीवी के विजय त्रिवेदी ने उन्हें कहा कि आखिर कल्याण सिंह ने गोली न चलवा कर हजारों लोगों के मारे जाने के बदले करोड़ों लोगों को बाँटने का फैसला कैसे ले लिया? यानी, एनडीटीवी अपनी एक धारणा के बदले हज़ारों रामभक्तों की लाश चाहता था। त्रिवेदी ने ये धारणा बना ली थी थी ‘लोग बँट गए’। बस इसके लिए हज़ारों श्रद्धालुओं की लाशें बिछा दी जाएँ, ऐसा उनका सोचना था।
एनडीटीवी के इस इंटरव्यू में विजय त्रिवेदी बार-बार इसी बात पर कल्याण सिंह को घेरने की कोशिश करते हुए नज़र आए कि आखिर उन्होंने कारसेवकों पर गोली क्यों नहीं चलवाई? हज़ारो लोगों के मरने’ की बात वो इतनी आसानी से कह रहे थे, जैसे कि वो सभी आतंकवादी हों। जबकि वे सभी आमजन थे। यही एनडीटीवी आतंकियों और नक्सलियों को Whitewash करता रहता है।
हालाँकि, सुरक्षा के इंतजाम न रहने के आरोपों और खुद के मजबूत मुख्यमंत्री की छवि पर उठे सवालों का जवाब में उदाहरण गिनाते हुए कल्याण सिंह ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति की सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम थे लेकिन घटना घटित हो गई। इंदिरा गाँधी की सुरक्षा के पूरे इंतज़ाम थे लेकिन घटना घटित हो गई। राजीव गाँधी की सुरक्षा के पक्के इंतज़ाम थे लेकिन घटना घटित हो गई। उन्होंने इसे राष्ट्रीय गर्व का दिन भी करार दिया।
बता दें कि 6 दिसंबर 1992 को विवादित ढाँचा गिराए जाने के 10 दिन बाद गृह मंत्रालय ने लिब्राहन आयोग का गठन किया था। इस आयोग को ज़िम्मेदारी सौंपी गई कि बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल लोगों का नाम सामने आए। इस आयोग ने लगभग 17 साल बाद अपनी रिपोर्ट पेश की जिसमें कल्याण सिंह को अहम किरदार बताया था। कोर्ट की सुनवाई इस मामले में अभी तक चल रही है।
राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अपना कार्यकाल पूरा करने के तुरंत बाद भी उन्होंने कहा था कि अयोध्या करोड़ों भारतीयों की आस्था का केंद्रबिंदु है। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होता है तो इससे करोड़ों भारतीयों की इच्छा पूरी होगी। दोबारा बीजेपी का सदस्य बनने के बाद उन्होंने सभी राजनीतिक दलों को राम मंदिर मुद्दे पर अपना पक्ष स्पष्ट करने के लिए कहा था। अब वे 5 अगस्त को भव्य राम मंदिर भूमि पूजन के साक्षी बनेंगे।