दिल्ली पुलिस द्वारा JNU हिंसा में शामिल अपराधियों की पहचान कर लिए जाने के बाद इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राहुल कंवल ने एक ‘मेगा इन्वेस्टिगेशन’ स्टिंग वीडियो जारी करते हुए कहा था कि उन्होंने इस हिंसा के मुख्य आरोपितों को पकड़ लिया है। इंडिया टुडे समूह ने दावा किया कि उनके द्वारा किए गए इस खोजी स्टिंग में अक्षत अवस्थी नाम के किसी ABVP कार्यकर्ता ने स्वयं स्वीकारा है कि वह हिंसा में शामिल थास।
इंडिया टुडे के इस वीडियो पर काफी लोगों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यह वीडियो फेक है। यहाँ तक कि खुद ABVP ने भी किसी अक्षत अवस्थी के ABVP से जुड़े होने की खबर से साफ़ इनकार कर दिया। इंडिया टुडे इन्वेस्टिगेशन के फैक्ट चेक से जो बात सामने आई, उसके कारण इस वीडियो की विश्वसनीयता पर संदेह पैदा हो गया है।
इस पर इंडिया टुडे समूह ने एक ट्वीट के माध्यम से स्पष्टीकरण देते हुए लिखा है कि उनके कैमरा की सेटिंग अपडेट न होने की वजह से ही 5 जनवरी को रिकॉर्ड किया गया वीडियो अक्टूबर 2019 दिखा रहा है।
CLARIFICATION (1/2)
— आज तक (@aajtak) January 11, 2020
हमारी #JNUTapes कवरेज से जुड़ी एक क्लिप में दिख रही पुरानी तारीख के संबंध में हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि उस कैमरे की सेटिंग्स (उस विशेष क्लिप को रिकॉर्ड करते समय) अपडेटेड नहीं थीं। इससे जो ग़लतफहमी पैदा हुई है, उसके लिए हमें खेद है।
इंडिया टुडे समूह ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए लिखा है- “हमारी #JNU टेप्स कवरेज से जुड़ी एक क्लिप में दिख रही पुरानी तारीख के संबंध में हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि उस कैमरे की सेटिंग्स (उस विशेष क्लिप को रिकॉर्ड करते समय) अपडेटेड नहीं थीं। इससे जो ग़लतफहमी पैदा हुई है, उसके लिए हमें खेद है।”
स्पष्टीकरण के दूसरे एवं अंतिम भाग में इंडिया टुडे ने लिखा है- “साथ ही, किसी निष्कर्ष पर पहुँचने से पहले इस तथ्य को ध्यान में रखा जाए कि अक्टूबर 2019 में जेएनयू में ऐसी कोई स्थिति नहीं थी, जिसे लेकर इस तरह की जोखिम भरी रिपोर्टिंग की जाती।”