दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच (Crime Branch, Delhi Police) ने सोमवार (31 अक्टूबर 2022) को वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल ‘द वायर’ (The Wire) से जुड़े लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की। इस छापेमारी में द वायर के सह-संस्थापक सिद्धार्थ वरदराजन (Siddharth Varadrajan), एमके वेणु (MK Venu), सिद्धार्थ भाटिया (Sidharth Bhatia) और कर्मचारी जाह्नवी सेन (Jahanvi Sen) के घर शामिल हैं।
पुलिस की इस कार्रवाई के बाद वामपंथी लॉबी (Left- Liberal Gang) सक्रिय हो गई है और विक्टिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया है। इसमें वरदराजन की पत्नी नंदिनी सुंदर (Nandini Sundar) शामिल हैं। यह समूह अपने कुतर्कों से ये साबित करने का प्रयास कर रहा है कि पुलिस का यह एक्शन वर्तमान सरकार की नीतियों में कमियाँ दिखाने के कारण है। हालाँकि, असलियत कुछ और ही है।
अर्बन नक्सलियों से जुड़े समूह द्वार छापेमारी का विरोध
दिल्ली पुलिस की छापेमारी के विरोध में जो वामपंथी लॉबी एकजुट हुई है, उसमें DIGIPUB भी शामिल है। इस समूह के वाइस चेयरमैन प्रबीर पुरकायस्थ (Prabir Purkayastha) हैं। एक प्रेस रिलीज जारी करके DIGIPUB ने लिखा है कि एक पत्रकार की गलती की सज़ा पूरे द वायर संस्थान को देना गलत है। पुलिस कार्रवाई को उत्पीड़न घोषित करते हुए DIGIPUB ने कहा कि भारत की पत्रकारिता खराब दौर से गुजर रही है जिसमें पुलिस के इस कदम का और भी बुरा असर पड़ेगा।
Digipub’s statement on police searches on the homes of the editors and a reporter of The Wire pic.twitter.com/ewZCIZNL4C
— DIGIPUB News India Foundation (@DigipubIndia) November 1, 2022
DIGIPUB ने अपने बयान में कहा, “यह कार्रवाई भाजपा के ‘प्रवक्ता’ अमित मालवीय द्वारा दायर की गई प्राथमिकी के दो बाद की गई है। मालवीय की यह शिकायत सोशल मीडिया कंपनी मेटा (Meta) को लेकर वायर द्वारा की गई स्टोरीज की श्रृंखला से संबंधित है। इसमें कहा गया था कि X-Check नामक इंस्टग्राम प्रोग्राम के तहत मालवीय को स्पेशल सेंसरशिप प्रवीलेज मिली थी। वायर ने इन्हें यह कहते हुए हटा लिया कि इसके इन्वेस्टिगेटिव टीम के सदस्य ने धोखा दिया है।”
डीजीपब ने आगे कहा, “गलत रिपोर्ट पेश करने वाले पत्रकार या मीडिया हाउस को उसके साथियों या समाज द्वारा जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए, लेकिन पुलिस द्वारा सत्ताधारी पार्टी के प्रवक्ता के मानहानि के एक निजी मामले में मीडिया हाउस के दफ्तर और संपादक के घरों की तलाशी लेने से उसके गलत इरादे की बू आती है। इस तलाशी में द वायर के पास उपलब्ध गोपनीय एवं संवेदनशील डेटा और सूचनाओं को जब्त करने या उसकी कॉपी करने के खतरे से इनकार नहीं किया जा सकता।”
विक्टिम कार्ड खेलते हुए DIGIPUB ने आगे कहा, “जाँच कानूनी दायरे में नहीं होना चाहिए। यह पहले से ही भारत में डरी हुई मीडिया, जिसकी ग्लोबल मीडिया इंडेक्स और डेमोक्रेसी में लगातार गिरावट देखी जा रही है, को और बदतर करने के लिए नहीं होना चाहिए। हाल ही में ऐसी घटनाएँ सामने आई हैं, जिसमें पत्रकारों को उनका काम करने से रोकने के लिए आपराधिक धमकी दी गई।”
DIGIPUB से जुड़े अर्बन नक्सलियों पर छापेमारी हुई थी
गौरतलब है कि DIGIPUB वही समूह है जिसका कनेक्शन फरवरी 2021 में नक्सली गौतम नवलखा से जुड़ा पाया गया था। इस संगठन पर मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। इस मामले में फरवरी 2021 में प्रबीर पुरकायस्थ के कार्यालय और घर पर छापेमारी हुई थी। कंपनी पर 3 साल में 30 करोड़ रुपए से अधिक लेने का आरोप है।
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के प्रावधानों के तहत पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड से संबंधित अपराध की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय द्वारा हाल ही में प्रबीर पुरकायस्थ के कार्यालय और घर पर छापा मारा गया था। कंपनी पर रुपये से अधिक लेने का आरोप है। 3 साल में 30 करोड़।
आरोप लगाया गया था कि परामर्श शुल्क के नाम पर पत्रकारों और कार्यकर्ताओं को धन वितरित किया गया था। लाभार्थियों में तीस्ता सीतलवाड़ से जुड़े लोग शामिल हैं। अन्य लाभार्थियों में गौतम नवलखा, परंजॉय गुहा ठाकुरता शामिल हैं।
प्रबीर पुरकायस्थ गौतम नवलखा के साथ कंपनियों में निदेशक थे। गौतम नवलखा भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार ‘अर्बन नक्सल’ में से एक है और कथित तौर पर पाकिस्तान के आईएसआई से संबंध रखता है। उसकी गिरफ्तारी के बाद यह बताया गया कि गौतम नवलखा हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों के संपर्क में भी था।
गौतम नवलखा पीपी न्यूजक्लिक स्टूडियो एलएलपी के एक “स्वतंत्र भागीदार” थे, जहाँ उन्हें 17 अप्रैल 2017 को इस पद पर नियुक्त किया गया था। न्यूजक्लिक के वर्तमान मालिक पीपीके न्यूजक्लिक स्टूडियो प्राइवेट लिमिटेड को भीमा कोरेगांव हिंसा के 10 दिन बाद 11 जनवरी 2018 को बनाया गया था।
वायर के संपादक वरदराजन की पत्नी का विक्टिम कार्ड
सिद्धार्थ वरदराजन की पत्नी नंदिनी सुंदर ने ट्वीट करते हुए द वायर को पीड़ित घोषित किया है। अपने ट्वीट के थ्रेड में नंदिनी ने कहा, “द वायर देवेश कुमार द्वारा आपराधिक धोखाधड़ी का शिकार है। यह स्पष्ट नहीं है कि वह अपने दम पर काम कर रहा था या किसी बड़ी साजिश के तहत। दिलचस्प बात यह है कि मालवीय (अमित मालवीय) की शिकायत और एफआईआर में उनका नाम नहीं था। घटनाओं का क्रम इस प्रकार है-“
नंदिनी ने अगले ट्वीट में कहा, “6 अक्टूबर 2022 को द वायर ने संबंधित इंस्टाग्राम के एक अकाउंट होल्डर से प्राप्त एक ईमेल के आधार पर उसके इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट को अचानक हटाए जाने की एक कहानी प्रकाशित की। इसके बाद देवेश कुमार ने जाह्नवी सेन से संपर्क किया और उन्हें बताया कि उन्हें उनके एक निजी मित्र से जानकारी मिली है, जो सिंगापुर में इंस्टाग्राम के कार्यालय में एक वरिष्ठ कार्यकारी अधिकारी हैं, जिसका नाम फिलिप चुआ है। उन्होंने एक ईमेल फॉरवर्ड किया, जिसे उन्होंने फिलिप चुआ से प्राप्त होने का दावा किया था।”
उन्होंने आगे बताया, “उन्होंने एक ‘पोस्ट इंसीडेंट रिव्यू रिपोर्ट’ भी भेजी। ईमेल और रिपोर्ट दोनों में कहा गया है कि अमित मालवीय की शिकायत के आधार पर कार्रवाई की गई। इस बिंदु पर धोखाधड़ी का संदेह करने का कोई कारण नहीं था। वायर ने 11 अक्टूबर को एक ईमेल के आधार पर एक और कहानी प्रकाशित की। देवेश कुमार ने कहा कि उन्हें मेटा में एक सोर्स से प्राप्त हुआ था। उन्होंने कहा, इस सोर्स ने मेटा में कॉम्यनिकेशन प्रमुख एंडी स्टोन से भेजा था, जिसे उन्होंने हेडर से प्रामाणिक होने की पुष्टि की थी।”
नंदिनी आगे लिखती हैं, 15 और 17 अक्टूबर को दो और कहानियाँ भी इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ीकरण पर आधारित थीं, जिनमें देवेश कुमार द्वारा भेजे गए ईमेल और वीडियो शामिल हैं, जो कथित तौर पर इंस्टाग्राम और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा तथा दो स्वतंत्र विशेषज्ञों से उपलब्ध हुए थे।”
नंदिनी ने कहा कि जब दोनों विशेषज्ञों ने सिद्धार्थ वरदराजन को यह कहते हुए लिखा कि उन्होंने ईमेल नहीं लिखे हैं, तब द वायर ने अपनी समीक्षा शुरू की और कहानियों को वापस ले लिया। देवेश ने वायर के एक कर्मचारी के सामने स्वीकार किया है कि उसने ही सब कुछ गढ़ा है। देवेश ने स्टोरी को बाइलाइन भी नहीं लिया।
इसलिए हुई छापेमारी
वामपंथी गुट के दावे के उलट दिल्ली पुलिस ने कहा कि द वायर से जुड़े लोगों के ठिकाने पर छापेमारी जालसाजी, धोखाधड़ी, धोखाधड़ी, मनगढ़ंत और आपराधिक साजिश में उनकी संलिप्तता के आरोपों में हुई है। द वायर द्वारा ऐसी हरकत पहली बार नहीं की गई है, बल्कि उसका ऐसी करतूतों से पुराना नाता रहा है। हालाँकि ताजा मामले में अपने बचाव के लिए सिद्धार्थ वरदराजन एंड कंपनी ने सारा ठीकरा देवेश कुमार के सिर पर फोड़ दिया है।
यहाँ ये ध्यान रखने योग्य है कि सिद्धार्थ वरदराजन एन्ड टीम ने शुरू में इसी मामले में सोशल मीडिया पर उठ रहे विरोधों को नजरअंदाज किया था। तब वो अपने उसी स्टाफ की हरकतों के साथ मजबूती से खड़े रहे थे, जिस पर अब उन्होंने खुद से ही दोषारोपण कर दिया है। इससे पहले सिद्धार्थ वरदराजन ने उस बयान को ख़ारिज कर दिया था, जिसमें मेटा ने द वायर की भाजपा नेता अमित मालवीय के खिलाफ छपी रिपोर्ट का खंडन करते हुए आलोचना की थी।
यहाँ तक कि द वायर की टीम ने अपनी मनगढ़ंत कहानी को सही साबित करने के लिए एक फर्जी ई मेल का भी सहारा लिया। यह फर्जी ई मेल मेटा के अधिकारी एंडी स्टोन के नाम से बनाई गई थी। खुद एंडी स्टोन द्वारा इस मेल को फर्जी करार देने के बाद भी सिद्धार्थ वरदराजन अपने संस्थान द्वारा किए गए दावे पर कायम रहे थे। इस खबर में अमित मालवीय को इन्टाग्राम पर भाजपा के खिलाफ किसी भी पोस्ट को हटाने के विशेषाधिकार प्राप्त होने का दावा किया गया था।
पर बात यहीं खत्म नहीं हुई थी। द वायर एन्ड कम्पनी ने खुद के द्वारा बनाई गई एंडी स्टोन की नकली ईमेल को फर्जी तौर पर DKIM द्वारा सत्यापित बताया। इसके साथ ही वायर ने 2 बाहरी एक्सपर्ट द्वारा भी एंडी स्टोन के ईमेल को सर्टिफाइड करने का दावा किया। इन तमाम हरकतों से सिद्धार्थ वरदराजन एन्ड टीम ने अपने दावे पर कायम रहने की भरसक कोशिश की। बाद में DKIM द्वारा द वायर के दावों का खंडन करने के बाद इस पूरे मामले की पोल खुली। इतनी फजीहत के बाद द वायर ने न सिर्फ अपनी विवादित खबरों को हटाया, बल्कि सार्वजानिक रूप से माफ़ी का नाटक भी किया।
अपने बचाव में सिद्धार्थ वरदराजन ने यह कुतर्क भी दिया है कि द वायर द्वारा प्रयोग होने वाले कम्प्यूटर के डाटा में कोई कमी थी। इसके बाद भी यह सवाल उठता है कि अपने दावों को सही साबित करने के लिए हुए प्रयासों में किन कम्प्यूटरों का प्रयोग हुआ होगा। सोशल मीडिया पर उठ रहे सवालों के बाद सिद्धार्थ वरदराजन ने एक समय यह भी दावा किया था कि उन्होंने अपनी खबर की प्रामणिकता के लिए खुद मेटा के सूत्रों से मुलाकात की थी।
क्या है अमित मालवीय की FIR में
भाजपा नेता अमित मालवीय ने दिल्ली पुलिस में खुद को बदनाम करने के आरोप में द वायर के खिलाफ केस दर्ज करवा रखा है। इस केस में द वायर को एक ऑनलाइन समाचार पोर्टल बताते हुए सिद्धार्थ वरदराजन, सिद्धार्थ भाटिया, जान्हवी सेन, एमके वेणु को नामजद करते हुए कुछ अज्ञात को आरोपित किया गया है।