पालघर में साधुओं की लिंचिंग मामले में सोनिया गाँधी की चुप्पी पर प्रश्न उठाए जाने के बाद कॉन्ग्रेस पार्टी, रिपब्लिक टीवी प्रमुख अर्नब गोस्वामी पर लगातार हमलावर रही। पार्टी ने सोनिया गाँधी पर सवालों को उठता देख पहले अर्नब को ‘साम्प्रदायिक घृणा’ फैलाने का आरोपित करार दिया और अब कोर्ट में कपिल सिब्बल ने इस बात को अप्रत्यक्ष रूप से मान भी लिया कि गोस्वामी पर दायर किया गया पूरा मामला जाँच संबंधी नहीं, बल्कि प्रतिशोध संबंधी है।
दरअसल, अर्नब गोस्वामी के ख़िलाफ़ दायर मुकदमों की सूची में एक मामला रजा अकादमी की ओर से भी दर्ज किया गया है। अकादमी ने अपनी शिकायत में रिपब्लिक टीवी के प्रमुख पर आरोप लगाया है कि उन्होंने साम्प्रदायिकता फैलाने का प्रयास किया।
अब इसी मामले की गंभीरता को परखते हुए अर्नब के वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट में कहा कि उन्हें इस मामले में जाँच कराने में कोई परेशानी नहीं है। अगर, ये मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया जाए।
उल्लेखनीय है कि सीबीआई भारत की एक प्रमुख जाँच एजेंसी है। बावजूद इस तथ्य के एक वकील होने के बाद भी रजा अकादमी की ओर से उनका केस लड़ रहे कपिल सिब्बल ने हरीश साल्वे की माँग पर एक अजीबोगरीब रिप्लाई दिया।
सिब्बल ने साल्वे की बात सुनते ही इस पर आपत्ति जताई और कहा, “सीबीआई को केस देने का मतलब है कि केस तुम्हारे हाथ में दे देना।”
सोचने वाली बात है कि सिब्बल ने ऐसा क्यों कहा? क्या सिब्बल ये कहना चाहते थे कि अर्नब गोस्वामी पर लगे आरोपों की जाँच कॉन्ग्रेस पार्टी द्वारा करवाई जानी चाहिए या फिर ये कहना चाहते थे कि इस केस को कॉन्ग्रेस की मशीनरी द्वारा ही हैंडल किया जाना चाहिए?
कोर्ट में रजा अकादमी के वकील की प्रतिक्रिया देखकर हरीश साल्वे ने सुनवाई के दौरान कहा भी कि कपिल सिब्बल का ये बयान साबित करता है कि अर्नब के ख़िलाफ़ जाँच राजनीति से प्रेरित होने के अलावा कुछ भी नही है। इसीलिए तो वे लोग चाहते है कि उनके लोग ही अर्नब से पूछताछ करें।
हरीश साल्वे ने कहा, “सिब्बल का बयान दर्शाता है कि इस मामले में सीबीआई की जरूरत है। ये राज्य और केंद्र की राजनैतिक समस्या है और अर्नब इसमें बीच में फँस गए हैं।”
“Stop this communal violence and communal mongering. Decency and morality you [#arnabgoswami] need to follow. You are stigmatising people by way of sensationalising things. Making allegations against Congress. Clearly communal” – Senior Adv @KapilSibal @INCIndia @republic
— Live Law (@LiveLawIndia) May 11, 2020
गौरतलब है कि अब तक इस पूरे मामले में मुंबई पुलिस द्वारा अर्नब गोस्वामी से पूछताछ का तरीका काफी संदिग्धता पैदा करता है। सबसे पहले तो इस बात पर अब तक कोई सफाई नहीं दी गई कि आखिर अर्नब गोस्वामी से 12 घंटे पूछताछ क्यों की गई? इसके बाद ये सवाल कि जब अर्नब पर देर रात हमला करने वालों ने खुद स्वीकारा कि वे युवा कॉन्ग्रेस के सदस्य हैं, तो भी शिकायत में इस बात को लिखने से गुरेज क्यों किया जाता रहा कि अर्नब व उनकी पत्नी पर हमला करने वाले युवा कॉन्ग्रेस से थे?
बता दें, आज इस मामले में कोर्ट की सुनवाई के बाद स्पष्ट हो गया है कि कॉन्ग्रेस के लिए सोनिया गाँधी पर सवाल उठाने का सीधा मतलब देश में हिंसा फैलाने से हैं और सीबीआई का मतलब उनके लिए केंद्र सरकार से है। वे मानते हैं कि अगर सीबीआई के हाथ में मामला गया तो फिर वे उस आधार पर जाँच नहीं करेंगे, जिसपर कॉन्ग्रेस की मशीनरी कर पाएगी।
आज इस वाकए ने एक बार फिर साबित किया है कि कॉन्ग्रेस ऐसा मान चुकी है कि सोनिया गाँधी के लिए मीडिया के सवाल नहीं बने हैं। पर अगर, फिर भी कोई पत्रकार ऐसी जुर्रत करता है, तो उसको पार्टी द्वारा ऐसे ही निशाना बनाया जाएगा जैसे अर्नब को बनाया जा रहा है। कभी 12 घंटे पूछताछ करके, तो कभी 2018 के मामले को दोबारा उठाके।