Saturday, December 21, 2024
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‘दैनिक भास्कर ने हड़पी वनवासियों की जमीन’: ‘राष्ट्रीय ST आयोग’ ने DM-SP को तलब किया, छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेस सरकार भी घेरे में

NCST संस्था ने बताया है कि उसे 'दैनिक भास्कर' समूह मीडिया संस्थान द्वारा अवैध रूप से आदिवासियों की जमीन की खरीद-बेच करने सम्बंधित शिकायत प्राप्त हुई है।

मीडिया संस्थान ‘दैनिक भास्कर’ समूह पर छत्तीसगढ़ के जांजगीर में आदिवासियों की जमीन हड़पने के आरोप लगे हैं। बता दें कि वित्तीय गड़बड़ी के आरोपों के कारण जुलाई 2021 में आयकर विभाग (IT) ने भी ‘दैनिक भास्कर’ के ठिकानों पर छापेमारी की थी। ‘दैनिक भास्कर’ देश का सबसे बड़ा अख़बार समूह होने का दावा करता रहा है। बता दें कि 1958 में भोपाल में स्थापित ‘दैनिक भास्कर’ विश्व का चौथा और भारत का सबसे ज्यादा सर्कुलेशन वाला अख़बार बताया जाता है।

‘दैनिक भास्कर’ समूह पर छत्तीसगढ़ के जांजगीर में लगे आरोपों की जाँच अब ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST)’ करेगा। NCST ने अपने बयान में कहा कि संस्था ने संविधान के अनुच्छेद-338A द्वारा मिली शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उसने जांजगीर-चंपा के जिलाधीश जितेंद्र कुमार शुक्ल को इस मामले में तलब किया है। उन्हें NCST के सदस्य अनंता नायक के समक्ष नई दिल्ली स्थित संस्था के मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है।

संस्था ने बताया है कि उसे ‘दैनिक भास्कर’ समूह मीडिया संस्थान द्वारा अवैध रूप से आदिवासियों की जमीन की खरीद-बेच करने सम्बंधित शिकायत प्राप्त हुई है। शिकायत मिली है कि इससे आदिवासियों की संपत्ति अलग-थलग हो गई है। ‘Asianet News’ की खबर के अनुसार, ‘दैनिक भास्कर’ ने पहले एक व्यक्ति को अपने यहाँ नौकरी पर रखा। उसे ‘DB पॉवर लिमिटेड’ के लिए एजेंट का काम दिया गया। फिर सस्ते दाम में वनवासियों की जमीन खरीदने का काम किया गया।

दरअसल, नियम है कि जब किसी वनवासी की जमीन कोई अन्य वनवासी खरीदता है तो उसे किसी विशेष अनुमति की जरूरत नहीं पड़ती है। लेकिन, किसी बाहर के व्यक्ति द्वारा जब किसी वनवासी की जमीन खरीदी जाती है तो उसे स्थानीय डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (DM) से अनुमति लेनी होती है। आरोप है कि उक्त एजेंट ने मीडिया संस्थान के कहने पर वनवासियों की जमीनें खरीद कर ‘डीबी पॉवर लिमटेड’ को बेच दिया। गाँव वालों से सस्ते में जमीन खरीदने के आरोप है।

शिकायत में कहा गया है कि एजेंट के रूप में काम कर रहे उस व्यक्ति ने संस्थान के कहने पर ये सब किया। इस दौरान ‘छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन’ ने भी वनवासियों की जमनी अधिग्रहित कर ‘दैनिक भास्कर’ की कंपनी को बेचा। राज्य में भूपेश बघेल के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस की सरकार है। इस पूरी साजिश में और भी लोगों के शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। छत्तीसगढ़ स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन’ के एमडी को नोटिस जारी करने पर उन्होंने NCST को कोई जवाब नहीं दिया। डीएम-एसपी से भी संतोषजनक जवाब न मिलने पर आयोग ने उन्हें तलब किया है।

याद हो कि जुलाई 2021 में आईटी विभाग ने दावा किया था कि ‘दैनिक भास्कर मीडिया समूह’ के कई कार्यालयों पर छापेमारी के बाद 2200 करोड़ रुपए के ‘काल्पनिक लेनदेन’ का पता चला है। वहीं, मीडिया समूह की तलाशी में छह वर्षों में ₹700 करोड़ की आय पर अवैतनिक कर, शेयर बाजार के नियमों का उल्लंघन और लिस्टेड कंपनियों से लाभ की हेराफेरी के आयकर विभाग को सबूत मिले थे। तब अख़बार ने इसे ‘प्रेस पर हमला’ बता कर सहानुभूति बटोरने की कोशिश की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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