इंडियन एक्सप्रेस के साथ काम कर चुकी ‘पत्रकार’ इरेना अकबर ने कोविड-19 महामारी के लिए खुदा का शुक्रिया कहा है और यह दावा किया है कि यदि कोरोनावायरस नहीं होता तो भारतीय मुसलमान डिटेन्शन कैंप में होते। उनका यह बयान उस दौरान आया जब लिबरल्स यह चर्चा कर रहे थे कि कोविड-19 से लड़ने में किसी ‘संघी’ की सहायता करनी चाहिए अथवा नहीं।
इरेना अकबर ने कहा, “यदि कोरोनावायरस नहीं होता तो भारतीय मुसलमान डिटेन्शन कैंप में होते। हालाँकि मैं वायरस की शुक्रगुजार नहीं हूँ जिसने मेरी आंटी की जान ली, जिसने मेरे अब्बू को आईसीयू में पहुँचा दिया और कई घरों में ट्रेजेडी का कारण बन गया। मैं इस तथ्य पर बात कर रही हूँ कि जब ‘फासीवादी’ अपने प्लान बना रहे थे तब अल्लाह ने अपना प्लान बना दिया।“
अकबर ने आगे कहा, “भारतीय मुसलमानों के लिए यह कुआँ और खाई की स्थिति है। या तो वो कोविड-19 के डर से मरें या फिर राज्य व्यवस्था की मुस्लिम विरोधी हिंसा के डर से। हालाँकि कोविड-19 हमें चुनकर निशाना तो नहीं बना रहा क्योंकि दूसरे केस में जनता इसका (राज्य आधारित मुस्लिम विरोधी हिंसा) आनंद लेगी।
ऐसा ही एक बयान राहुल गाँधी के सहयोगी अब्बास सिद्दीकी ने पिछले साल कोरोनावायरस की महामारी के दौरान दिया था। सिद्दीकी ने अल्लाह के वायरस से 50 करोड़ भारतीयों की मौत की दुआ माँगी थी।
न तो भारत में कोई डिटेन्शन कैंप बनाया गया है और न ही मुस्लिमों के खिलाफ कोई राज्य आधारित हिंसा हो रही है लेकिन तथाकथित पत्रकारों द्वारा संकट के समय में ऐसे बयान देना उनकी विषाक्त मानसिकता को जरूर बताता है।
इरेना अकबर हमेशा से ही ऑनलाइन मंचों पर घृणास्पद बयान देने के लिए जानी जाती रही है। फरवरी 2020 में अकबर ने दलितों पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने गुजरात दंगों के दौरान मुस्लिमों का गैंगरेप और उनकी हत्या की थी। अकबर हिंदुओं के द्वारा चलाए जा रहे व्यापार के बहिष्कार की बात भी कर चुकी है। उसने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा जामिया के पक्ष में आवाज न उठाने पर घोर निराशा भी व्यक्त की थी।