फ्रांस का वामपंथी मीडिया संस्थान मीडियापार्ट अब कथित तौर पर भारत में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) से नाराज़ है। मीडियापार्ट की नाराजगी का कारण उसी की एक रिपोर्ट का भाजपा द्वारा इस्तेमाल है। मीडियापार्ट ने हाल ही में अडानी समूह पर आरोप जड़ने वाले OCCRP पर एक रिपोर्ट छापी थी। इसमें OCCRP के लिंक अमेरिकी विदेश विभाग से जुड़े बताए गए थे। भाजपा ने इस रिपोर्ट के आधार पर कॉन्ग्रेस समेत अमेरिका को निशाने पर लिया था।
मीडियापार्ट की रिपोर्ट में बताया गया था कि अडानी समूह पर दो हिट पीस प्रकाशित करने वाले ऑर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) की फंडिंग का आधे से अधिक हिस्सा अमेरिकी विदेश विभाग से आता है। OCCRP खुद को एक स्वतंत्र संस्थान बताता आया है। इस रिपोर्ट के बाद स्पष्ट हुआ था कि OCCRP अमेरिका के कहने पर विदेशों में अलग-अलग कम्पनियों या सरकारों को निशाना बनाता है।
इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद भाजपा ने इसके कुछ हिस्से साझा किए थे। भाजपा ने भारत और भारतीय कम्पनियों के खिलाफ की गई बड़ी साजिश की तरफ इशारा किया था। हालाँकि, भाजपा का रिपोर्ट के कुछ हिस्से साझा करना मीडियापार्ट को पसंद नहीं आया। मीडियापार्ट ने इसको लेकर एक बयान जारी किया है।
भारत में मीडियापार्ट की रिपोर्ट पर हुए सियासी हँगामे के बाद इस पर प्रतिक्रिया देते हुए मीडियापार्ट ने 7 दिसंबर को कहा, “मीडियापार्ट OCCRP के बारे में हाल ही में प्रकाशित अपनी रिपोर्ट के पीएम मोदी का एजेंडा बढ़ाने और प्रेस की स्वतंत्रता पर हमला करने के लिए भाजपा द्वारा इस्तेमाल करने की कड़ी निंदा करता है।”
मीडियापार्ट की डायरेक्टर और प्रकाशक कैरीन फाउटेउ ने कहा कि भाजपा ने फर्जी खबरें फैलाने के लिए मीडियापार्ट के लेख का गलत तरीके से फायदा उठाया है। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा ने जिस रिपोर्ट का हवाला दिया वह मीडियापार्ट ने प्रकाशित नहीं की…भाजपा द्वारा प्रचार की जा रही साजिश की योजना के पक्ष में कोई भी तथ्य उपलब्ध नहीं हैं।” मीडियापार्ट ने इस बीच यह नहीं बताया कि भाजपा द्वारा कौन सा हिस्सा साझा किया आना साजिश के तहत आता है।
गौरतलब है कि 2 दिसंबर, 2024 को मीडियापार्ट ने ‘द हिडेन लिंक्स बिटवीन जायंट ऑफ़ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म एंड यूएस गवर्मेंट’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जिसमें OCCRP के कामकाज में अमेरिकी सरकार के हस्तक्षेप की बात की गई थी। मीडियापार्ट ने इस रिपोर्ट में बताया कि OCCRP खुद को भले ही पूरी तरह से स्वतंत्र बताता है, लेकिन इसके मैनेजमेंट ने इसे अमेरिका पर पूरी तरह से निर्भर कर दिया है। मीडियापार्ट की रिपोर्ट के अनुसार, अभी भी OCCRP की फंडिंग का लगभग 50% से अधिक अमेरिकी एजेंसियाँ देती हैं।
अडानी पर हमले का OCCRP का है इतिहास
अगस्त 2023 में, ऑपइंडिया ने भविष्यवाणी की थी कि OCCRP अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ के नक्शेकदम पर चलते हुए भारतीय बाजार में उथल-पुथल मचाने की योजना बना रहा है। हमने खुलासा किया था कि OCCRP को जॉर्ज सोरोस के ओपन सोसाइटी फाउंडेशन (OSF), फोर्ड फाउंडेशन और रॉकफेलर ब्रदर्स फाउंडेशन जैसी संस्थाओं से फंड मिलता है।
OSF ने संगठन की क्रॉस-बॉर्डर रिपोर्टिंग को ‘मजबूत’ करने और प्रभाव बढ़ाने के लिए संगठित OCCRP को $8,00,000 (₹6.61 करोड़) का अनुदान भी दिया। ‘पत्रकारों के नेटवर्क’ ने अब तक दो हिट लेख प्रकाशित किए हैं। एक अगस्त 2023 में और दूसरा मई 2024 में। अडानी समूह और मॉरीशस स्थित फंड ‘360 वन’ द्वारा OCCRP के इन दावों को खारिज कर दिया गया।
यहाँ तक कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी फैसला सुनाया था कि OCCRP की रिपोर्ट का इस्तेमाल सेबी द्वारा चल रही जाँच पर संदेह जताने के लिए नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिना किसी सत्यापन के किसी संगठन की रिपोर्ट पर सबूत के तौर पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
मीडियापार्ट के खुलासे ऐसे समय में हुए हैं जब गौतम अडानी को रिश्वतखोरी के कथित आरोपों को लेकर अमेरिका में परेशान किया जा रहा है। गौरतलब है कि जिस USAID से OCCRP पैसा लेता है, वह कई देशों में सरकारें बदलने के लिए ज़िम्मेदार रहा है।