Wednesday, November 20, 2024
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ऑल्टन्यूज के जुबैर ने BJP प्रवक्ता गौरव भाटिया के दावे पर उठाए सवाल, फिर खुद लगाई मुहर

गौरव भाटिया द्वारा ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते ही जुबैर ने उछलकर ऑल्टन्यूज के कथित फैक्ट चेक का एक लिंक डाला। हालाँकि यह बात अलग है कि उसमें बीजेपी प्रवक्ता ने जो कहा उनके एक शब्द को भी खारिज नहीं किया गया है।

धुर वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ऑल्टन्यूज को फैक्टचेकर के तौर पर लगातार गलत चीजों का बचाव करने और फेक न्यूज फैलाने की आदत पड़ गई है। तथ्यों को भी झुठलाने की कोशिश में ये कथित फैक्टचेकर भ्रामक निष्कर्ष निकालकर पेश करते हैं। ऐसा ही कुछ तब हुआ कि जब बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने एक मस्जिद में लोगों के इकट्ठा होने का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से पोस्ट किया।

गौरव भाटिया ने वीडियो साझा करते हुए कहा, “अगर यह जाहिलियत नहीं तो क्या है? क्या ये लोग देश के कानून से भी ऊपर हैं? यदि उनकी आलोचना करो तो कहते हैं कि हमारे धर्म को निशाना बनाया जा रहा है। खतरे में आप नहीं, बल्कि आपकी वजह से यह देश है। अब देखते है कितने लोग इनके समुदाय से (उनकी निंदा करने के लिए) सामने आते हैं। जिसको बुरा लगता है लगे, गलत है तो गलत है।”

बीजेपी के प्रवक्ता गौरव भाटिया ने साफ तौर पर इस बात का जिक्र करते हुए कहा कि कुछ लोग देश भर की मस्जिदों में लॉकडाउन के नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हुए इकट्ठा होते रहते हैं और इसी के चलते लगातार कोरोना वायरस फैल रहा है।

गौरव भाटिया द्वारा ट्विटर पर वीडियो पोस्ट करते ही जुबैर ने उछलकर ऑल्टन्यूज के कथित फैक्ट चेक का एक लिंक डाला। इस प्रोपेगेंडावादी ने बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया के लिए कहा “ऐसी क्या मजबूरी आ पड़ी थी कि आपको लॉकडाउन से एक दिन पहले का यह वीडियो पोस्ट करना पड़ा? क्या आपको आईटी सेल से आदेश मिला था?”

फिर उसने अपने ट्वीट के अंत में ऑल्टन्यूज के कथित फैक्ट-चेक का लिंक जोड़ा। हालाँकि यह बात अलग है कि उसमें बीजेपी प्रवक्ता ने जो कहा उनके एक शब्द को भी खारिज नहीं किया गया है।

ऑल्टन्यूज के सह-संस्थापक जुबैर द्वारा पोस्ट किए गए फैक्ट चेक में कहा गया है कि यह वीडियो महाराष्ट्र की एक मस्जिद के बाहर रिकॉर्ड किया गया था, जो महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। ऑल्टन्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई मिरर ने 23 मार्च को खबर दी थी कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सोमवार को राज्यभर में कर्फ्यू लगा दिया, क्योंकि रविवार को जनता कर्फ्यू का सख्ती से पालन करने के बाद लोग लगातार धारा 144 का उल्लंघन कर रहे थे।

इसके अलावा फिर से ऑल्टन्यूज ने पीटीआई की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि सोमवार को पुलिस ने मस्जिद के ट्रस्टियों के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की था, जहाँ करीब 150 लोग कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए लागू सरकारी नियमों का उल्लंघन कर नमाज अदा करते हुए मिले थे। इससे यह साफ है कि जो लोग मस्जिद में इकट्ठा हुए थे उन्होंने कोरोना की रोकथाम के लिए जारी किए गए सरकारी आदेशों की अवहेलना की थी।

ऑल्टन्यूज द्वारा किए गए फैक्ट चेक का स्क्रीनशॉट

आपको बता दें कि गौरव भाटिया ने अपने ट्वीट में तारीख या फिर किसी स्थान और समय का उल्लेख नहीं किया था। इस वीडियो का प्रयोग उन्होंने केवल एक उदाहरण के रूप में किया था। जो सवाल उन्होंने खड़ा किया किया था वह आज भी है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि यह एक निर्विवाद तथ्य है कि वीडियो में दिखाई दे रहे इकट्ठा लोगों ने कोरोना वायरस से निपटने के लिए जारी सरकारी आदेशों की अवहेलना की थी और दूसरों के जीवन को खतरे में डाला था। इस तरह की कई घटनाएँ सामने आ चुकी है।

लॉकडाउन उल्लंघन की अन्य घटनाएँ

आपको बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में औरंगाबाद की एक मस्जिद में चालीस के आसपास लोग जमा हो गए थे, जबकि राज्य में कोरोनो वायरस का कहर जारी है। जब पुलिस मौके पर पहुँची तो भीड़ द्वारा उन पर हमला किया गया और यहाँ तक ​​कि हमले में महिलाएँ भी शामिल थीं। इस घटना में तीन पुलिसकर्मी घायल हो गए थे।

वहीं मंगलवार को पश्चिम बंगाल के हावड़ा में लॉकडाउन का पालन कराने गए पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया। अहमदाबाद के गोमतीपुर में तबलीगी जमात के सदस्यों की खोज करने गए पुलिसकर्मियों पर हमला किया गया। इस दौरान हुए पथराव में एक सिपाही भी घायल हो गया था। इस मामले को दो आरोपितों को हिरासत में लिया गया था।

गौरव भाटिया और जुबैर के बीच वास्तव में क्या हुआ

दरअसल बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया एक बड़े मुद्दे की ओर इशारा करने के लिए इस घटना का उपयोग कर रहे थे। उनके ट्वीट से इस बात का कोई संकेत नहीं मिलता है कि उनका मतलब कुछ और था या उनका इरादा यह बताने का था कि भीड़ एक वैकल्पिक स्थान या समय पर थी। इसके बावजूद भी जुबैर ने भ्रामक टिप्पणी करते हुए प्रतिक्रिया दी कि यह भाजपा के आईटी सेल के दबाव में किया गया है।

ऐसा कर वह यह दिखाना चाहते थे कि लॉकडाउन का उल्लंघन सिर्फ दूसरें समुदाय के लोग ही कर रहे हैं। वास्तव में ऑल्टन्यूज की रिपोर्ट भी उसकी ही पुष्टि करती है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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