Sunday, November 17, 2024
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‘मुगल महान, हिंदुओं ने बौद्ध मंदिर तोड़े’: TV पर मुगलों के ‘प्रवक्ता’ राजदीप सरदेसाई को साथी पत्रकार गौरव सावंत ने धोया, याद दिलाया कैसे मारे गए 40000 हिंदू

राजदीप सरदेसाई ने दीन-ए-इलाही का उदाहरण रखकर इस्लामी बर्बरता पर सफाई देने का प्रयास किया। वहीं गौरव सावंत ने उन्हें ये कहकर चुप कराया कि मार्क्सवादियों द्वारा लिखे गए इतिहास में यही तो था कि उसमें दीन-ए-इलाही बता दिया गया, लेकिन ये नहीं बताया गया कैसे  चित्तौड़ में हिंदू मरे।

NCERT किताबों में मुगल इतिहास पर विवाद बढ़ता जा रहा है। इसी क्रम में हर न्यूज रूम में इस पर बहस हो रही है। एक पक्ष का कहना है कि स्कूली शिक्षा में मुगलों के बारे में पढ़ाया जाना अनिवार्य होना चाहिए ताकि पता चले कि उन्होंने भारत के लिए कितना कुछ किया। वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि मुगलों का इतिहास शिक्षा का हिस्सा हो लेकिन उसे बिन किसी तोड़-मरोड़ के पेश किया जाए ताकि ये पता चले कि मुगलों ने भारत में कितनी तबाही मचाई।

अब यही बहस न्यूजरूम्स तक भी पहुँच गई है। इंडिया टुडे के एंकर व कंसल्टिंग एडिटर राजदीप सरदेसाई भी ऐसी ही एक चर्चा में शामिल हुए जहाँ उन्होंने अपने ‘प्रोपेगेंडा’ को गोल-मोल करके पेश करने का प्रयास किया। हालाँकि, इस दौरान शो में बैठे एंकर व मैनेजिंग एडिटर गौरव सावंत ने उन्हें जमकर लताड़ लगाई। उन्हें तथ्यों से वाकिफ करवाते हुए बताया कि आखिर किस तरह मुगलों ने भारत में हिंदुओं को चुन-चुनकर मारा था जिसे इतिहास की किताबों में चालाकी से छिपा दिया गया।

इंडिया टुडे के डेमोक्रेटिक न्यूजरूम शो में देख सकते हैं कि राजदीप सरदेसाई कहते हैं, “इतिहास की बातें इतिहासकारों के हाथ में छोड़ दी जानी चाहिए, न कि उसे राजनेताओं को लिखने को देना चाहिए, क्योंकि ऐसा होते ही इतिहास में जहर भर जाता है। आप इतिहास से मुगलों को नहीं मिटा सकते। उन्होंने भारत के बहुलवादी संस्कृति का प्रतिनिधित्व किया है। आप उन्हें मिटाकर कैसे सिर्फ विलन दिखा सकते हैं। मैं नहीं कहता कि अकबर महान था। मगर कम-से-कम हमारे युवाओं को अकबर के बारे में पढ़ने तो दो। उन्हें देश के अन्य राजाओं के बारे में पढ़ने दो। लेकिन इस प्रकार चुन-चुनकर इतिहास मिटाना ताकि वो राजनैतिक एजेंडे को सूट करे वहाँ मुझे आपत्ति होती है। यही पाकिस्तान ने भी इतिहास के साथ किया था जिस वजह से वहाँ की पीढ़ी भारत पर निशाना साधती रहती है।”

गौरव सावंत ने लगाई राजदीप को लताड़

राजदीप की बात सुनने के बाद गौरव सावंत ने अपनी बात शुरू की। उन्होंने कहा कि वह राजदीप से सहमत हैं कि मुगल इतिहास को कभी भी बच्चों की किताबों से नहीं मिटाया जाना चाहिए। इस देश को पता होना चाहिए कि अकबर ने आखिर किया क्या था। पता होना चाहिए कि बाबर इस धरती का एक विध्वंसक था जो कहीं और से आया था। चित्तौड़ के युद्ध में कैसे 40 हजार हिंदू मारे गए थे और उनकी संख्या मापने के लिए उनके जनेऊ गिने गए थे।

उन्होंने कहा ये सब राजनेताओं द्वारा लिखित इतिहास की किताब में नहीं लिखा गया बल्कि इसे जेम्स स्टॉर्ट ने लिखा है। इसी तरह अकबर ने प्रयागराज और बनारस में क्या किया। बदायूनी को इसलिए ईनाम से नवाजा था क्योंकि उसने काफिरों के खून में अपने दाढ़ी भिगाने की बात कही थी। इसके बाद फादर मॉनसेराट ने भी लिखा है कि कैसे मुसलमानों ने हिंदुओं के मंदिरों और उसकी मूर्तियों को तोड़ा।

‘दीन-ए-इलाही’ की आड़ में छिपाया हिंदुओं का नरसंहार

कार्यक्रम में राजदीप सरदेसाई को कहते सुना जा सकता है कि गौरव नफरत फैलाने के अलावा भी बहुत सारा इतिहास है। उन्होंने दीन-ए-इलाही का उदाहरण रखकर इस्लामी बर्बरता पर सफाई देने का प्रयास किया। वहीं गौरव सावंत ने उन्हें ये कहकर चुप कराया कि मार्क्सवादियों द्वारा लिखे गए इतिहास में यही तो था कि उसमें दीन-ए-इलाही बता दिया गया, लेकिन ये नहीं बताया गया कैसे चित्तौड़ में हिंदू मरे। जहाँगीर के बारे में यह नहीं बताया गया कि कैसे उसने सिखों के पाँचवे गुरु को गर्म तवे पर बैठाकर मारा था।

राजदीप ने हिंदू राजाओं पर उठाए सवाल, मिला करारा जवाब

डेमोक्रेटिक न्यूजरूम की यह बहस यही नहीं रुकी। इस कार्यक्रम में राजदीप ने बहादुर शाह जफर को महान विद्वान बताया और ये भी कहा कि उन्होंने विलियन डार्लिम्पल के पॉडकास्ट से जफर के योगदान के बारे में जाना। कहा कि जिस दिल्ली में हम रहते हैं यहाँ भी मुगलों ने काफी योगदान दिया है। इस पर गौरव सावंत ने उनसे पूछा कि आखिर दिल्ली के बड़े-बड़े मंदिर कहाँ हैं। राजदीप ने आगे यहाँ तक कहा कि हिंदुओं ने बौद्धों के मंदिरों को तोड़ा जिसे सुन ट्विटर के ट्रू इंडोलॉडी अकॉउंट ने उन्हें चुनौती दी कि वो बस तीन ऐसे हिंदू राजाओं के बारे में बता दें, उसके बाद वह तमाम हिंदू राजओं के बारे में बताएँगे जिन्होंने बौद्ध धर्म के लिए कितना कुछ किया।

उल्लेखनीय है कि बीते कुछ दिनों से ये चर्चा हो रही है कि 12 वीं की एनसीईआरटी किताबों से मुगल इतिहास के अध्याय हटाए जा रहे हैं। जबकि एनसीईआरटी के डायरेक्टर का कहना है कि ऐसा दावा करने वाले न्यूज आउटलेट सिर्फ झूठ फैला रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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