हाल ही में प्रसार भारती ने ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (PTI)’ के साथ हुए करारों की समीक्षा शुरू की थी। अब उसने PTI को 84 करोड़ रुपए का बिल थमाया है। प्रसार भारती का कहना है कि जिन नियम एवं शर्तों के साथ PTI को उसके नई दिल्ली स्थित दफ्तर के लिए ज़मीन मुहैया कराई गई थी, उसका उसने उल्लंघन किया है। उक्त ज़मीन PTI को लीज एग्रीमेंट पर दी गई थी और न्यूज़ एजेंसी को दसियों करोड़ का फायदा होता आया है।
बता दें कि ग्राउंड फ्लोर पर स्थित दफ्तर के लिए PTI ने 1984 से लेकर अब तक किराया नहीं दिया है। ऊपर से उसने उक्त परिसर में अवैध निर्माण भी कराया है। इन्हीं कारणों से उसे नोटिस भेजा गया है।
पत्रकारों की पूरी लॉबी ने भारत सरकार पर निशाना साधते हुए PTI का बचाव किया है। PTI द्वारा भारत-चीन तनाव के बीच चीनी राजदूत का इंटरव्यू लेकर भारत-विरोधी प्रोपेगेंडे को आगे बढ़ाया गया, जिससे सरकार नाराज़ है। 7 करोड़ रुपए के सालाना करार के साथ भारत सरकार PTI की सबसे बड़ी सब्सक्राइबर है।
वहीं अगर PTI को मिले ताज़ा नोटिस की बात करें तो इसे केंद्रीय आवास मंत्रालय के ‘लैंड एंड डेवलपमेंट ऑफिस’ द्वारा मंगलवार (जुलाई 7, 2020) को जारी किया गया था। PTI से कहा गया है कि वो 1 महीने के भीतर सारे बकाए को क्लियर करे वरना उसे 10% जुर्माने के रूप में अलग से देना पड़ेगा। सरकार से अपने सवालों के जवाब या स्पष्टीकरण पाने के लिए भी एजेंसी को 1 सप्ताह का समय दिया गया है।
याद हो कि समाचार एजेंसी के साथ हुए एक साक्षात्कार में चीनी राजदूत सन वीडोंग ने गलवान घाटी में हुए टकराव के लिए पूरे दोष को भारत के ऊपर डाल दिया था। लेकिन आश्चर्य यह कि इस दौरान एक बार भी PTI ने चीनी राजदूत को सवालों से नहीं घेरा या उनके प्रोपेगेंडा फैलाने पर अंकुश लगाने की कोशिश की। मौजूदा विवाद के अलावा पीटीआई का फर्जी खबरों को फैलाने का एक लंबा इतिहास रहा है।
बता दें कि PTI को विभिन्न की फीस के रूप में प्रसार भारती से दशकों से करोड़ों रुपए प्राप्त होते रहे हैं। इस उसे भारी फायदा होता रहा है। सूत्रों के अनुसार PTI को प्रसार भारती से प्रत्येक वर्ष 9 करोड़ रुपए प्राप्त होते हैं। इसके अलावा PIB (प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो) से भी PTI को भारी रकम मिलती आई है। PTI की ‘देश विरोधी’ रिपोर्टिंग देख प्रसार भारती का मानना है कि इस करार के साथ आगे बढ़ना ठीक नहीं होगा।