सुदर्शन न्यूज के प्रोग्राम बिंदास बोल-UPSC जिहाद पर सुनवाई के बीच सुप्रीम कोर्ट में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने अपना हलफनामा दायर कर दिया है। इस हलफनामे में मंत्रालय ने प्रोग्राम को आपत्तिजनक कहा है लेकिन फिर भी प्रोग्राम के बाकी बचे 4 एपिसोड को प्रोग्राम कोड के मुताबिक काट-छाँट करके चलाने की अनुमति दे दी है।
BREAKING: Ministry of Information and Broadcasting has filed an Affidavit stating that the “#BindasBol – #UPSCJihad” programme of #SudarshanNews is against good taste and decency, attacks religious communities and contains defamatory, deliberate and obscene half truths. pic.twitter.com/ImQ2iCKefz
— Live Law (@LiveLawIndia) November 18, 2020
सुदर्शन टीवी को भविष्य में सावधानी बरतने की होगी जरूरत
इस हलफनामे में मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि चैनल को अपनी विषय सामग्री को लेकर भविष्य में सावधानी बरतनी होगी। हलफनामे में लिखा है, “मामले में सभी तथ्यों और परिस्थियों को जाँच करने और ब्रॉडकास्टर के मौलिक अधिकारों को संतुलित करने के बाद भविष्य में सावधान रहने के लिए ये कुछ ‘सावधानियाँ’ हैं। यह निर्देश दिया जाता है कि आगे यदि प्रोग्राम कोड का उल्लंघन भविष्य में किया गया तो कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।”
मंत्रालय ने चैनल के शो को इस तरह से मॉडरेट करने के लिए कहा है कि प्रोग्राम कोड का कोई उल्लंघन न हो। इसमें किसी धर्म या समुदाय पर हमला, या विजुअल्स और ऐसे शब्द इस्तेमाल न करने को कहा गया जो सांप्रदायिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हैं। इसके साथ ही मंत्रालय ने चैनल से कहा कि वह अश्लील, अपमानजनक, गलत चीजें भी अपने शो से हटाएँ।
इससे पहले मंत्रालय ने चैनल को केबल टीवी नेटवर्क रेगुलेशन एक्ट के तहत प्रोग्राम कोड उल्लंघन से संबंधित शिकायतें मिलने के बाद नोटिस भेजा था। अब मंत्रालय का निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अधीन है वही इस मामले पर आगे सुनवाई करेंगे।
UPSC जिहाद प्रोग्राम पर सुदर्शन टीवी के ख़िलाफ़ मुकदमा
सितंबर में सुदर्शन टीवी ने बिंदास बोल प्रोग्राम के कुछ एपिसोड प्रसारित किए थे। इसमें दावा किया गया था कि कुछ समूह हैं जो मुस्लिम युवाओं को सिविल परीक्षाओं के लिए तैयार कर रहे हैं। उन्होंने इसे ‘यूपीएससी जिहाद’ कहते हुए कई ऐसे प्रमाण दिखाए थे जिससे उनका दावा मजबूत हो। इस प्रोग्राम के प्रसारण के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने इस पर विरोध किया था और माँग की थी कि इसके अन्य भाग ब्रॉडकास्ट होने से रोके जाएँ।
मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा था कि जिन्हें शो नहीं पसंद है वो अपना टीवी बंद कर लें। साथ ही सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से इस केस पर जाँच करने को कहा था कि क्या यह मामला प्रोग्राम कोड का उल्लंघन है। सुनवाई के दौरान सुदर्शन टीवी ने भी एनडीटीवी के ऐसे शो दिखाए थे कि जिसमें हिंदुओं की खराब छवि दिखाने का प्रयास हुआ था।
ऑपइंडिया का हस्तक्षेप
गौरतलब है कि कुछ समय पहले जब इस मामले ने तूल पकड़ा था और चैनल की ओर से इसके प्रसारण पर रोक हटाने की माँग की गई थी तब ऑपइंडिया, इंडिक कलेक्टिव ट्रस्ट और अपवर्ड ने भी इस संबंध में ‘इंटरवेंशन एप्लीकेशन’ (हस्तक्षेप याचिका) दायर की थी। ‘फ़िरोज़ इक़बाल खान बनाम यूनियन ऑफ इंडिया’ मामले में अनुमति-योग्य फ्री स्पीच को लेकर रिट पेटिशन दायर की गई थी।
‘हस्तक्षेप याचिका’ में कहा गया था:
“सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विचार के लिए जो मुद्दे आए हैं, जाहिर है कि उसके परिणामस्वरूप फ्री स्पीच की पैरवी करने वालों पर प्रकट प्रभाव पड़ेगा। साथ ही ऐसी संस्थाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा, जो जनता के लिए सार्वजनिक कंटेंट्स का प्रसारण करते हैं। इसलिए याचिकाकर्ता की ओर से ये निवेदन है कि इन्हें भी इस मामले में एक पक्ष बनाया जाए। इस प्रक्रिया में एक पक्ष बना कर भाग लेने की अनुमति दी जाए।”