अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में 22 जनवरी, 2024 को प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा। जैसे-जैसे इसकी तारीख नज़दीक आते जा रही है, मीडिया में भी कई तरह की खबरें आ रही हैं। अब ‘News 24’ ने एक भ्रामक ट्वीट डाल कर दावा किया कि रामलला की मूर्तियों का निर्माण मुस्लिम कर रहे हैं। ‘न्यूज़ 24’ ने अपने ट्वीट में लिखा, “जनवरी में अयोध्या के राम मंदिर में विराजने के लिए रामलला तैयार हैं। मूर्तियों को बंगाल के मोहम्मद जमालुद्दीन और उनके बेटे बिट्टू ने किया तैयार। पिता-पुत्री की जोड़ी लंबे समय से शिल्पकारी कर रहे हैं।”
साथ ही मीडिया संस्थान ने जमालुद्दीन का ये बयान भी छापा, “धर्म एक निजी चीज होती है। हमारे देश में कई धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। एक कलाकार के तौर पर भाईचारे की संस्कृति मेरा सन्देश है।” ये ट्वीट मीडिया संस्थान ने गुरुवार (14 दिसंबर, 2023) को पोस्ट किया। इस पोस्ट के जरिए एक तरह से ये बताने की कोशिश की गई है कि राम मंदिर में रामलला की मुख्य प्रतिमा का निर्माण मुस्लिम कर रहे हैं। ये पूरी तरह भ्रामक है और गलत सन्देश देने वाला है।
दूसरे मीडिया संस्थानों की खबरों को खँगालने पर पता चलता है कि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए जो समारोह होगा, उसमें सजाने के लिए जो मूर्तियाँ बन रही हैं – उन्हें जमालुद्दीन और उसका बेटा बिट्टू बना रहे थे। ये आदमकद मूर्तियाँ फाइबर की बनाई जा रही हैं, जिन्हें मंदिर परिसर में लगाया जाएगा। भगवान राम की कई मूर्तियाँ अयोध्या के मुख्य स्थलों पर लगाने की भी तैयारी है, उन्हें गढ़ने में जमालुद्दीन और उसका बेटा शामिल हैं। ये लोग मुख्य प्रतिमा नहीं बना रहे।
फाइबर की प्रतिमाओं को मुख्यतः सजावट के लिए उपयोग में लाया जाता है, उन्हें मंदिर के भीतर स्थापित नहीं किया जाता। जहाँ भारत में अधिकतर मंदिरों में पत्थर की प्रतिमाएँ स्थापित की जाती हैं, वहीं त्योहारों के दौरान मिट्टी की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं जिन्हें बाद में विसर्जित कर दिया जाता है। अयोध्या में रामलला की 3 मुख्य प्रतिमाएँ बन रही हैं, शिल्पकार अलग-अलग हैं। इन्हीं में से एक को गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा और प्राण-प्रतिष्ठा का कार्यक्रम होगा।
वहीं जमालुद्दीन और उसका बेटा ऐसी मूर्तियाँ बना रहे जिन्हें मंदिर से बाहर लगाया जाना है और उन्हें बनाने में फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है ताकि वो हर मौसम और परिस्थिति को बर्दाश्त कर सकें। नॉर्थ 24 परगना के रहने वाले बाप-बेटों को ये काम ऑनलाइन खोजने पर मिला था और फिर अयोध्या से उन्हें ऑर्डर मिला। अपने ही नाम से वर्कशॉप चलाने वाले बिट्टू का कहना है कि एक आदमकद प्रतिमा बनाने में एक-डेढ़ महीने लगते हैं और इसमें 30-35 लोग मेहनत करते हैं। इन मूर्तियों को अयोध्या ले जाया जाएगा।
जहाँ तक रामलला की मुख्य प्रतिमा की बात है, ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट’ के महासचिव चंपत राय ने बताया था कि गणेश भट्ट, कर्नाटक के अरुण योगीराज और जयपुर के सत्यनारायण पांडेय ये प्रतिमाएँ बना रहे हैं। 2 मूर्तियाँ कर्नाटक और एक राजस्थान के पत्थर से बन रहे हैं। नेपाल, ओडिशा और महाराष्ट्र से भी पत्थर आए थे, लेकिन उन्हें मुख्य प्रतिमा के लिए उपयुक्त नहीं पाया गया। गणेश भट्ट नेल्लिकारु रॉक (कृष्ण शिला) से मूर्ति बना रहे हैं। वहीं अरुण योगीराज केदारनाथ में शंकराचार्य की प्रतिमा गढ़ने के लिए जाने जाते हैं, जिसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था।