अयोध्या में हुए आतंकी हमले के 14 वर्ष बाद अदालत का महत्वपूर्ण निर्णय आ गया है। स्पेशल ट्रायल कोर्ट ने अपना निर्णय देते हुए 4 आरोपितों को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। 5 जुलाई 2005 को हुए इस आतंकी हमले के मामले में मोहम्मद अजीज नामक एक आरोपित को बरी कर दिया गया। जिन आतंकियों को आजीवन कारावास की सज़ा दी गई, उनके नाम इरफान, मोहम्मद शकील, मोहम्मद नसीम, आशिक़ इकबाल उर्फ फ़ारुख़ हैं।
लेकिन इंडिया टुडे के पत्रकारों के लिए 13 साल के अंतराल पर घटी दोनों एकदम भिन्न घटनाओं में अंतर समझ पाना शायद बहुत मुश्किल है। यही वजह हो सकती है कि इंडिया टुडे ने अपनी खबर में इस्लामिक आतंकवाद के स्थान पर बाबरी विध्वंस की तस्वीर लगाई है। यह जानना आवश्यक है कि जिस पर आज फैसला सुनाया गया, वह अयोध्या में 2005 में हुआ आतंकी हमला था, जबकि बाबरी विध्वंस एक धार्मिक जगह पर आपसी विवाद के फलस्वरूप जन्मी घटना थी।
अयोध्या में 5 जुलाई 2005 में हुए आतंकी हमले में 2 लोग मारे गए थे, 7 जख्मी हुए थे
5 जुलाई, 2005 की सुबह करीब सवा नौ बजे अयोध्या स्थित रामजन्मभूमि परिसर की बैरिकेडिंग के पास आतंकियों ने फायरिंग की थी। आतंकियों ने यहाँ बम धमाका भी किया था। हमले में सुरक्षाबल के कई जवान जख्मी हो गए थे। जवाबी कार्रवाई में 5 आतंकी भी मारे गए थे। बाद में 5 और आरोपी पकड़े गए थे।
इंडिया टुडे पहले भी कर चुका है इस्लामिक अपराधों के लिए हिन्दू प्रतीकों का इस्तेमाल
सामाजिक अपराध से जुड़ी किसी भी घटना में जबरन हिन्दुओं को ठूँसकर हिन्दुओं को लज्जित करने का प्रयास मेनस्ट्रीम मीडिया निरंतर करता आया है। इस मामले में इंडिया टुडे भी काफी बढ़त बनाकर चल रहा है। कुछ समय पहले भी इंडिया टुडे ने केरल में समुदाय विशेष में बढ़ते हुए बाल विवाह के आँकड़ों को दर्शाने के लिए हिन्दू लड़की की तस्वीर का सहारा लिया था।
इसी क्रम में टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने भी एक मुस्लिम अपराधी आसिफ़ नूरी, जिस पर महिलाओं के साथ जबरन अप्राकृतिक सेक्स करने का आरोप लगा था, को हिन्दू साधू साबित करने का प्रयास किया था। हालाँकि, इसके लिए बाद में उन्हें माफ़ी भी माँगनी पड़ी थी।
ईद पर नग्न डाँस को मजबूर लड़कियाँ लेकिन इंडिया टुडे ने तस्वीर दिखाई बिहु की!
इसी तरह से हाल ही में इंडिया टुडे ने ईद पर नग्न डांस करने वालों की जगह बिहू में नृत्य कर रही महिलाओं की तस्वीर लगाकर अपनी पत्रकारिता के स्तर का नंगा प्रदर्शन किया था। इंडिया टुडे ने न सिर्फ खबर का एंगल बदला बल्कि फोटो भी ऐसी लगाई, जिससे असम की संस्कृति को चोट पहुँची है। और यह ‘सबसे तेज’ के कारण नहीं हुआ है। यह पत्रकारिता के नाम पर इनकी संपादकीय नीति में खोट का नतीजा है।