बीते कुछ सालों से मीडिया को लेकर कई तरह की बातें की जा रहीं हैं। देश के प्रतिष्ठित व्यवसाई अडानी-अंबानी से लेकर सरकार तक सब पर मीडिया को नियंत्रित करने के आरोप लगते रहे हैं। इन आरोपों को लेकर इंडिया टुडे ग्रुप की उपाध्यक्ष कली पुरी ने जवाब दिया है। कली ने बताया कि कि साल 2014 से पहले एक बार उनके सवालों से नाराज होकर एक पार्टी ने अपने सभी मंत्रियों को कार्यक्रम से हटा दिया था।
दरअसल, इंडिया टुडे ग्रुप ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में दो दिवसीय इंडिया टुडे कॉन्क्लेव का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इंडिया टुडे ग्रुप की उपाध्यक्ष कली पुरी ने कहा है, “आजकल मीडिया को ‘बिका हुआ’ और ‘गोदी मीडिया’ कहने का एक नया चलन शुरू हुआ है। लोग मुझसे कहते हैं कि मुझे ईमानदारी से या निजी तौर पर या फिर ऑफ रिकॉर्ड बताएँ कि क्या बहुत दवाब है। मैं इस मंच से कहना चाहती हूँ कि हाँ बहुत दवाब है। यह दवाब राजनीतिक दलों से लेकर व्यापार घरानों और विदेशी सरकारों तक सबके द्वारा बनाया जाता है। यह दवाब नया नहीं है।” कली पुरी के बयान को वीडियो में 4 मिनट के बाद से सुना जा सकता है।
कली पुरी ने आगे कहा है, “कवर स्टोरी चलाने के लिए हमें सबसे बड़े औद्योगिक घराने द्वारा 10 साल तक धमकी दी गई थी। दलाई लामा को लेकर को लेकर कवर स्टोरी करने पर हमें एक राजदूत द्वारा धमकी दी गई थी। यही नहीं, एक ऐसी पार्टी भी है जिसने कॉन्क्लेव से पहले अपने सभी 24 मंत्रियों को कॉन्क्लेव से हटा दिया था। वह पार्टी उन सवालों से खुश नहीं थी, जो हम उनसे पूछ रहे थे। यह सब साल 2014 के पहले का है।”
उन्होंने इस दवाब को लेकर यह भी कहा है कि लोग चैनल्स का बॉयकॉट कर देते हैं। ऐप्स को अनइंस्टॉल कर देते हैं। रेटिंग घटाई जाती है। हालाँकि इस दवाब से निपटने के लिए किसी की जरूरत नहीं है। यह सब सामान्य चीजें हैं।
कली के इस बयान के बाद अमित मालवीय ने यह मुद्दा उठाया। उन्होंने वीडियो शेयर कर कहा, “आज राहुल गाँधी कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है, अभिव्यक्ति की आजादी खतरे में, ये इंडिया टुडे की उपाध्यक्ष हैं बता रही हैं कि कैसें 2014 से पहले एक पॉलिटिकल पार्टी ने अपने मंत्रियों को कॉन्क्लेव से हटा दिया था क्योंकि उन्हें सवाल नहीं पसंद थे।”
For all of Rahul Gandhi’s talk on democracy in danger, freedom of expression blah blah, here is Vice Chairperson of India Today group telling how before 2014, a certain political party pulled out all its ministers hours before the conclave because they didn’t like the questions… pic.twitter.com/0jYbyIk7gz
— Amit Malviya (@amitmalviya) March 18, 2023
दरअसल, साल 2014 के बाद से अब तक विपक्ष ने हजारों बार ‘बिका हुआ’ से लेकर ‘गोदी मीडिया’ तक जैसे शब्दों से मीडिया पर कीचड़ उछालने का प्रयास किया है। हालाँकि सच्चाई यह है कि मीडिया पर हर दौर में दवाब रहा है। लेकिन टेक्नोलॉजी और डिजीटलीकरण के इस दौर में मीडिया पर किसी तरह का दवाब दिखाई नहीं देता।
आज जो विपक्ष मीडिया पर दवाब होने आरोप लगाता है उसे तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा पूरे देश पर थोपे गए आपातकाल को याद करना चाहिए। वह एक ऐसा दौर था जहाँ अखबारों से लेकर रेडियो तक पर सेंसर लगा दिया गया था। सरकार विरोधी बातें करने पर जेल में डाल दिया जाता था। यही नहीं, इंदिरा गाँधी ने उस दौर के सबसे मशहूर गायक किशोर कुमार के गानों के प्रसारण पर भी बैन लगा दिया था।