Friday, November 15, 2024
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‘राम मंदिर- घृणा, कट्टरता और हिंसा का स्मारक’ – भूमि पूजन से पहले मीडिया गिरोह में सूजन

"तड़ीपार फिक्र मत कर। बाबरी मस्जिद की जगह सत्ता के बल पर चाहे राम का मंदिर बना लो। लेकिन इंशाअल्लाह हम फिर बाबरी मस्जिद वहीं बनाएँगे।"

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के पहले होने जा रहे भूमि पूजन से एक ओर जहाँ देश की अधिकांश जनता में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी ओर मीडिया गिरोह के लोगों व कट्टरपंथियों में शोक पसरा हुआ है। नतीजतन 5 अगस्त के शुभ अवसर पर ये सभी जहर उगलने में व्यस्त है।

ऑल इंडिया मुस्लिम बोर्ड तो अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करके धमकियाने अंदाज में बोल ही चुका है कि बाबरी मस्जिद थी और हमेशा मस्जिद ही रहेगी। हागिया सोफिया इसका एक बड़ा उदाहरण है। अन्यायपूर्ण, दमनकारी, शर्मनाक और बहुसंख्यक तुष्टिकरण निर्णय द्वारा जमीन पर पुनर्निमाण इसे बदल नहीं सकता है। दुखी होने की जरूरत नहीं है। कोई स्थिति हमेशा के लिए नहीं रहती है।

इसके अलावा सोशल मीडिया पर 10 हजार फॉलोवर्स के साथ अच्छी पकड़ रखने वाला हाशिम इसी प्रकार अमित शाह के ट्वीट पर राम मंदिर की तस्वीर देखकर रिप्लाई करता है, “तड़ीपार फिक्र मत कर। बाबरी मस्जिद की जगह सत्ता के बल पर चाहे राम का मंदिर बना लो। लेकिन इंशाअल्लाह हम फिर बाबरी मस्जिद वहीं बनाएँगे।”

वहीं मीडिया गिरोह की सक्रिय सदस्य और इस्लामी पत्रकारिता करने वाली राणा अय्यूब इस भूमि पूजन के भव्य कार्यक्रम से आहत होकर #5अगस्त के लिए लिखती हैं कि ये वह भारत नहीं है, जिसे वो जानती है। वह हालिया ट्वीट में वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित अपने लेख को शेयर करते हुए लिखती है कि 5 अगस्त- भारत की विभिन्न संस्कृतियों के उन्मूलन का एक और दिन है, यह भारत के खून और मिट्टी का एक और दिन है।

इसी तरह आरफा खान्नुम शेरवानी लिखती हैं, “ये क्या वही देश है, जिसके लिए मेरे पूर्वजों ने लड़ाई लड़ी। मैं अब अपने देश को नहीं पहचान पा रही।”

ऑद्रे ट्रुश्के तो राम मंदिर निर्माण को नफरत का स्मारक बताती हैं। वह लिखती हैं, “आज 5 अगस्त को अयोध्या राम मंदिर की आधारशिला डलेगी। यह घृणा, कट्टरता, हिंसा का स्मारक है, जो केवल हिंदू राष्ट्र का उपयुक्त आधार है।”

पूर्व सांसद व नई दुनिया के मैनेजिंग एडिटर लिखते हैं कि यह शर्मनाक है कि कुछ तथाकथित वामपंथी लिबरल दोस्त राम मंदिर निर्माण के मौके पर हिंदुत्व की सवारी कर रहे हैं। यह लोग इस राक्षस के हाथों पीड़ित होंगे, जिसे इन्होंने पिछले कुछ दशकों में अपने अवसरवाद से बनाया है।

पत्रकार अभिषेक बक्शी आज के दिन अपनी प्रोफाइल पिक बदलकर उसे काली करते हुए कश्मीर से माफी माँगते हैं और भाजपा पर अपना गुस्सा दिखाते हैं। वह लिखते हैं, “सॉरी कश्मीर, धिक्कार है भाजपा सरकार पर।”

गौरतलब है कि आज भूमिपूजन के दिन से ठीक एक साल पहले जब मोदी सरकार ने कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाकर ऐतिहासिक फैसला लिया था उस समय भी इसी तरह का रोष कट्टरपंथियों में देखने को मिला था। दूसरी तरफ, लिबरल गैंंग ने भी इस मुद्दे पर सोशल मीडिया पर जमकर प्रतिक्रिया दी थी। बरखा दत्त, सागरिका घोष, स्वाति चतुर्वेदी समेत कई गिरोह के लोगों ने तब भी सवाल उठाए थे और फैसले की आलोचना की थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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