स्टॉक एक्सचेंज में एनडीटीवी की त्रैमासिक फाइलिंग की ऑडिटर्स रिव्यू में कुछ अहम खुलासे हुए हैं। पता चला है कि मीडिया संस्थान घाटे में जा रहा है। एनडीटीवी का क़र्ज़ काफ़ी बढ़ गया है और मीडिया संस्थान की मौजूदा संपत्ति से 88.92 करोड़ रुपए ज्यादा हो गया है। एनडीटीवी का वित्तीय परफॉरमेंस लगातार गिर रहा है और ये निवेशकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाइयों के कारण कम्पनी की साख पहले से ही गिरी हुई है।
आप ऊपर संलग्न किए गए ऑडिट रिपोर्ट में प्वाइंट नंबर सात में देख सकते हैं कि ऑडिटरों ने एनडीटीवी के लाभ और हानि वाले हिस्से की तरफ ध्यान आकृष्ट कराया है। सितम्बर 2019 तक ख़त्म हो रहे त्रैमासिक समयावधि में एनडीटीवी को 10.17 करोड़ रुपए का घाटा हुआ है। सबसे बड़ी चिंता की बात तो ये है कि जितनी एनडीटीवी की संपत्ति है, उससे लगभग 89 करोड़ ज्यादा तो क़र्ज़ (देनदारी) हो गया है।
कभी-कभी किसी कम्पनी के फाइनेंसियल रिपोर्ट में कुछ ग़लत जानकारियाँ चली जाती हैं, इसे मटेरियल स्टेटमेंट कहते हैं। एनडीटीवी ने ऑडिट रिपोर्ट से पहले ये समीक्षा की है ताकि ‘मटेरियल स्टेटमेंट’ वाली गड़बड़ियों से बचा जा सके। वो इस बात को सुनिश्चित करना चाहते थे कि वित्तीय रिपोर्ट में सभी जानकारियाँ सही हैं। ऑडिटरों ने आशंका व्यक्त की है कि एनडीटीवी की पैरेंट कम्पनी शायद इसे चलाने में सक्षम नहीं हो पा रही है। हालाँकि, ऑडिटरों ने माना कि अनिश्चितता से निकलने के लिए पैरेंट कम्पनी ने कुछ रणनीतिक और ऑपरेशनल तरीके अपनाए हैं।
‘गोइंग कंसर्न’ का अर्थ होता है कि कम्पनी अभी पूरी तरह कंगाल नहीं हुई है और इसे चलाने के लिए संसाधन और वित्त मौजूद हैं। इस रिपोर्ट में ‘गोइंग कंसर्न’ की बात की गई है। जब कोई कम्पनी इस केटेगरी में नहीं रहती है, तब उसे कंगाल घोषित कर दिया जाता है। वित्तीय अनियमितताओं के कारण जाँच का सामना कर रही एनडीटीवी के लिए ऑडिटर्स रिव्यू चिंता का विषय है। जानकारियाँ उपलब्ध न कराने, एफडीआई के नियमों में उल्लंघन करने और इनकम टैक्स मामलों में एनडीटीवी के ख़िलाफ़ कई मामले चल रहे हैं। आईसीआईसीआई बैंक से 375 करोड़ रुपए लोन लेने के मामले में भी कम्पनी के ख़िलाफ़ सीबीआई जाँच चल रही है।
जून 2017 में प्रणय रॉय, उनकी पत्नी राधिका रॉय और उनके स्वामित्व वाली आरआरपीआर होल्डिंग कम्पनी के ख़िलाफ़ एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। एनडीटीवी और आईसीआईसीआई के शेयरधारक क्यूएसएल ने दोनों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कराई है। अगस्त 2019 में ‘Securities Appellate Tribunal (SAT)’ ने सेबी द्वारा एनडीटीवी पर लगाए गए 2.1 करोड़ रुपए के जुर्माने को सही ठहराया था।
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