अक्षय पात्र फाउंडेशन के विवाद में The Hindu के अंदर से ही दो तरह की आवाज़ें आनी शुरू हो गईं हैं। एक तरफ सह-चेयरपर्सन और सम्पादकीय निदेशक मालिनी पार्थसारथी हैं, जिन्होंने अक्षय पात्र पर हुई ‘हिट जॉब’ कवरेज को गलती बताते हुए इसके लिए स्तम्भ लेखिका अर्चना नातन और दैनिक सम्पादन देखने वाले सुरेश नंबात को दोषी ठहरा दिया। वहीं दूसरी ओर चेयरमैन और पूर्व मुख्य सम्पादक एन राम ने इन दोनों के बचाव में आ कर विरोध करने वालों को साम्प्रदायिक और कट्टर करार दे दिया।
I agree the attack on Akshaya Patra was unwarranted. Day to day selection of news content is handled by the editor @nambath . I oversee editorial and content strategy. I will surely make all efforts to upgrade the quality of our approach to content. @TVMohandasPai https://t.co/nxfUVrv2zi
— Malini Parthasarathy (@MaliniP) June 7, 2019
Let communal & bigoted elements out to suppress freedom of expression, and its very core, freedom to criticise, bray over what is not to their liking. This only exposes them. Why are Karnataka’s schoolchildren unhappy with the mid-day meal? – The Hindu https://t.co/vUxYiRZyd4
— N. Ram (@nramind) June 8, 2019
Professional journalists worth the name must not be swayed by such moronic attacks from what they do with diligence & care, and commitment to the public interest. Why are Karnataka’s schoolchildren unhappy with the mid-day meal? – The Hindu https://t.co/vUxYiRZyd4
— N. Ram (@nramind) June 8, 2019
I find the article published in The Hindu well-informed & the criticism nuanced and well-substantiated, very much in our tradition of independent & fearless public service journalism: Why are Karnataka’s schoolchildren unhappy with the mid-day meal? https://t.co/vUxYiRZyd4
— N. Ram (@nramind) June 8, 2019
नूराकुश्ती/दोफाड़ राउंड- 1
इस नूराकुश्ती या दोफाड़ का पहला चरण तब प्रारंभ हुआ जब PGurus पोर्टल के संपादक श्री अय्यर ने ‘संघी’ अक्षय पात्र फाउंडेशन के सह-संस्थापक टीवी मोहनदास पई से The Hindu के हिट-जॉब के बारे में यूट्यूब पॉडकास्ट कर उसे ट्विटर पर डाला। उसके जवाब में उसे रीट्वीट करते हुए मालिनी पार्थसारथी ने उक्त ट्वीट में उस लेख के छपे को तो गलती माना, लेकिन उसकी जिम्मेदारी से खुद को किनारे कर लिया।
दूसरी ओर फोटोशॉप से राफेल में घोटाला साबित करने को लेकर (कु)चर्चित एन राम ने एक के बाद एक (देखें ऊपर) तीन अलग-अलग ट्वीट से लेखिका अर्चना नातन और सम्पादक सुरेश नंबात सहित लेख का बचाव और उसे गलत ठहराने, या उस पर सवाल खड़ा करने वालों को कोसना शुरू कर दिया। इस प्रहसन पर कटाक्ष करते हुए पत्रकार शेफाली वैद्य ने ट्विटर पर इसे कोरा नाटक करार दिया:
Bunty – Bubbly of @the_hindu are playing d passive aggresssive game, Super Bigot @MaliniP ‘agrees attacking @AkshayaPatra’ was a mistake, but doesn’t take down story, while Periya Bigot @nramind promotes Baby Bigot @nathan_archana’s fake story! Middling Bigot @nambath likes this! pic.twitter.com/yxXFIOt0Jd
— Shefali Vaidya ஷெஃபாலி வைத்யா शेफाली वैद्य (@ShefVaidya) June 8, 2019
नूराकुश्ती/दोफाड़ राउंड- 2
दूसरे राउंड में एन राम के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए मालिनी पार्थसारथी ने अपनी बात दोहराई। साथ ही अपने ओहदे का हवाला देते हुए यह भी साफ़ कर दिया कि अक्षय पात्र विवाद पर उनकी राय और विचार महज़ उनके निजी तौर पर नहीं है, बल्कि हिन्दू ग्रुप के सम्पादकीय निदेशक के हैं। उसके बाद एन राम ने The Hindu की सम्पादकीय मूल्यों की संहिता (Code of Editorial Values) से कॉपी-पेस्ट कर ताबड़तोड़ ट्वीट करने शुरू कर दिए।
I reiterate my commitment as Director, Editorial Strategy @the_hindu , to promote journalism that is fact based, values-driven and agenda-free. And sadly, the Akshaya Patra story was an example of shoddy one-sided journalism. https://t.co/0nCtYnkzjS
— Malini Parthasarathy (@MaliniP) June 8, 2019
And let me point out that in direct opposition to what the bigots & fanatics are braying for, The Hindu’s “Code of Editorial Values” guarantees guarantees “professionalism in the editorial functioning” freedom from external or internal interference:https://t.co/bpLjHobfr0
— N. Ram (@nramind) June 8, 2019
सबसे पहले ही ट्वीट में “आंतरिक हस्तक्षेप” का ज़िक्र यूँ ही नहीं है। यह मालिनी पार्थसारथी की ही ओर इशारा है, जिनके “बतौर संपादकीय निदेशक” ट्वीट का अर्थ यह लगाया जा रहा था कि शायद वे इस बतौर संपादकीय निदेशक अक्षय पात्र की स्तम्भकार और लेख को पास करने वाले संपादक पर कार्रवाई करें, या आगे से ऐसे किसी लेख को बतौर सम्पादकीय निदेशक रोक दें।
अगर दोफाड़ है तो पहली नहीं है
दोनों पक्षों (एन राम और मालिनी पार्थसारथी) की भाषा से साफ है कि यह महज़ एक संस्था के भीतर दो विभिन्न मतों का मसला नहीं है। या तो The Hindu का प्रबंधन इस मुद्दे पर सच में दोफाड़ है, या यह केवल एक नूरा कुश्ती चल रही है। शेफाली वैद्य ने जहाँ इसे नूरा कुश्ती मानते हुए तंज किया है, वहीं इसे The Hindu में अंदरूनी संघर्ष और अक्षय पात्र वाली ‘भूल’ को एक-दूसरे के गुट के खिलाफ हथियार के तौर पर इस्तेमाल किए जाने से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
इससे पहले भी तत्कालीन संपादक सिद्धार्थ वरदराजन (द वायर वाले) को The Hindu के शेयरधारक परिवारों की खींचतान में इस्तीफ़ा देना पड़ा था। वह The Hindu Group के शेयरधारक परिवारों के बाहर के पहले संपादक थे। लेकिन 2.5 वर्ष के भीतर ही उन्हें भी बाहर का रास्ता तलाशना पड़ा। मजे की बात यह है कि उन्हें लाने और बाहर करने वाले, दोनों ही एन राम थे।
कुल मिलाकर…
कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि चाहे यह नूरा कुश्ती हो या सच में इस मुद्दे ने The Hindu में एक और शक्ति-संघर्ष और सत्ता-परिवर्तन का मौका पैदा कर दिया हो, पत्रकारिता के समुदाय विशेष को शायद यह अब समझ में आने लगा है कि हिन्दू अपने ऊपर और हिट-जॉब बर्दाश्त नहीं करेंगे। बेहतर होगा कि वह इस सबक को हमेशा के लिए याद रखें। बाकी रही The Hindu की बात, तो ट्विटर यूज़र नयनिका का निम्न ट्वीट एक वाक्य में उनकी कवायद का साराँश है…
is your boss calling you a bigot and fanatic? Very wrong of him.
— Nayanika (@nayanikaaa) June 8, 2019