वामपंथी वेबसाइट ‘द वायर’ ने रविवार (18 जुलाई) को भ्रामक दावा किया कि भारत सरकार पत्रकारों, केंद्रीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, विपक्षी नेताओं और अन्य हस्तियों की जासूसी करने के लिए इजरायली कंपनी एनएसओ के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है। इससे बाद विपक्षी दलों और उनके मित्र मीडिया घरानों ने केंद्र सरकार पर आरोपों की झड़ी लगा दी है। वे मोदी सरकार के खिलाफ अपने भ्रामक प्रचार अभियान में जुट गए हैं। खासतौर, पर एनडीटीवी इस मामले को भुनाने में सबसे आगे रहा है।
मीडिया हाउस ने इस मामले पर तुरंत एक ट्वीट किया, जिसमें आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हवाले से आज से शुरू हुए संसद के मॉनसून सत्र के दौरान कहा गया था, “पेगासस के इस्तेमाल का सुझाव देने के लिए कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है।”
एनडीटीवी ने आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव को गलत बताया
हालाँकि, मोदी सरकार को बदनाम करने के उतावलेपन में NDTV ने आईटी मंत्री को गलत बता दिया। दरअसल, एनडीटीवी ने आईटी मंत्री को लेकर जो टिप्पणी की थी, वह वास्तव में इजरायली कंपनी एनएसओ (NSO) ग्रुप की थी, जिसने अपने बयान में पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करके किसी भी तरह की जासूसी से इनकार किया है और फॉरबिडन स्टोरीज की रिपोर्ट को गलत धारणाओं और अपुष्ट सिद्धांतों से परिपूर्ण बताया है।
एनएसओ का बयान, एनडीटीवी ने आईटी मंत्री को ठहराया जिम्मेदार
लोकसभा में सोमवार (19 जुलाई) को आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा दिए गए भाषण में स्पष्ट रूप से सुना जा सकता है, जो उन्होंने वामपंथी वेबसाइट ‘द वायर’ की रिपोर्ट के कुछ घंटों बाद दिया था। उन्होंने इस रिपोर्ट की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा है कि ये तथ्यों से परे है और इसमें सच्चाई नहीं है।
उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें सरकार पर पत्रकारों, भारतीय मंत्रियों, सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों, विपक्षी नेताओं और अन्य हस्तियों पर जासूसी करने के लिए स्पाइवेयर पेगासस का उपयोग करने का आरोप लगाया गया है। ये रिपोर्ट देश के लोकतंत्र और हमारी सुस्थापित संस्थाओं को बदनाम करने का प्रयास लगती है।
वैष्णव ने कहा कि डेटा का जासूसी से कोई संबंध नहीं है। केवल देशहित व सुरक्षा के मामलों में ही टैपिंग होती है, जो रिपोर्ट मीडिया में आई है, वो तथ्यों से परे और गुमराह करने वाली हैं। फोन टैपिंग को लेकर सरकार के नियम बेहद सख्त हैं। जो आरोप लगाए गए हैं, उनमें सच्चाई नहीं है। इस दौरान मंत्री ने एनएसओ ग्रुप द्वारा जारी बयान के एक अंश का भी जिक्र किया था।
एनएसओ ने अपने बयान में कहा था कि अज्ञात स्रोतों द्वारा फॉरबिडन स्टोरीज के लिए किए गए दावे, एचएलआर लुकअप सेवाओं जैसी सुलभ और स्पष्ट बुनियादी जानकारी से डेटा भ्रामक व्याख्याओं पर आधारित हैं। पेगासस या किसी अन्य एनएसओ उत्पादों के ग्राहकों के लक्ष्यों की सूची पर इसका कोई असर नहीं है। ऐसी सेवाएँ किसी के लिए भी, कहीं भी और कभी भी खुले तौर पर उपलब्ध हैं। आमतौर पर सरकारी एजेंसियों द्वारा कई उद्देश्यों के लिए साथ ही साथ दुनिया भर में निजी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जाती हैं।
एनएसओ ग्रुप ने अपने बयान में कहा, ”हम उनकी रिपोर्ट में लगाए गए झूठे आरोपों का पूरी तरह से खंडन करते हैं। उनके सूत्रों ने उन्हें ऐसी जानकारी प्रदान की है, जिसका कोई तथ्यात्मक आधार नहीं है। उनके कई दावों में साक्ष्यों की कमी साफ दिखाई देती है।”
‘पेगासस प्रोजेक्ट’ पर भ्रामक रिपोर्ट के लिए आईटी मंत्री ने द वायर की खिंचाई की
संसद के मॉनसून सत्र को संबोधित करते हुए आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ‘पेगासस प्रोजेक्ट’ पर घटिया रिपोर्ट के लिए अति-वामपंथी प्रोपेगेंडा वेबसाइट ‘द वायर’ को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कल रात एक बेहद सनसनीखेज खबर के रूप में भ्रामक जानकारी देने वाले मीडिया आउटलेट को लोकसभा में तर्कसंगत करारा जवाब दिया।
बीजेपी: द वायर फेक न्यूज फैलाने में माहिर
‘द वायर’ की तथ्य रहित सनसनीखेज रिपोर्ट के खिलाफ पूर्व आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि ‘द वायर’ को झूठ फैलाने की आदत है। इससे पहले भी इस वेबसाइट ने फर्जी खबरों और गलत सूचनाओं पर आधारित कई लेख प्रकाशित किए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अतीत में भी इसी तरह के दावे किए गए हैं और उनका अंत में सिरे से खंडन भी किया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की सनसनीखेज खबरें संसद को बाधित करने के लिए मॉनसून सत्र से एक दिन पहले जानबूझकर प्रकाशित की गई हैं।
एनएसओ ने ‘अपमानजनक आरोपों’ को लेकर ‘द वायर’ के खिलाफ मानहानि का मुकदमा
एक दिन पहले ऑपइंडिया ने आपको बताया था कि कैसे तेल अवीव स्थित एक फर्म एनएसओ, जो स्पाईवेयर पेगासस का मालिक है, उसने रविवार को वामपंथी मीडिया आउटलेट ‘द वायर’ को फटकार लगाई थी। उसने ‘द वायर’ को फर्जी खबरें प्रकाशित करने के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की धमकी दी है।
बता दें कि ‘द वायर’ ने 18 जुलाई, 2021 को एक कथित ‘फैक्ट’ रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें उसने सरकार द्वारा 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल टेलीफोन नंबरों की जासूसी करने के लिए इजरायली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करने का दावा किया था। उसने बताया कि इसमें केंद्रीय मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, सुप्रीम कोर्ट के जज, कुछ मानवाधिकार कार्यकर्ता और कई बड़े कारोबारियों के फोन की जासूसी की जा रही थी।