ऑल्ट न्यूज के संस्थापक प्रतीक सिन्हा की हिंदू घृणा एक बार फिर जगजाहिर हुई है। फैक्ट चेक के नाम पर वह दुनिया को क्या परोस रहे हैं, इसका खुलासा @befittigfacts नाम के सक्रिय ट्विटर यूजर ने अपने ट्वीट में किया है। इनमें दर्शाया गया है कि कैसे फेक प्रोपगेंडा चलाने के लिए के लिए फर्जी तस्वीरों का इस्तेमाल सिन्हा ने साल-दर-साल किया।
इन ट्विटों के मुताबिक प्रतीक सिन्हा ने साल 2014 की एक तस्वीर का इस्तेमाल करते हुए पाठकों को ये बताया कि कैसे नोटबंदी के दौरान साल 2016 में बूढ़ी महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ी। ट्वीट में लगी दोनों तस्वीरों और उनकी तारीखों को देख कर साफ पता चल रहा है कि सिन्हा प्रोपगेंडा फैलाने के लिए कोई भी हथकंडा आजमाने से नहीं चूकता।
.@free_thinker is just a hindu hater, masquerading as a fact-checker. made his career abusing Modi n fake propagandas, using Truth of Gujarat, then eopinion/Altnews.
— Facts (@BefittingFacts) November 30, 2020
1- Using picture of 2014 to show a woman suffering due to demonatisation in 2016.
archive- https://t.co/sHo79qniaf pic.twitter.com/hHz5C2JFFW
दूसरे ट्वीट में फैक्ट चेक वेबसाइट के संस्थापक ने गुजरात की स्थिति दर्शाते हुए गौ रक्षा पर सवाल उठाए। उसने कहा कि गौ माता गुजरात में सड़ रही हैं। आखिर कहाँ हैं उनके बच्चे जो अपनी माता के प्रेम दिखाते हैं। अब इस तस्वीर की सच्चाई यह है कि ये 2004 की तस्वीर है। सोचिए, प्रतीक सिन्हा गौ रक्षकों का मजाक उड़ाने के लिए कितने साल पीछे जाकर तस्वीरें खंगालता है।
2- Using picture of 2004 to mock Gau Rakshak in 2016. In the picture in 2004 many cows had died to due to Nitrate poisoning but @free_thinker using this pic in 2016 to mock Gau Rakshak.
— Facts (@BefittingFacts) November 30, 2020
Archive- https://t.co/1j0QXv0Y7Z pic.twitter.com/mvMqCWmvTO
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर एक झूठ जो अक्सर फैलाया जाता है, वो ये कि उन्होंने साल 2014 में अपने चुनावी प्रचार में सबके अकॉउंट में 15 लाख भेजने का वादा किया था। इस झूठ को प्रतीक सिन्हा जैसे वामपंथी अक्सर हथियार की तरह इस्तेमाल करते हैं और कभी भी तंज के रूप में परोस देते हैं। लेकिन, इसका वास्तविक फैक्टचेक ये बताता है कि ये दावा झूठा है।
3- Peddles lie that PM Modi had promised ₹15 Lakh to everyone during 2014 election campaign. This was even fact-checked by their own people but @free_thinker or @AltNews never published an article calling it false. pic.twitter.com/JuCYQO0QGE
— Facts (@BefittingFacts) November 30, 2020
वास्तविकता में 7 नवंबर 2013 जिस समय नरेंद्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के कांकेर में रैली करते हुए बयान दिया था। उस समय उन्होंने कहा था, “जो चोर लुटेरे हैं उनका काला धन जो कि भारत के बाहर जमा है अगर वह रुपया वापस आ जाए तो इतना धन आएगा कि हर एक भारतीय नागरिक को मुफ्त में 15-20 लाख रुपए यूँ ही मिल जाएगा।“ ध्यान दीजिएगा कहीं पर भी नरेंद्र मोदी ने 15 लाख रुपए बैंक में जमा कराने की बात नहीं की है। उन्होंने कहा था कि यदि आ जाए तो हर नागरिक को इतना पैसा मिलेगा।
4- @free_thinker shares just headline of article to target PM Modi and his clean Ganga initiative.
— Facts (@BefittingFacts) November 30, 2020
But in article NGT was actually praising PM Modi for starting project and was questioning state government(Akhilesh) and others. pic.twitter.com/ayrXkVFvw4
गंगा नदी की सफाई पर प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता को लेकर सवाल उठाने के लिए खबरों को गलत तरह से पेश करने का काम भी प्रतीक सिन्हा ने बखूबी किया है। उन्होंने केवल हेडलाइन को शेयर करके अपने फॉलोवर्स को झूठ फैलाया, जिसमें एनजीटी का हवाला देकर हेडलाइन थी कि जनता का पैसा बर्बाद हुआ है और गंगा एक बूंद भी साफ नहीं हुई। जबकि वास्तविकता में एनजीटी ने अपने बयान में पीएम मोदी को ऐसे प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए सराहा था और सवाल अखिलेश सरकार पर उठे थे।
5- @free_thinker claims that this old man was crying because he did not get money but in real he was in pain because a woman had stepped on his leg. Old man also said that apart from this he didnt face much problem. pic.twitter.com/SqmZ8M956a
— Facts (@BefittingFacts) November 30, 2020
अपने अगले झूठ में प्रतीक सिन्हा ने कहा कि एक बुजुर्ग व्यक्ति इसलिए रो रहा था क्योंकि उसे पैसे नहीं मिले, जबकि वास्तविकता में वो खबर ये थी कि एक महिला ने उस व्यक्ति के पाँव पर अपना पैर रख दिया था और बुजुर्ग ने खुद कहा था कि इस परेशानी के अलावा उसे कहीं ज्यादा दिक्कत नहीं हुई।
ज्ञात रहे कि ये केवल चंद ट्वीट हैं जिनपर ऑल्ट न्यूज के संस्थापक झूठ फैलाते पाए गए हैं। ऐसे अनेक मामले हैं जब ये वामपंथियों के समर्थन के कारण ये बच निकलते हैं और किसी का इन पर ध्यान नहीं जाता। पिछले दिनों इनकी ही वेबसाइट ऑल्ट न्यूज पर कई तरह के फैक्ट चेक के नाम पर एक समुदाय विशेष को बचाने का प्रयास हुआ था।