Friday, October 18, 2024
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‘रजत शर्मा वाला वीडियो एडिटेड नहीं’: हाईकोर्ट में ‘X’ के बयान पर प्रोपेगेंडा चला रही कॉन्ग्रेस, छिपा रही ट्वीट डिलीट करने वाला आदेश

कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम इस पूरे मामले को डायवर्ट करते हुए सिर्फ ये फैलाने में जुट गया कि रजत शर्मा ने रागिनी नायक को ऑन एयर गाली दी थी। ऐसे में खुद रजत शर्मा आगे आए, और उन्होंने पूरे कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम को बेनकाब कर दिया।

वरिष्ठ पत्रकार रजत शर्मा पर ऑन-एयर गाली देने का आरोप लगाने वाली कॉन्ग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक, पवन खेड़ा, जयराम रमेश के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। हाई कोर्ट ने पूछा कि जून में दिए गए आदेश पर अब तक अमल क्यों नहीं किया गया? फर्जी दावों वाले ट्वीट्स क्यों नहीं हटाए गए? इसके जवाब में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने हाई कोर्ट में दलील दी कि रजत शर्मा का जो वीडियो हमारे प्लेटफॉर्म पर डाला गया है, वो ‘एडिटेड नहीं लगता’। हालाँकि हाई कोर्ट ने साफ कर दिया कि सारे वीडियो और इससे जुड़े यूआरएल 13 जुलाई की शाम तक हट जाने चाहिए।

दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के बावजूद कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम सिर्फ ‘एक्स’ की ओर से कही गई बातों को आधार बनाकर मीडिया ट्रायल करने लगा। कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम इस पूरे मामले को डायवर्ट करते हुए सिर्फ ये फैलाने में जुट गया कि रजत शर्मा ने रागिनी नायक को ऑन एयर गाली दी थी। ऐसे में खुद रजत शर्मा आगे आए, और उन्होंने पूरे कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम को बेनकाब कर दिया।

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, 13 जुलाई तक हटाओ सारे ट्वीट्स

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले की कॉपी रजत शर्मा ने खुद एक्स पर शेयर किया है। रजत शर्मा ने लिखा, “झूठ की इंतहा हो गई है। सच मैं बताता हूँ: आज ही कोर्ट ने अपने ऑर्डर में रागिनी नायक, जयराम रमेश और पवन खेड़ा को निर्देश दिया है कि वो 14 जून 2024 के ऑर्डर के मुताबिक़ अपने ट्वीट डिलीट करें। आज ही अदालत ने ट्विटर को आदेश दिया है कि अगर कॉन्ग्रेस लीडर ऐसा नहीं करते तो ट्विटर इन ट्वीट्स को ब्लॉक करे। आज कोर्ट ने ये भी कहा कि कॉन्ग्रेस के ये लीडर इस डिबेट से संबंधित कोई पोस्ट ना करें जब तक अदालत अंतरिम आदेश पर फैसला नहीं कर लेती। अदालत का आज का ऑर्डर सामने है, कोई भी देख सकता है। अब आप ही बताइये इनका क्या करें?”

क्या प्रोपेगेंडा फैला रहा कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम?

दरअसल, गुरुवार (11 जुलाई 2024) को दिल्ली हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर रहा था। ये केस रजत शर्मा द्वारा किए गए 100 करोड़ की मानहानि के मामले में भी है, जिसमें दिल्ली हाई कोर्ट ने पूछा कि ट्वीट्स अब तक क्यों नहीं हटाए गए, जैसा कि पिछली सुनवाई (16 जून 2024) के दौरान आदेश दिया गया था। कोर्ट ने कहा था कि कॉन्ग्रेसी नेता रजत शर्मा को लेकर किए जा रहे दावों वाले वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाएँ। कोर्ट ने ये भी कहा था कि अगर ये वीडियो खुद नहीं हटाए जाते हैं, तो सोशल मीडिया कंपनी एक्स (पूर्व में ट्विटर) खुद इन्हें ब्लॉक करे, लेकिन वीडियो न हटने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सवाल पूछा, तो एक्स ने अपनी तरफ से बात रखी।

एक्स ने दावा किया कि रजत शर्मा से जुड़ा वीडियो ‘एडिटेड नहीं हो सकता!’, क्योंकि मूल वीडियो अब भी इंडिया टीवी के यू-ट्यूब चैनल पर मौजूद है। दोनों की मिलावट से पता चलता है कि रजत शर्मा ने ‘कुछ तो’ कहा है। एक्स की इसी दलील को आधार बनाकर तमाम मीडिया हाउसों ने एकतरफा खबरें परोसनी शुरू कर दी। अदालती कार्यवाही को कवर करने वाली वेबसाइटों ने भी ‘अधूरी रिपोर्ट्स’ डाली, क्योंकि उनमें दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से दिए गए आदेश को जगह ही नहीं दी गई, जिसकी हेडलाइन्स कुछ इस तरह की रही-

ट्विटर ने दिल्ली हाईकोर्ट से कहा: रजत शर्मा द्वारा लाइव टीवी पर रागिनी नायक को गाली देने का वीडियो फर्जी या संपादित नही है – बार एंड बेंच की खबर

Video Posted By Ragini Nayak Alleging Abuse By Journalist Rajat Sharma Not Edited Or Fake: Twitter To Delhi High Court : लाइव लॉ की खबर

यही नहीं, लाइव हिंदुस्तान जैसे मुख्यधारा की मीडिया ने भी इसी तरह की खबरें छापी, जिसका शीर्षक दिया- ( रागिनी नायक को गाली देने वाला वीडियो ना फर्जी ना संपादित, दिल्ली HC में ट्विटर ने दी जानकारी )

इन तीनों ही रिपोर्ट्स को पढ़ेंगे, तो ये कहीं नहीं मिलेगा कि कोर्ट ने वीडियो और ट्वीट्स के यूआरएल को 13 जुलाई 2024 तक हटाने का आदेश दिया है। ये सारी रिपोर्ट्स सिर्फ एक्स के बयान के आधार पर छाप दी गई।

बस फिर क्या था, कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम मानो शिकार की तलाश में बैठा हो। तुरंत ही सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर एक्स के बयान को आधार बनाकर छापी गई रिपोर्ट्स शेयर की जाने लगी और रजत शर्मा को निशाना बनाया जाने लगा।

खुद रागिनी नायक ने लिखा, “‘X’ formerly ‘Twitter’ ने दिल्ली High Court को बताया कि मेरे द्वारा पोस्टेड वीडियो न तो ‘Fake’ है, न ही ‘Edited’ है !!!”

रागिनी नायक ने न तो दिल्ली हाई कोर्ट की बात का कोई जिक्र किया और न ही 13 जुलाई 2024 तक वीडियो और पोस्ट को हटाने के आदेश को लेकर। वहीं, कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और कम्युनिकेशन सेल के इन्चार्ज जयराम रमेश ने भी लाइव लॉ के ट्वीट को रीट्वीव कर इसी झूठ को आगे बढ़ाया। चूँकि उनका एजेंडा तो बढ़ ही रहा है, ऐसे में कौन 2 लाइन लिखकर सच्चाई को सामने रखने की जहमत उठाए।

देखते ही देखते एक्स पर कॉन्ग्रेसी और लेफ्ट इकोसिस्टम इस अधूरी रिपोर्ट को पूरी बताकर पेश करने लगा और रजत शर्मा पर निशाना साधने लगा। गुरप्रीत गैरी वालिया नाम के कथित ‘पत्रकार’ ने एक्स पर लिखा, “रजत शर्मा और इंडिया TV वालों अब क्या बोलोगे ? इस ट्वीट को जिसने रीट्वीट ना किया उसको ब्लॉक कर दूँगा।”

काव्या इंडिया नाम की एक्स यूजर ने लिखा, “रजत शर्मा पत्रकारिता को अब तक के सबसे निचले स्तर पर ले जा रहा है। ट्विटर ने कोर्ट मे कहा इसकी गाली वाली वीडियो फेक नही। अभी तक इसकी पत्रकारिता THE लाली के लिए जानी जाती थी, अब इसकी पत्रकारिता गाली की वजह से जानी जा रही है। शर्मनाक!”

इस पूरे मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 जुलाई तक नेताओं को खुद से वीडियो हटाने होंगे, वर्ना एक्स को 13 जुलाई 2024 तक का समय इन्हें हटाने के लिए दिया गया है। ये पूरा मामला ही वीडियो को हटाने के लिए दिए आदेश पर अमल न करने का है, जिसे लेकर मीडिया में किसी भी तरफ से एक शब्द नहीं लिखा गया। हर तरफ, एकतरफा तौर पर सिर्फ एक्स के बयान को प्राथमिकता के साथ छापा गया, जिसका इस्तेमाल कॉन्ग्रेसी इकोसिस्टम ने अपने प्रोपेगेंडा को आगे बढ़ाने में किया। बहरहाल, अगर 13 जुलाई की शाम तक ये सारे ट्वीट्स और वीडियो नहीं हटाए गए, तब दिल्ली हाई कोर्ट अवमानना की कार्रवाई करता है, या कोई अन्य कदम उठाता है, अब इस पर सभी की निगाहें रहेंगी।

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श्रवण शुक्ल
श्रवण शुक्ल
Shravan Kumar Shukla (ePatrakaar) is a multimedia journalist with a strong affinity for digital media. With active involvement in journalism since 2010, Shravan Kumar Shukla has worked across various mediums including agencies, news channels, and print publications. Additionally, he also possesses knowledge of social media, which further enhances his ability to navigate the digital landscape. Ground reporting holds a special place in his heart, making it a preferred mode of work.

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