इंडिया टुडे के पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने शनिवार (2 जनवरी, 2020) को ट्विटर पर एक टीशर्ट के साथ अपनी फ़ोटो साझा की। यह टीशर्ट उनकी बेटी ने उन्हें नए साल के उपलक्ष्य में तोहफे के तौर पर दिया था। जिसे हाथ में पकड़कर राजदीप ने फ़ोटो पोस्ट करते हुए अपनी बेटी को धन्यवाद दिया। गौरतलब है कि टीशर्ट काले रंग की थी, परंतु उस पर लिखा था, ‘यह टीशर्ट सफेद है: इंडियन मीडिया’ (This T-Shirt is White: Indian Media)।
अपने आप को भारतीय मीडिया से बाहर का मानने वाले राजदीप सरदेसाई ने कहा कि भारतीय मीडिया इस समय उद्देश्यपूर्ण और ईमानदार पत्रकारिता नहीं कर रहा है, वे सिर्फ झूठ का प्रचार-प्रसार करने के लिए पत्रकारिता का सहारा ले रहा है। हालाँकि, राजदीप सरदेसाई इस तथ्य को नजरअंदाज कर रहे कि वे भी इसी मीडिया इकोसिस्टम का हिस्सा हैं, जिसनें अपने मतलब के लिए देश की पत्रकारिता के स्तर को नीचे गिरा दिया है। खुद को पत्रकारिता का कर्ताधर्ता समझने वाले सरदेसाई देश के उन अन्य स्वतंत्र पत्रकारों का मज़ाक उड़ा रहे, जिन्होंने क्रांतिकारी पत्रकारिता की यथास्थिति को तोड़ने का काम किया है।
इंडिया टुडे की घटती टीआरपी के साथ राजदीप सरदेसाई और उनके साइड-किक राहुल कंवल हर उस पत्रकार या मीडिया संगठन का मज़ाक उड़ाते रहते हैं, जो उनकी प्रोपेगैंडा वाली पत्रकारिता के स्तर पर न चल कर अक्सर वामपंथियों, इस्लामवादियों और देश विरोधी लोगों को लताड़ने का काम करते हैं।
इसी कड़ी में राजदीप सरदेसाई ने रिपब्लिक टीवी के पत्रकार प्रदीप भंडारी को नीचा दिखने की कोशिश की थी जब उनके साथ एबीपी के पत्रकार ने हाथापाई करते हुए उन्हें थप्पड़ मारा था। भंडारी को दी गई सुरक्षा का उल्लेख करते हुए सरदेसाई ने कहा था, “एक छवि जो शायद ‘बनाना रिपब्लिक’ में टीवी मीडिया को परिभाषित करती है।” प्रदीप भंडारी पर हुए हमले को सही ठहराते हुए उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से इसे ‘खोए हुए सम्मान’ की वजह बताया।
इंडिया टुडे के पत्रकार ने दावा किया, “जब एक न्यूज़ चैनल साथी पत्रकारों से अपने तथाकथित रिपोर्टर को बचाने के लिए उन्हें निजी सुरक्षा देता है: इसका यह संकेत है कि चैनल अपना सबसे कीमती टीआरपी खो चुका है।”
गौरतलब है कि राजदीप और राहुल कंवल ने अर्णब गोस्वामी और रिपब्लिक टीवी को बार-बार आड़े हाथों लिया हैं। इसलिए यह मान लेना उचित है कि राजदीप सरदेसाई के ट्वीट का मतलब उन पत्रकारों को संदर्भित करना है, जो उनके स्टैंड से सहमत नहीं हैं। हालाँकि, राजदीप के फेक न्यूज़ का इतिहास देखा जाए तो यह उन पर ज्यादा सटीक बैठता है।
यूज़र्स ने राजदीप का उड़ाया मज़ाक, कहा: उनकी बेटी उन्हें ज्यादा अच्छे से समझती है
राजदीप सरदेसाई ने जैसे ही टीशर्ट के साथ अपनी फ़ोटो को साझा किया, सोशल मीडिया यूज़र्स ने उनका यह कहकर मजाक उड़ाया कि उनकी बेटी अपने माता- पिता के प्रति बेहद ईमानदार है।
It shows how good she understands you, the journalist of convenience.
— Vilas Devkar (@vilas_devkar) January 2, 2021
Hats off to her 👏👏👏
वहीं कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने राजदीप सरदेसाई पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उनकी बेटी उनकी पत्रकारिता की शैली को समझती है और उसने राजदीप की पत्रकारिता को एक लाइन के अंदर ही परिभाषित कर दिया है।
Wow ,how nicely she defines your journalism in One line ,kudos to your daughter for actually showing you the mirror Atleast listen to her now 😂😂
— निशान्त (@watchnishwin) January 2, 2021
एक अन्य यूजर ने कहा कि राजदीप सरदेसाई की बेटी में व्यंग्य करने की अच्छी समझ है।
The sarcasm by your daughter is on you pic.twitter.com/wH4tF4Ia33
— HINDU Manish Jain (@PalrechaManish) January 2, 2021
एक सोशल मीडिया यूजर ने मीम शेयर करते हुए रवीश कुमार, राहुल कंवल और विवादास्पद यूट्यूबर अभिसार शर्मा जैसे अन्य पत्रकारों से राजदीप सरदेसाई की तुलना करते हुए उन्हें उनसे अधिक दल्ले पत्रकार के रूप में संदर्भित किया।
भारतीय पत्रकारों को नीचा दिखाने पर ध्रुवित मकवाना नाम के यूजर ने राजदीप सरदेसाई से पूछा कि क्या वह फिर पकौड़े बेचते है फिर?
tum kya pakode bechte ho fir??
— dhruvit makwana (@dhruvitmakwana) January 2, 2021
वरिष्ठ पत्रकार राजदीप सरदेसाई यकीनन देश के सबसे कुख्यात फर्जी न्यूज़ पेडलर हैं। राजदीप सरदेसाई और उनकी पत्नी सागरिका घोष न केवल सोशल मीडिया पर झूठी सूचनाओं को फैलाने के लिए जाने जाते हैं बल्कि खुद को न्यूट्रल पत्रकार होने का दावा करने के बावजूद गाँधी परिवार और कॉन्ग्रेस पार्टी का बचाव करने और उनका राजनीतिक पक्ष लेने के लिए खुले तौर पर जाने जाते हैं।