संभल हिंसा पर विकिपीडिया का रुख हमेशा की तरह संदिग्ध और सवालों के घेरे में है। दरअसल, खुद को ‘विश्वकोश’ कहने वाले विकिपीडिया ने 24 नवंबर 2024 कोर्ट के आदेश से हो रहे सर्वे के दौरान हुई हिंसा को लेकर एक अलग पेज बनाया। विकिपीडिया के इस पेज में दावा किया गया कि ‘कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायिक आयोग के सामने मुस्लिमों को भड़काने के लिए ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया गया’, इस घटना का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। विकिपीडिया पर ऐसे दावे विपक्षी सांसदों के हवाले से किए गए।
विकिपीडिया के पेज पर लिखा है, “विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया है कि मस्जिद में अदालत द्वारा नियुक्त सर्वे टीम के सामने आए लोगों ने वरिष्ठ पुलिस और जिला अधिकारियों की मौजूदगी में मुसलमानों को भड़काने के लिए ‘जय श्री राम’ का नारा लगाया, इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है।”
दिलचस्प बात यह है कि विकिपीडिया ने शुरू में वामपंथी प्रोपेगेंडा आउटलेट ‘द वायर’ के लिए विवादास्पद स्तंभकार अपूर्वानंद झा द्वारा लिखे गए एक लेख का इस्तेमाल किया था, जिसमें दावा किया गया था कि ‘जय श्री राम’ के नारे से मुसलमान भड़क गए थे। हालाँकि, बाद में लिंक हटा दिया गया और द टेलीग्राफ का एक अन्य लिंक उसी दावे का मुख्य स्रोत बन गया।
इस पेज के पुराने संस्करण (एडिटिंग से पहले) में पहले पैराग्राफ में “जय श्री राम” नारे का उल्लेख किया गया था, जिसे अपूर्वानंद के लेख से जोड़ा गया था।
बाद में द वायर के ओपिनियन आर्टिकल के रेफरेंस लिंक को हटा दिया गया।
यही नहीं, अपडेट के बाद अब लेख के पहले पैराग्राफ से ‘जय श्री राम’ नारे का उल्लेख हटा दिया गया।
‘द वायर’ पर लिखे अपने लेख में अपूर्वानंद ने कई निराधार दावे किए थे। सबसे पहले झा ने दावा किया कि दूसरा सर्वे 19 नवंबर की रात को हुए शुरुआती सर्वे के ‘दो दिन बाद’ किया गया था। यह तथ्यात्मक रूप से गलत है, साथ ही द वायर की संपादकीय टीम की भी चूक है। सच ये है कि दूसरा सर्वे पाँच दिन बाद 24 नवंबर 2024 को किया गया था।
अपूर्वानंद ने यह भी दावा किया कि सर्वे बिना किसी पूर्व सूचना के किया गया था। यह फिर से गलत है। अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने एक्स पर साझा किया कि मस्जिद समिति को सर्वे के दूसरे दौर के बारे में एक दिन पहले 23 नवंबर 2024 को उचित दस्तावेज़ों के साथ सूचित किया गया था। दिलचस्प बात यह है कि यह लेख 26 नवंबर 2024 को प्रकाशित हुआ था, जबकि वकील विष्णु शंकर जैन ने 25 नवंबर 2024 को ही यह जानकारी सार्वजनिक कर दी थी कि मस्जिद समिति को इस सर्वे के बारे में 23 नवंबर 2024 को ही सूचित किया गया था।
This is the notice by advocate commissioner on 23rd nov which was duly received by lawyer for sambhal masjid committee at 630 pm on 23rd November. They were duly informed and were present in survey. pic.twitter.com/GGuC5gPwkA
— Vishnu Shankar Jain (@Vishnu_Jain1) November 25, 2024
टेलीग्राफ की रिपोर्ट में समाजवादी पार्टी के नेता और संभल के सांसद जियाउर रहमान बर्क के हवाले से कहा गया है, “आयोग के साथ मौजूद कुछ लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगा रहे थे। जब स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया, तो पुलिस ने गोलियाँ चलाईं और चार लोगों की मौत हो गई।” बर्क ने आगे माँग की कि पुलिस अधिकारियों की पहचान की जाए और घटना के लिए उन पर मामला दर्ज किया जाए।
गौरतलब है कि बर्क को संभल हिंसा मामले में दर्ज सात एफआईआर में से एक में मुख्य आरोपित के तौर पर नामित किया गया है। बर्क पर घटना से दो दिन पहले अपने दौरे के दौरान इलाके में रहने वाले मुसलमानों को भड़काने का आरोप है। दिलचस्प बात यह है कि विकिपीडिया ने यह नहीं बताया कि किस ‘विपक्षी नेता’ ने दावा किया कि हिंसा ‘जय श्री राम’ के नारे के बाद हुई, जबकि पेज पर इसका उल्लेख किया गया था। इसके अलावा, बर्क पर मामला दर्ज होने की जानकारी केवल एक अलग सेक्शन में शामिल की गई थी।
दिलचस्प बात यह है कि बातचीत के दौरान दो संपादकों, Xoocit और Cerium4B के बीच चर्चा हुई, जिसमें बाद वाले ने जोर देकर कहा कि ‘जय श्री राम’ के नारे के कारण हिंसा हुई, इस दावे को बरकरार रखा जाना चाहिए। नारे लगाने की बात ‘दावों’ के तौर पर बरकरार रखी गई, जबकि इस बात के पर्याप्त सबूत थे कि ये नारे सुबह 11 बजे के बाद लगाए गए थे, जबकि हिंसा सुबह 9:30 बजे से पहले भड़की थी।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने वकील विष्णु शंकर जैन और प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा विवादित स्थल पर सर्वे के लिए अंदर जाने का वीडियो भी शेयर किया है। करीब 3 मिनट के इस वीडियो में ‘जय श्री राम’ के नारे लगाने का कोई संकेत नहीं था।
Wikipedia wants to burn down India! Contrary to their claim that slogans of Jai Shri Ram led to violence in Sambhal, the video footage of advocate Vishnu Jain and administration officials, entering the disputed site, for survey, on Court orders, shows no sloganeering, communally… pic.twitter.com/w5IQYxoYIB
— Amit Malviya (@amitmalviya) December 2, 2024
पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने भी सबूत शेयर करते हुए कहा कि नारे उस समय नहीं लगाए गए जब टीम विवादित स्थल में प्रवेश कर रही थी, बल्कि नारे सुबह 11 बजे के बाद लगाए गए। उस समय तक वकील विष्णु शंकर जैन वहाँ से निकल चुके थे।
But here’s the truth:
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 2, 2024
Slogans were raised only after 11 am, when advocate Vishnu Jain had already exited the disputed property. This is confirmed by TV channels (see video)
Yet, footage recovered by police shows masked rioters breaking CCTV cameras as early as 9:30 am (See… pic.twitter.com/yZg1RUn63f
इसके अलावा, उन्होंने संभल पुलिस द्वारा बरामद सीसीटीवी फुटेज भी साझा की, जिसमें नारे लगने से काफी पहले सुबह करीब साढ़े नौ बजे उपद्रवियों द्वारा सीसीटीवी कैमरा तोड़ते हुए देखा जा सकता है।
AMASR अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम के बारे में गलत फैक्ट चेक
संभल हिंसा पर विकिपीडिया पेज पर गौर करने वाली एक अहम बात ये है कि इस लेख में AMASR अधिनियम और पूजा स्थल अधिनियम के बारे में जिस फैक्ट चेक का लिंक को लगाया है, वो अपेक्षाकृत अज्ञात संस्थान/वेबसाइट का लिंक है। उस संस्थान का नाम टाइमलाइन डेली है। इस फैक्ट चेक वाले लेख में भी गलत फैक्ट्स दिए गए थे।
ऑपइंडिया ने डोजियर में निकाली थी विकिपीडिया के फर्जीवाड़े की हवा
बता दें कि ऑपइंडिया ने कुछ समय पहले विकिपीडिया द्वारा गलत सूचना परोसने और भारत के खिलाफ राजनीतिक रूप से प्रेरित पूर्वाग्रह पर एक विस्तृत डोजियर जारी किया था। उस डोजियर को इस लिंक पर क्लिक करके पढ़ा जा सकता है। ऑपइंडिया के शोध में पता चला है कि विकिपीडिया ने मुट्ठी भर लोगों को असीमित शक्तियाँ दे रखी हैं, जिन्हें ‘प्रशासक’ कहा जाता है।
ऑपइंडिया द्वारा डोजियर जारी करने के तुरंत बाद एक अन्य वामपंथी प्लेटफॉर्म फेसबुक ने डोजियर को बैन कर दिया, ताकि इसके दर्शकों की संख्या सीमित हो सके। फेसबुक पर अमेरिकी चुनावों में हस्तक्षेप करने और एक खास विचारधारा के राजनीतिक हित को आगे बढ़ाने के कई आरोप हैं।