साल 1992 में अयोध्या राम मंदिर आंदोलन को कई जगह सेकुलर मीडिया द्वारा शर्मसार करने वाला करार दिया गया। कई समाचार पत्रों ने इसी बिंदु पर बड़े-बड़े लेख छापे। इसी क्रम में इंडिया टुडे के गुजराती संस्करण पर भी इस घटना को प्रकाशित किया गया। इस घटना का जिक्र करते हुए इंडिया टुडे ने इसे राष्ट्र के नाम पर कलंक बताया। जिसके बाद इसकी ऐसी भद्द पिटी कि कुछ ही दिन में इसे बंद होना पड़ा।
इंडिया टुडे के गुजराती संस्करण के साथ जब यह सब हुआ तब उसके संपादक शेखर गुप्ता हुआ करते थे। शायद इसी कारण से आज राम मंदिर के भूमि पूजन के समय वह इस दिन को दोबारा याद कर रहें।
शेखर गुप्ता अपने ट्वीट में लिखते हैं, “हमने साल 1992 के अक्टूबर महीने में गुजराती संस्करण लॉन्च किया था। मात्र 6 हफ्तों के अंदर उस समय इसका प्रसार 75 हजार तक बढ़ गया। लेकिन अयोध्या पर ऐसी हेडलाइन और कवरेज के बाद लोगों ने इसके विरोध में बहुत पत्र भेजे। आने वाले 4 हफ्तों में इसका प्रसार मात्र 25 हजार रह गया। संस्करण समाप्त हो गया जैसा कि हमारे मार्केटिंग हेड को उम्मीद थी।”
We launched the Gujarati edition in Oct 1992. Within 6 weeks, our circ rose to 75k. After this Ayodhya headline and coverage there was an avalanche of protest letters. In the next 4 weeks, circ fell to 25k. The edition died, as our marketing head had predicted. https://t.co/6URhdY99P9
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) August 5, 2020
शेखर गुप्ता ने यह ट्वीट पत्रकार शीला भट्ट के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए किया है। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा, “दिसंबर 1992 में (जब मैं सीनियर एडिटर थी और शेखर गुप्ता एडिटर थे) हमने राष्ट्र नु कलंक नाम से स्टोरी कवर की। मगर, गुजरात का उस समय इतना भगवाकरण हो चुका था कि पाठकों ने इसके ख़िलाफ़ विरोध कर दिया। इसके बाद इसका गुजराती संस्करण बंद करना पड़ा।”
In December, 1992, Gujarati edition of India Today, (Then, I was senior editor and @ShekharGupta was editor of it) had cover’Rashtra nu kalank’. Gujarat had saffronised so much by then that readers reacted strongly against Gujarati ITcover. Eventually Gujarati edition closed down https://t.co/T03jfBqqUn
— Sheela Bhatt (@sheela2010) August 5, 2020
बता दें, शीला भट्ट और शेखर गुप्ता के इन ट्विट्स को देखकर एक यूजर का कहना है कि बिलकुल ऐसा ही हर उस संस्थान के साथ होगा, जो देश विरोधी बात करेगा। आज लोग ज्यादा जागरूक हैं। कॉन्ग्रेस की दुकान बंद हो गई है और बकवास करने वाले कलाकार घर पर बैठे हैं। हिंदू सहिष्णु है और सबको स्वीकारता है लेकिन अब कोई हमें अपने मुताबिक नहीं चला सकता।
Same will happen to all anti national,anti Hindu publications now also,infact ppl are more aware now,Congress ki dukan bandh karva di,bakwas karte huey actors ko ghar pe bithwa diya,Indians nd Hindus are tolerant nd accepting of everybody but nobody can walkover us anymore.
— Lotus (@LotusBharat) August 5, 2020
इसके अलावा एक यूजर लिखता है कि इस बात से साबित होता है कि हिंदुओं को अब मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। हम वहाँ चोट करेंगे जहाँ दर्द सबसे ज्यादा होगा यानी ऐसे प्रकाशनों के राजस्व पर। हम बिलकुल ऐसी पत्रिकाओं को नहीं स्वीकारेंगे जो राष्ट्र के ख़िलाफ़ नैरेटिव बनाएँ।
Proves Hindus can’t be fooled by Media moguls for long. We will hit where it hurts most, the earnings side of such publications. We don’t accept sold out journos fixing the national narrative.
— Sabke saath Sabke vikas 🇮🇳 Venkatramani (@Venkatramani64) August 5, 2020