Monday, December 23, 2024
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पहले Meta.. फिर Tek Fog: भारी फजीहत के बाद द वायर ने पोर्टल से हटाईं झूठी और मनगढ़ंत रिपोर्ट, सफाई में कहा- जाँच अब भी जारी है

द वायर ने कहा, "संपादकीय पर्यवेक्षण में चूक के साथ-साथ संपादकों की जिम्मेदारियों की भी समीक्षा की जा रही है, ताकि सोर्स के आधार पर होने वाली सभी प्रकार की रिपोर्टिंग की पुष्टता प्रमाणित करने के लिए ज़रूरी प्रक्रियाओं को लागू किया जा सके।"

वामपंथी मीडिया पोर्टल द वायर ने अपनी साइट से मेटा और टेक फॉग पर फैलाई झूठी रिपोर्टों को वापस ले लिया है। मेटा को लेकर फर्जी दावे करने पर पिछले दिनों द वायर की खूब फजीहत हुई थी। इसके बाद उन्होंने आंतरिक समीक्षा करने का निर्णय लिया और अंत में रिपोर्ट्स की सीरीज को रोकते हुए इन्हें वापस ले लिया।

द वायर द्वारा इन रिपोर्ट्स को वापस लेने का मतलब यह है कि उसने स्वीकार कर लिया है कि जो दावे किए गए थे उसको साबित करने के लिए उसके पास कोई सबूत नहीं है। साथ ही, यह भी कि ‘मेटा वर्सेज द वायर’ मामला पूरी तरह से झूठा और मनगढ़ंत था।

द वायर का कहना है कि इस मामले की ‘जाँच’ अभी भी जारी है। इस जाँच में उन्होंने पाया कि वे अपनी ‘रिपोर्टिंग टीम’ द्वारा उपयोग किए गए सोर्स का वेरिफिकेशन करने में असमर्थ हैं। द वायर ने कहा कि उपयोग किए गए कंटेंट में सब कुछ सामान्य नहीं था। इसमें, उसके रिसचर्स द्वारा मेटा के एंडी स्टोन और माइक्रोसॉफ्ट के उज्ज्वल कुमार द्वारा कथित रूप से भेजे गए ईमेल का वेरिफिकेशन न कर पाना भी शामिल है।

द वायर ने इन ‘ईमेल्स’ के आधार पर कई रिपोर्ट्स की थीं। द वायर ने मेटा अधिकारी के कथित ईमेल से यह साबित करने की कोशिश की थी कि अमित मालवीय इंस्टाग्राम को लेकर मेटा से कहीं अधिक पॉवरफुल हैं और द वायर की ‘स्टोरी’ 100 फीसदी सच है। यही नहीं, माइक्रोसॉफ्ट के अधिकारी के कथित ईमेल ने से यह वेरिफिकेशन किया गया था कि पहला ईमेल वेरिफाई है। हालाँकि, मेटा के एंडी स्टोन और माइक्रोसॉफ्ट के उज्जवल कुमार दोनों ने ही ईमेल लिखने की बात से इनकार कर दिया और कहा कि द वायर की पूरी कहानी मनगढ़ंत है।

तमाम फर्जी दावे करने के बाद अब द वायर ने कहा है कि चूँकि, इन दोनों व्यक्तियों ने इस तरह के ईमेल का स्पष्ट रूप से खंडन किया है, इसलिए अब इससे जुड़ी रिपोर्ट्स को वापस लेना उचित है। वामपंथी पोर्टल द वायर ने यह भी कहा है “अभी भी पूरे मामले की समीक्षा कर रहे हैं। जिसमें यह संभावना भी शामिल है कि जानबूझकर द वायर को गलत सूचना देने या धोखा देने की कोशिश की गई थी।”

द वायर ने एक अन्य सिक्योरिटी एक्सपर्ट के एक ईमेल का उपयोग करते हए दावा किया था कि उन्होंने मेटा के ईमेल को वेरिफाई किया था। हालाँकि, बाद में कनिष्क करण नामक सिक्योरिटी एक्सपर्ट ने कहा था कि उन्होंने ऐसे ईमेल नहीं भेजे थे और यह सब मनगढ़ंत है। द वायर की स्टोरी में भी कनिष्क करण का नाम नहीं है।

द वायर ने कहा, “संपादकीय पर्यवेक्षण में चूक के साथ-साथ संपादकों की जिम्मेदारियों की भी समीक्षा की जा रही है, ताकि सोर्स के आधार पर होने वाली सभी प्रकार की रिपोर्टिंग की पुष्टता प्रमाणित करने के लिए ज़रूरी प्रक्रियाओं को लागू किया जा सके।”

दिलचस्प बात यह है कि द वायर अब अपनी ‘रिपोर्टिंग टीम’ को फर्जी रिपोर्ट्स के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। जबकि वास्तविकता यह है कि इसके संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन को कुछ स्टोरीज में सह-लेखक के रूप में दिखाया गया था। यानी कि संपादक भी ‘रिपोर्टिंग टीम’ का हिस्सा थे।

द वायर ने यह भी कहा “यह हमारे मेटा कवरेज में शामिल तकनीकी टीम द्वारा की गई पिछली रिपोर्टिंग की गहन समीक्षा भी करेगा। साथ ही उस प्रक्रिया के पूरा होने तक रिपोर्ट्स को पब्लिक डोमेन से हटा दिया जाएगा।” 

याद दिला दें कि सोशल मीडिया में हेरफेर करने को लेकर भाजपा की क्षमता के बारे में इसी तरह के अजीबोगरीब दावों वाली एक और स्टोरी ‘टेक फॉग’ इस साल की शुरुआत में पब्लिश की गई थी जिनके ऊपर भी द वायर ने एक्शन लिया है।

टेक फॉग एप के नाम पर झूठ

दिलचस्प बात ये है कि मेटा और टेकफॉग- दोनों ही स्टोरीज पर देवेश कुमार ‘प्राइमरी टेक्निकल एक्सपर्ट’ थे। इन दोनों स्टोरीज पर एक जैसे दावे और एक जैसी ही खामियां सामने आई। द वायर ने दावा किया था कि ‘टेक फॉग’ नाम का रहस्यमयी ऐप बीजेपी को ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सएप आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सभी सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने की अनुमति देता है। साथ ही यह ऐप एक क्लिक से दर्जनों अकाउंट्स बना और हटा सकता है। द वायर ने दावा किया कि बीजेपी सोशल मीडिया ट्रेंड को हाईजैक कर सकती है और ऐप का इस्तेमाल करने वाले पत्रकारों को भी टारगेट किया जा सकता है।

नेटिज़न्स ने मेटा स्टोरी की तरह ‘टेक फॉग’ स्टोरी में भी बड़े पैमाने पर खामियों को उजागर किया था। वह स्टोरी भी पूरी तरह से तथाकथित ऐप के ‘स्क्रीनशॉट’ पर निर्भर थी। ‘टेक फॉग’ स्टोरी में भी द वायर के पास कोई भी पुख्ता सबूत नहीं थे। मेटा स्टोरी की ही तरह, टेक फॉग स्टोरी पर भी कई टेक्निकल एक्सपर्ट्स ने सवाल उठाए थे।

द वायर ने मेटा पर स्टोरीज को हटाने के बाद अपनी टेक फॉग से जुड़ी तीन स्टोरीज को भी साइट से हटा लिया है। हालाँकि ऐप को लेकर बनाई वीडियो अब भी द वायर पर है। इस वीडियो में सोफी झांग, बिली पेरिगो, रॉबर्ट बैप्टिस्ट, तरुणिमा, प्रभाकर वी आनंद और सागरिका घोष शामिल थे।

टेक फॉग और मेटा दोनों झूठ पर आधारित रिपोर्ट

उल्लेखनीय है कि द वायर ने ‘मेटा’ और ‘टेक फॉग’ दोनों स्टोरीज में समान झूठ फैलाते हुए बीजेपी को बदनाम करने की कोशिश की। वहीं, मेटा जैसी दिग्गज कंपनी की भी निंदा करते हुए माइक्रोसॉफ्ट तक को इस मामले में घसीट लाए थे। जिसके बाद, द वायर के फर्जी ‘सबूतों’ की गहनता से जाँच हुई।  वहीं टेक फॉग में उन्होंने बीजेपी के साथ ही भारतीय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शेयरचैट बदनाम किया था। मेटा स्टोरी के सामने आने के बाद शेयरचैट ने पहले ही द वायर से टेक फॉग स्टोरी को हटाने का आग्रह किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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