पश्चिम बंगाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने 9 दिसंबर 2021 को ऑपइंडिया की प्रधान संपादक नुपुर जे शर्मा के खिलाफ सभी 4 FIR वापस लेने का आदेश दिया। इस आदेश के साथ सुप्रीम कोर्ट ने विचारों की असहमति और उसके प्रति सहनशीलता के कम होते स्तर को लेकर चिंता भी व्यक्त की। कोर्ट ने यह भी कहा कि पत्रकारों को सार्वजनिक रूप से जो जानकारी पहले से उपलब्ध है, उसका परिणाम भुगतना पड़ता है।
#WestBengal Govt informs the #SupremeCourt that it has decided to withdraw FIRs against @UnSubtleDesi in connection to some reports & photos published in @OpIndia_com.
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) December 9, 2021
SC: "Journalists suffer the consequences of what's otherwise also in public domain.. Hope others will follow".
नूपुर जे शर्मा और ऑपइंडिया के अन्य संपादकों का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और वकील रवि शर्मा कर रहे थे। पश्चिम बंगाल सरकार का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे कर रहे थे।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा सभी FIR वापस लेने पर नूपुर जे शर्मा का बयान
प्रिय पाठकों,
यह थोड़ा भावनात्मक हो सकता है, क्योंकि यह मैंने भोगा है। 2020 में मेरे खिलाफ 3 FIR दर्ज की गई। घंटों तक मुझसे पूछताछ की गई। सारी FIR ऑपइंडिया में प्रकाशित रिपोर्ट पर की गई। एक रिपोर्ट – जो हमने दुर्गा पूजा पंडाल में अजान बजाने पर की थी। दूसरी रिपोर्ट – बंगाल में COVID से उबरने और उसके प्रबंधन पर थी। तीसरी रिपोर्ट थी – तेलिनीपारा दंगों पर, जहाँ हिंदुओं पर हमला किया गया था।
उस दौरान, मेरे पति, जिनका ऑपइंडिया से कोई लेना-देना नहीं है, से भी पूछताछ की गई। मेरे पिता तक को धमकी दी गई। ऑपइंडिया के CEO राहुल रौशन को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा इन एफआईआर पर रोक लगाने के एक साल बाद, बंगाल की सरकार ने एक और एफआईआर कर दी थी। इसके बारे में तो हमें कोई जानकारी भी नहीं दी गई थी। यह FIR तेलिनीपारा दंगों पर ऑपइंडिया में प्रकाशित की गई 3 रिपोर्टों से संबंधित थी। बंगाल सरकार ने ‘तेजी’ दिखाते हुए इस मामले को CID को सौंप दिया था और तब से ऑपइंडिया के खिलाफ उनका दुर्भावनापूर्ण अभियान जारी था।
सुप्रीम कोर्ट ने इस एफआईआर पर भी रोक लगा दी है और बंगाल सरकार से जवाब माँगा है।
यह पढ़ने में जितना आसान है, जीना उतना ही कठिन। क्योंकि इन सब के बीच मुझे धमकियाँ भी आती रहीं। धमकियाँ ऐसी-ऐसी कि अंततः मुझे पश्चिम बंगाल छोड़ना ही पड़ा।
आज इन सभी चीजों का अंत हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के खिलाफ तीखी टिप्पणियाँ की हैं। यह भी सुनिश्चित करने को कहा है कि बंगाल सरकार मेरे खिलाफ सभी 4 FIR वापस ले ले।
मौका मिलेगा तो मैं शायद इस यात्रा को व्यक्त करने के लिए एक लंबा लेख लिखूँगी। फिलहाल मैं अपने पाठकों को धन्यवाद देना चाहती हूँ, जो हमारे साथ तब खड़े थे, जब मुझे खुद पर संदेह हो रहा था। मैं ऑपइंडिया की टीम को धन्यवाद देना चाहती हूँ, जो हमेशा की तरह मजबूती से खड़ी रही। मैं अपने उन दोस्तों को धन्यवाद देना चाहती हूँ, जिन्होंने बंगाल छोड़ने के बाद मेरा साथ तब नहीं छोड़ा, जब मेरा दिमाग खुद ही मेरा साथ छोड़ दे रहा था।
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी और वकील रवि शर्मा को हम पर विश्वास था। इन दो लोगों ने मुझे मेरी आजादी वापस दिलाने में मदद की… बिना एक पैसा लिए। उन्होंने यह सब इसलिए किया क्योंकि उन्हें हम पर विश्वास था। ऑपइंडिया और मैं (व्यक्तिगत रूप) से सदैव इन दोनों का ऋणी रहूँगी।
सबसे बड़ी बात… मैं भारत के सर्वोच्च न्यायालय को धन्यवाद देना चाहती हूँ। उन्होंने आज फिर से सच्चाई को बचाए रखा, विश्वास बनाए रखा।
ऑपइंडिया विजयी हुआ – उनसे जिन्होंने द्वेषपूर्ण भावना से और सत्ता के नशे में चूर होकर हमें चुप कराना चाहा, शांत कराना चाहा… ताकि सच कहीं दब जाए, मर जाए… लेकिन हमारी जीत से ऐसा हो न सका। यह जीत हर उस धार्मिक आवाज की जीत है, जो हमारे लिए लड़ी, हमारे साथ खड़ी रही और हमारा साथ दिया।
हम जो काम करते हैं, जो कर रहे हैं, उसे करना जारी रखेंगे और मुझे पता है कि आप हमेशा की तरह हमारे लिए खड़े रहेंगे, डटे रहेंगे।
जय सिया राम।
सत्यमेव जयते।