Friday, November 15, 2024
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‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ में हेराफेरी चीन की, मोदी घृणा में भारत का नाम जोड़ रहे लिबरल

हैरानी नहीं होती है कि यह वही विचारक वाम-उदारवादी वर्ग है जो हाल ही में चीन के साथ लद्दाख सीमा क्षेत्र में हुए गतिरोध के दौरान अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने में सिर्फ इस कारण व्यस्त रहा, क्योंकि केंद्र में इस समय उनके मन मुताबिक़ नेतृत्व नहीं है।

वॉल स्ट्रीट जर्नल ने एक रिपोर्ट में बताया है कि वर्ल्ड बैंक ने अपनी सालाना ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग के प्रकाशन पर रोक लगा दी है। ऐसा आँकड़ों में अनियमितताओं के चलते किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक चार देशों- चीन, यूएई, आज़रबाइजान और सऊदी अरब ने संभवत: यह हेराफेरी की है। जॉंच के दायरे में आने वाले इन चारों देशो की रैंकिंग 2019 में वर्ल्ड बैंक की तरफ से जारी ईज ऑफ डूइंग बिजनेस लिस्ट में भारत से ऊपर थी।

विश्व बैंक के एक बयान में कहा गया है कि अक्टूबर 2017 और 2019 में प्रकाशित ‘डूइंग बिजनेस 2018’ और ‘डूइंग बिजनेस 2020’ रिपोर्ट में डेटा में बदलाव के बारे में कई अनियमितताएँ पाई गई हैं और ये बदलाव ‘डूइंग बिजनेस’ कार्यप्रणाली के साथ मेल नहीं खाते।

रिपोर्ट के अनुसार, कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद चार देशों – चीन, अजरबैजान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के आँकड़ों को अनुचित रूप से बदल दिया गया। यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि विश्व बैंक द्वारा ‘2019 ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ रैंकिंग में जारी रिपोर्ट में जाँच के दायरे में आए इन सभी 4 देशों को भारत की तुलना में अधिक रैंकिंग दी गई है।

इस प्रकार रिपोर्ट में बताया गया कि 4 देशों – चीन, आज़रबाइजान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब की रैंकिंग को उनकी वास्तविक स्थिति से ऊपर दिखाने के लिए जोड़-तोड़ किया गया होगा। इस बात की सम्भावनाएँ भी अधिक हैं कि विश्व बैंक द्वारा पिछले 5 वर्षों में जारी की गई रिपोर्ट्स के ऑडिट के बाद, भारत की वर्तमान रैंकिंग में वास्तव में और सुधार हो सकता है।

हालाँकि, ‘लिबरल्स’, जिन्होंने भारत से घृणा करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी से घृणा करने का रास्ता चुना है, ने तुरंत इस बात पर ज़ोर देना शुरू कर दिया कि भारत की रैंकिंग में दर्ज सुधार भी शायद हेरफेर का ही नतीजा रहा होगा, क्योंकि विश्व बैंक के अनुसार रैंकिंग के डेटा में हेरफेर किया गया था।

गौरतलब है कि अक्टूबर 2019 की इज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट जारी होने के बाद, वाणिज्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा था, “भारत ने 2019 में अपनी 77वीं रैंक से 14 अंकों की छलांग दर्ज की है, जिसे अब विश्व बैंक द्वारा मूल्याँकन किए गए 190 देशों में 63वें स्थान पर रखा गया है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में भारत की 14 रैंक की छलांग महत्वपूर्ण है, यह देखते हुए कि 2015 के बाद से लगातार सुधार हुआ है और लगातार तीसरे वर्ष के लिए भारत शीर्ष 10 सुधारकों में शामिल है।”

सुहासिनी हैदर, जो भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी की बेटी भी हैं, ने वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट को एकदम गलत संदर्भ में सामने रखा और इस सम्बन्ध में 2 ट्वीट किए। पहले ट्वीट में उन्होंने लिखा कि विश्व बैंक ने ईज़ ऑफ़ डूइंग बिजनेस की रिपोर्ट पर रोक लगा दी है, जिसमें कि सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने वालों में टोगो, बहरीन, नाइजीरिया, तजाकिस्तान, पाकिस्तान, चीन और भारत शामिल थे।

हालाँकि, दूसरे ट्वीट में सुहासिनी हैदर ने लिखा कि विश्व बैंक ने डेटा के साथ छेड़खानी की आशंका के चलते अपनी ही रिपोर्ट पर रोक लगा दी है, और सरकार ने 2014-2018 के बीच रैंकिंग को बेहतर दिखाने के लिए लॉबी का इस्तेमाल किया, गेम किए और प्राथमिकताओं से समझौता किया।

लेकिन दिलचस्प बात यह है कि वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट में भारत का उल्लेख कहीं नहीं है। डेटा यानी, लेखा-जोखा की अनियमितताओं का जिक्र करती इस रिपोर्ट में उन सभी देशों का उल्लेख है, जो सुहासिनी ने अपने ट्वीट में लिखे हैं, जैसे टोगो, बहरीन, ताजिकिस्तान, पाकिस्तान, कुवैत, भारत और नाइजीरिया।

जबकि, रिपोर्ट उन देशों पर सवाल नहीं उठा रही है, जिनकी रैंकिंग में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। इसमें सिर्फ 4 देश – चीन, आज़रबाइजान, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब के नाम शामिल हैं, जिन पर कथित हेरफेर का संदेह जताया गया है।

सुहासिनी हैदर ने भारत को भी इस हेरफेर में घसीटने का कारनामा किया है और केवल इस तथ्य की ओर इशारा किया कि वह वास्तव में लोगों को यह बताए बिना एक एजेंडे को दबाने की कोशिश कर रही है कि भारत की रैंकिंग के बारे में यह रिपोर्ट वास्तव में क्या कहती है।

इसके अलावा, रूपा सुब्रह्मण्यम ने भी इस बहती गंगा में हाथ धोने की कोशिश की और वॉल स्ट्रीट जर्नल पर प्रकाशित विश्व बैंक की इस रिपोर्ट का वास्तविकता से भिन्न अर्थ ही सामने रखा –

स्वघोषित अर्थशास्त्री रूपा सुब्रह्मण्यम का ट्वीट

अर्थशास्त्री होने का दिखावा करने वाली रूपा सुब्रह्मण्यम ने विश्व बैंक के स्टेटमेंट का जिक्र करते हुए यहाँ तक लिखा है कि यह मोदी सरकार के लिए बड़ा झटका है और सवाल किया है कि अब मोदी सरकार क्या करेगी? बेशक नरेंद्र मोदी सरकार इस पर कुछ नहीं करेगी, क्योंकि भारत उन देशों में शामिल है ही नहीं जिनकी रैंकिंग पर विश्व बैंक ने हेरफेर की आशंका व्यक्त की है।

एक सामान्य सी रिपोर्ट का एकदम गलत अर्थ निकालकर लोगों के सामने पेश करने का हौसला रखने वाले ये लिबरल्स यहाँ तक कहते देखे गए हैं कि इसका भारत पर बहुत गलत असर पड़ेगा। जबकि इस रिपोर्ट में भारत का जिक्र नहीं, बल्कि सिर्फ 4 देशों पर संदेह जताया गया है।

हैरानी नहीं होती है कि यह वही विचारक वाम-उदारवादी वर्ग है जो हाल ही में चीन के साथ लद्दाख सीमा क्षेत्र में हुए गतिरोध के दौरान अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने में सिर्फ इस कारण व्यस्त रहा, क्योंकि केंद्र में इस समय उनके मन मुताबिक़ नेतृत्व नहीं है। ये सिर्फ इसीलिए सरकार और देश विरोधी हर उस एजेंडा को दिशा देने का प्रयास करते देखे जाते हैं, जिससे ये लोगों की अटेंशन के साथ ही अपनी मोदी घृणा को भी प्रदर्शित कर सकें।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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