यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार (जून 20, 2019) को फरमान जारी करते हुए कहा कि भ्रष्ट और बेईमान अधिकारियों के लिए सरकार में कोई जगह नहीं है। उन्होंने कहा था कि ऐसे अधिकारी स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लें, अन्यथा उन्हें सेवानिवृत्ति लेने के लिए बाध्य कर दिया जाएगा। मुख्यमंत्री के भ्रष्ट व लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाने की चेतावनी के बाद प्रशासन ने ऐसे मामलों में कार्रवाई शुरू कर दी है। प्रशासन ने शुक्रवार (जून 21, 2019) को बागपत जेल में माफिया मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले में दोषी पाए गए जेलर उदय प्रताप सिंह व मेरठ जेल में स्टिंग ऑपरेशन मामले में डिप्टी जेलर धीरेंद्र कुमार सिंह को बर्खास्त कर दिया है।
प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार ने बताया कि जाँच में दोनों अधिकारी ड्यूटी में लापरवाही के दोषी पाए गए और कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके। दोनों अधिकारियों के कृत्यों से शासन व कारागार विभाग की छवि को गहरा आघात पहुँचा था, जिसके चलते यह कठोर कदम उठाया गया। यह बर्खास्तगी इस बात का संकेत है कि अब दूसरे विभागों के भ्रष्ट और नाकारा अफसरों पर भी तलवार तन गई है। जल्द ही कई और भ्रष्ट अफसरों पर बर्खास्तगी की गाज गिर सकती है।
खबर के मुताबिक, सीएम के सख्त रवैये के बाद सचिवालय प्रशासन द्वारा अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के लिए 30 भ्रष्ट अधिकारियों के नाम छांट लिए गए हैं। इन 30 अधिकारियों में 17 समीक्षा अधिकारी, 8 अनुभाग अधिकारी, 3 अनुसचिव और 2 उप सचिव शामिल हैं। इन सबके खिलाफ पूर्व में हुई जाँचों, कार्रवाई और आपराधिक मामलों के आधार पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जाएगी। जल्द ही इन अधिकारियों की सूची को सीएम योगी के पास अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा।
गौरतलब है कि, मोदी सरकार हाल ही में जनहित में सीमा शुल्क और केंद्रीय उत्पाद विभाग के 15 अधिकारियों को समय से पहले सेवानिवृत्त कर चुकी है। इससे पहले इस महीने की शुरूआत में भारतीय राजस्व सेवा (आयकर) के 12 अधिकारियों को भी सेवा से बर्खास्त किया गया था।